Selection Process Of CDS officer: मुल्क के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत की हेलिकॉप्टर क्रैश में शहादत के कई महीनो बाद सरकार ने इस ओहदे पर नई तकरूरी का ऐलान कर दिया है.रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को नया CDS चुना गया है. मुल्क की सर्वोच्च आर्मी रैंक पर General Bipin Rawat का वारिस तय करने में इतना लंबा वक्त लगने को लेकर भी कई सवाल उठे हैं, लेकिन यहां ये समझना ज़रूरी है की तीनों सेनाओं के चीफ की जिम्मेदारी संभालने वाले इस औहदे पर किसी की तकरूरी करने का प्रोसेस बेहद पेचीदा है. इस वीडियो में आपको बताते है की आखिर कैसे चुना जाता है मुल्क का CDS अफसर Ministry of Defence ने इस साल 6 जून को तीन नोटिफिकेशन जारी किए थे, जिसमें Indian Army, Indian Air Force और Navy के सर्विस रूल्स लिए एक-एक नोटिफिकेशन शामिल था. इन नोटिफिकेशंस में MoD ने भारतीय सेनाओं के CDS के तौर पर तकरूर के लिए तीनों सेनाओं के किसी भी जनरल की रिक्वायरमेंट का ब्योरा तय किया था. इसमें तैनाती के लिए आवश्यक प्रोफेशनल क्वालिफिकेशंस के साथ ही उम्र की हद भी उस अफसर से मुताल्लिक फोर्स के हिसाब से तय की गई थी. इसमें भी दो रिक्वायरमेंट्स कम्पलसरी करार दी थी. CDS के तौर पर तैनाती के लिए किसी भी मिलिट्री जनरल में दो योग्यताएं होना लाज़मी माना गया था.वो ये की कोई भी अफसर चाहे वो सर्विंग हो या रिटायर्ड, उसे जनरल या कम से कम लेफ्टिनेंट जनरल रैंक का होना चाहिए और दूसरा की नियुक्ति के वक्त अफसर की उम्र बासट साल से कम होनी चाहिए, हालांकि बाद में मरकज़ी सरकार चाहे तो उसका मुद्देकार पैसट साल की उम्र तक बढ़ा सकती है. बता दें की ये दोनों योग्यताएं भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना, तीनों के ही आफसरान पर समान रूप से लागू होंगी. मुल्क में CDS ओहदे की पर तकरूरी करना काफी जटिल फैसला है जिस पर काफी वक्त तक गहन किया गया.क्ंयोकि इस ओहदे की ज़िम्मेदारी उठाना कोई आम बात नही है. दरअसल CDS को सैन्य सलाहकार के तौर में काम करना बोता है.वो डिफेंस मिनिस्ट्री को सलाह देता है. आर्म्ड फोर्सेज के बीच ज़रूरी तालमेल के लिए यह तकरूरी होती है. फौज में जॉइंटमैनशिप को बढ़ाने के लिए, रिसोर्सिस की बर्बादी रोकने और फैसले लेने में तेजी के लिए भी CDS ही ज़िम्मेदार होते हैं. CDS किसी भी फौज का सरबराह नहीं होता है लेकिन तीनों सेनाओं के चीफ के साथ मिलकर अपनी जिम्मेदारियां पूरी करते हैं. सेना के तीनों अंगों के बीच कोऑर्डिनेशन को बढ़ाने में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का अहम किरदार होता है और इसी लिए इस ज़िम्मेदारी को उठाने के लिए सही शख्स चुनने में सरकार को लगभग 10 महीने का वक्त लगा.