Global Gender Gap Index: लैंगिक समानता में भारत की हालत सुधरी लेकिन पड़ोसी देशों से अभी भी पीछे
Dsc Global Gender Gap Index: लैंगिक समानता में भारत की हालत सुधरी है. लेकिन अभी भी पड़ोसी देशों से पीछे है. भारत 135वें स्थान पर है. वहीं बंग्लादेश 59वें स्थान पर है.
Global Gender Gap Index: वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने रिपोर्ट के 2022 संस्करण में ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत 135वें स्थान पर रखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले संस्करण के बाद से भारत में 1.4 प्रतिशत अंको और आठ पदों में सुधार हुआ है. जो 2020 के संतुलन स्तर की ओर आंशिक को दर्शाता है. इसमें कहा गया है कि देश ने शिक्षा के सभी स्तरों पर नामांकन में समानता हासिल कर ली है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने कुल लैंगिक अंतर का 64.3 प्रतिशत पाट दिया है. हालांकि यह रेखांकित किया गया कि भारत आर्थिक भागीदारी और अवसर पर केवल 36.7 प्रतिशत समानता पर पहुंच गया है. सूचकांक में भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान को 142, बंग्लादेश को 59, चीन को 107, नेपाल को 116, श्रीलंका को 115 और भूटान को 103वें स्थान पर रखा गया है.
रिपोर्ट के मुताबिक आइसलैंड लगातार 14वें साल दुनिया में सबसे ज्यादा लैंगिक समानता वाला देश है और 90 फीसदी से ज्यादा लैंगिक अंतर को बराबरी करने वाला इकलौता देश है. रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में जबकि वेतन और आय में समानता में वृद्धि हुई है. वरिष्ठ पदों और तकनीकी भूमिकाओं में महिलाओं की हिस्सेदारी पिछले संस्करण के बाद से थोड़ी कम हुई है.
राजनीतिक सशक्तीकरण पर भारत ने 25.3 प्रतिशत समानता दर्ज की है. जिसमें महिलाएं 15.1 प्रतिशत सांसदों का प्रतिनिधित्व करती है. जानकारी के लिए बता दें कि 2006 में उद्धाटन रिपोर्ट के बाद से देश के लिए उच्चतम 2017 देशों में से बोलीविया 50 प्रतिशत, भारत 44.4 प्रतिशत और फ्रांस 42.3 प्रतिशत सहित 18 देशों ने स्थानीय प्रशासन में 40 प्रतिशत से अधिक महिलाओं का प्रतिनिधित्व हासिल किया है.
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महिला एंव बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने इस साल की शुरूआत में कहा था कि डब्ल्यूईएफ ने जिनेवा में सरकार द्वारा इसे उठाए जाने के बाद अपनी लैंगिक अंतर रिपोर्ट में स्थानीय सरकारी निकायों में महिलाओं की भीगीदारी की आवश्यकता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के लिए जन्म के समय लिंग अनुपात में 1.9 प्रतिशत सुधार ने एक दशक से अधिक की धीमी प्रगति के बाद समानता को बढ़ावा दिया है.
हालांकि यह भी कहा गया कि वियतनाम, अजरबैजान, भारत और चीन के लिए स्वास्थ्य और उत्तरजीविता उप-सूचकांक पर अपेक्षकृत कम समग्र रैंकिंग को जन्म के समय विषम लिंग अनुपात द्वारा समझाया गया है. शीर्ष स्कोरिंग देशों की तुलना में जो जन्म के समय 94.4 प्रतिशत लैंगिक समानता दर्ज करते हैं. भारत के लिए 92.7 प्रतिशत ‘’पिछले संस्करण में सुधार के बावजूद’’ और वियतनाम, चीन और अजरबैजान के लिए 90 प्रतिशत से नीचे है.
कुल मिलाकर दक्षिणी एशियाई क्षेत्र ने 63.4 प्रतिशत लैंगिक समानता हासिल की है. जो आठ क्षेत्रों में दूसरा सबसे कम है.
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