पाक के पूर्व राजनयिक शौकत मुकादम की 27 वर्षीय बेटी नूर मुकादम पिछले हफ्ते राजधानी के एक लग्जरी फ्लैट में मृत पाई गई. नूर के शादी से इंकार करने पर उनके बचपन के दोस्त ने ही बेरहती से हत्या कर दी थी.
Trending Photos
इस्लामाबादः नूर मुकादम की जिंदगी के आखिरी कुछ घंटे बेहद खौफनाक और दिल दहला देने वाले थे. 27 वर्षीय नूर ने इस दर्द और बेबसी से बचने के लिए खिड़की से छलांग लगा दी, लेकिन फिर भी वह जिंदा बच गई. दर्द से कराह रही नूर को इसके बावजूद भी बख्शा नहीं गया बल्कि उसे वापस घर में लाया गया... पीटा गया और फिर उसका सिर काट कर उसकी हत्या की गई. नूर को इतनी दर्दनाक मौत देने का इल्जाम उसके बचपन के दोस्त जफीर जाफर पर है. नूर ने जहीर से शादी करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उसने मुबैयना तौर पर यह कदम उठाया. नूर मुकादम एक पूर्व राजनयिक की बेटी थीं. शौकत मुकादम की 27 वर्षीय बेटी नूर मुकादम पिछले हफ्ते राजधानी के लग्जरी सेक्टर एफ-7ध्4 इलाके में मृत पाई गई. नूर के पिता शौकत मुकादम पूर्व में पाकिस्तान के दक्षिण कोरिया और कजाकिस्तान में राजदूत रह चुके हैं. इस घटना ने पिछले सप्ताह पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में सनसनी मचा दी थी.
घरेलू हिंसा में 200 फीसदी का इजाफा
यह घटना इस बात की तरफ इशारा करता है कि पाकिस्तान न सिर्फ एक आम नागरिक के लिए खतरनाक बनता जा रहा है बल्कि यहां की औरतें भी महफूज नहीं हैं. जब एक संभ्रात और आला ओहदे पर फायज अफसर की बेटी के साथ ऐसा हो सकता है, तो सामान्य महिलाओं की क्या हालत होती होगी. इस साल की शुरुआत में जारी की गई ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, मुल्क भर में घरेलू हिंसा ‘हॉटलाइन’ से एकत्र किए गए आंकड़ों में पिछले साल जनवरी और मार्च के बीच हुई घरेलू हिंसा में 200 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. कोविड-19 के कारण मार्च में शुरू हुए लॉकडाउन के दौरान तो यह आंकड़ें और भी ज्यादा थे.
पाक में औरतों के खिलाफ यौन हिंसा एक महामारी है
प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता ताहिरा अब्दुल्ला ने कहा कि नूर मुकादम एक राजनयिक की बेटी थी और समाज में उसके ओहदे के कारण इस मामले को इतनी तव्वजो मिली है. लेकिन इस तरह की हिंसा का शिकार होने वाली ज्यादातर महिलाएं देश के गरीब और मध्यम वर्गों में से हैं. उनकी मौत को लेकर अक्सर कोई शिकायत दर्ज नहीं की जाती या इन्हें अनदेखा कर दिया जाता है. पाकिस्तान में महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों और हिंसा की महामारी एक मूक महामारी है जिसे कोई नहीं देख रहा और ना कोई इस बारे में बात कर रहा है. उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद पाकिस्तान की संसद इस महीने एक विधेयक पारित करने में विफल रही, जो महिलाओं को घरेलू हिंसा से बचाने के लिए था. इसमें पति द्वारा की जाने वाली हिंसा भी शामिल है.
ऑनर किलिंग की भी बढ़ रही है घटनाएं
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कहा कि पाकिस्तान में नाम निहाद झूटी शान के लिए हत्या के कई मामले में अपराधी भाई, पिता या कोई नजदीकी पुरुष रिश्तेदार होते हैं. हर साल, इस तरह से 1,000 से ज्यादा औरतों ं की हत्या कर दी जाती है, उनमें से कई की शिकायत भी दर्ज नहीं की जाती. मानवाधिकार समूहों ने इस्लामी विचारधारा परिषद को इस पर गौर करने को कहा है, इसी परिषद ने पहले कहा था कि पति के पत्नी को मारने में कुछ गलत नहीं है.
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की तीखी आलोचना
अधिकार समूहों ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सरकार की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वह धार्मिक अधिकार के लिए काम करते हैं और औरतों पर हमलों के गुनाहगारों को माफ करते हैं. मानवाधिकार समूहों ने कहा है कि खुद तीन बार शादी करने वाले और किसी जमाने में कई औरतों से रिश्ते रखने वाले इमरान खान भी मुल्क में महिलाओं की हिफाजत करने में नाकाम साबित हो रहे हैं.
Zee Salaam Live Tv