ईरान के शहर शीराज़ में मौजूद शाह चिराग़ दरगाह पर आज दहशतगर्दाना हमले में 15 लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा 20 से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी बताए जा रहे हैं. रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि इस्लामिक स्टेट्स ने इस हमले की ज़िम्मेदारी ली है. शाह चिराग़ दरगाह ईरान की मज़हबी तारीख़ में बहुत अहमियत रखती है. इस ख़बर में हम आपको इस दरगाह की ख़ूबसूरत तस्वीरें और तारीख़ के बारे में बताएंगे.
शाह चिराग़ के नाम से जानी जाने वाली इस इमारत का ईरान की इस्लामी और शिया तारीख़ में एक ख़ास स्थान और दर्जा है. एक जानकारी के मुताबिक़ इस इमारत में अहमद और मोहम्मद जो इमाम मूसा काज़िम और सातवें इमाम, इमाम रज़ा के बिरादरान थे, की आख़िरी आरामगाह है.
अहमद और मोहम्मद ने अब्बासियों के ज़ुल्म की वजह से शीराज़ की तरफ हिजरत की थी. इसके नाम की बात करें तो 'शाह' और 'चिराग़' फारसी के दो लफ़्ज़ हैं, जिनका मतलब है रौशनी का बादशाह.
इस इमारत को यह नाम देने की वजह यह है कि अयातुल्ला दस्तगीब राहा ने दूर से देखा कि इस जगह से रौशनी दिखाई दे रही है, इसलिए उन्होंने उस जगह की जांच की और जब वे वहां पहुंचे तो उन्होंने देखा कि यह रोशनी क़ब्रिस्तान में थी.
उन्होंने देखा कि यहां एक ख़ास क़ब्र है, जिसे खोला गया तो एक बॉडी मिली, जिसके बदन पर जंगी लिबास था और हाथ में एक अंगूठी भी थी. अंगूठी पर लिखा था, "तमाम तारीफ़ें अल्लाह के लिए हैं."
इस दरगाह की तस्वीरें देखें तो उसकी ख़ूबसूरती आंखों में उतर आती है. गुंबद और उसके अंदर शीशों का बेहतरीन काम किया हुआ है. साथ ही मीनारों पर भी आला क़िस्म की नक़्क़ाशी देखी जा सकती है. इस दरगाह में हज़ारों की तादाद में हर रोज़ लोग आते हैं.
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