Shivaji Park and Shiv Sena: जहां एक तरफ देशभर में दशहरे की धूम है, तो वहीं मुंबई में इस मौके पर रैली को लेकर ठाकरे गुट और शिंदे गुट आमने सामने नज़र आयें. ऐसे में सवाल ये है कि, शिवसेना के दो धड़ों के बीच दशहरा रैली, आखिर राजनीति का मंच क्यों बन गई, और दशहरा रैली, शिवाजी पार्क और शिवसेना के बीच आखिर क्या कनेक्शन है, आईये जानते हैं. दरअसल शिवसेना अपने जन्म यानी 19 जून 1966 के बाद से ही, शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करती आ रही है इसकी अहमियत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, बाल ठाकरे इसे ‘शिव तीर्थ’ कहते थे. शिवसेना बनने के महज 4 महीने बाद ही, 30 अक्टूबर 1966 को बाल ठाकरे ने शिवाजी पार्क की पहली दशहरा रैली में, एक जोरदार भाषण दिया था. इस दौरान उन्होने मराठी लोगों से अपनी पहचान वापस पाने की अपील की थी. और तब से हर साल, शिवसेना के लिए दशहरा रैली की परंपरा बन गई.हालांकि, पहली रैली का आयोजन दशहरा के दिन नहीं हुआ था तब दशहरा 23 अक्टूबर को था, लेकिन दशहरा रैली 30 अक्टूबर को हुई थी, 1995 में जब शिवसेना-BJP की सरकार आई थी, तो शिवसेना के मनोहर जोशी ने राजभवन के बजाय, सीएम पद की शपथ शिवाजी पार्क में ली थी. महाराष्ट्र की राजनीति में जैसे-जैसे बाल ठाकरे का कद बढ़ा, वैसे-वैसे शिवसेना की दशहरा रैली में भीड़ और इस रैली का महत्व भी बढ़ने लगा, और इस रैली में बाल ठाकरे के दिए भाषण, पार्टी की विचारधारा बन गए. यही वजह है कि इस बार शिंदे औऱ ठाकरे दोनों गुट अपनी-अपनी दशहरा रैलियों में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जुटाने की कोशिश में लगे हैं, ताकि वे खुद को बाल ठाकरे की विरासत का असली वारिस साबित कर सकें.