What is Narco Test: क़रीब 10 दिन पहले दिल्ली के श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस (Shraddha Murder Case) में आफ़ताब पूनावाला (Aftab PoonaWalla) का नार्को टेस्ट (NARCO Test) किया गया है, जिसने अपनी ही गर्लफ्रेंड को मौत के घाट उतार कर और उसके 36 टूकड़े करके महरौली के जंगलों में फेंक दिया था. वैसे यह शब्द हमेशा उस वक्त सामने आता है, जब किसी क्राइम में आरोपी से पूछताछ की जाती है. आपको याद होगा 2008 का आरुषि मर्डर केस (Aarushi Murder Case) जिसमें नोएडा 25 के एक दंपति पर आरोप था कि उसने अपनी इकलौती बेटी को मार दिया था. उस वक्त भी यह नार्को शब्द लोगों के सामने आया था. लेकिन आख़िर क्या होता है ये नार्को टेस्ट आईये जानते हैं. नार्को-एनालाइसिस टेस्ट को ही नार्को टेस्ट कहा जाता है. इसका उपयोग किसी क्राइम में अपराधी से सच जानने के लिए किया जाता है, लेकिन इसकी वैधता पर हमेशा से सवाल उठता रहता है, और आपको बता दें कि अदालत भी इसको सबूत के तौर पर मान्य नहीं मानती है. मेडिकल टर्म में इसे डिसेप्शन डिटेक्शन टेस्ट भी कहते हैं. इसी कैटोगरी में पॉलीग्राफ और ब्रेन-मैपिंग टेस्ट भी आते हैं. आम तौर पर अपराधी को थर्ड डिग्री ना देकर इसका इस्तेमाल किया जाता है, इस टेस्ट में शख़्स को हिप्नोटाइज किया जाता है. वे हर उस सवाल का जवाब देता है जो सामने वाला जानना चाहता है, इस टेस्ट में इंजेक्शन की मद्द से उस शख्स को ऐसी अवस्था में ला दिया जाता है, जिसमें ना तो वह सोया होता है और ना ही जागा होता है. वे कुछ भी सोचने समझने की हालत में नहीं होता है. इसके लिए उस शख्स को एनेस्थीसिया ड्रग जिसे हिप्नोटिक्स ड्रग्स भी कहा जाता है. दिया जाता है फिर उससे सवाल किया जाता है. श्रद्धा वॉल्कर मर्डर केस से पहले इसका इस्तेमाल कई केसेस में किया जा चुका है. चाहे बात 26/11 की हो या फिर आरुषि मर्डर केस उसमें भी इस टेस्ट को इस्तेमाल किया गया था.