नई दिल्ली: श्रीलंका ने पिछले दिनों बुर्के पर पाबंदी लगाने वाले अपने बयान को वापस ले लिया है और कहा है कि यह महज एक प्रस्ताव था, बुर्के पर पाबंदी लगाना का अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है. कहा जा रहा है कि श्रीलंका ने यह फैसला मुस्लिम देशों के सख्त विरोध के बाद लिया है. जिसमें पड़ौसी मुल्क पाकिस्तान भी शामिल है. 


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श्रीलंका ने अपने ताजा बयान में कहा है कि बुर्के पर पाबंदी लगाने के लिए सिर्फ एक प्रस्ताव रखा था. इस संबंध में अभी कोई जल्दबाजी नहीं है. इस पर जब भी फैसला लिया जाएगा सर्वसम्मति से लिया जाएगा. हालांकि श्रीलंका के पब्लिक सिक्योरिटी मिनिस्टर ने पिछले दिनों बुर्के को अतिवादी बताते हुए कहा था कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा को देखते लिया जा रहा है. 


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यह हो सकती है वजह
दरअसल कहा जा रहा है कि पाकिस्तान समेत कई मुस्लिम देशों ने श्रीलंका के इस फैसले का विरोध किया था. जिस वजह से श्रीलंका अपने इस कदम को पीछे की तरफ मोड़ लिया है. इसकी अहम वजह यह बताई जा रही है कि पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित 47 देश अगले हफ्ते जिनेवा वोटिंग में हिस्सा लेंगे. ये मुल्क श्रीलंका में मानवाधिकारों के हालात पर वोट डालेंगे. अगले हफ्ते होने वाली वोटिंग की में मुस्लिम देशों की हिमायत हासिल करने के लिए श्रीलंका ने बुर्के पर पाबंदी को रोक दिया है. 


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इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र के धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष दूत की भी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं मालदीव के राजनियक अहमद शहीद (Ahmed Shaheed) ने भी श्रीलंका के इस फैसले का विरोध किया था. बैन अंतरराष्ट्रीय कानूनों के खिलाफ है, जो धार्मिक विश्वास और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करते हैं.


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