जानिए कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग, किसानों को लेकर किया था ट्वीट, दिल्ली में दर्ज हुई FIR
परयावरणविद ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) को किसान आंदोलन पर ट्वीट करना भारी पड़ गया. दिल्ली पुलिस ने नफरत फैलाने के आरोप में उनके खिलाफ अलग-अलग धराओं में केस दर्ज किया है. ग्रेटा थनबर्ग दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए जानी जाती हैं.
नई दिल्ली: पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग (Greta Thunberg) को किसान आंदोलन पर ट्वीट करना भारी पड़ गया. दिल्ली पुलिस ने नफरत फैलाने के आरोप में उनके खिलाफ अलग-अलग धराओं में केस दर्ज किया है. ग्रेटा थनबर्ग दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन को लेकर जागरुकता फैलाने के लिए जानी जाती हैं. इससे पहले ग्रेटा अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की भी आलोचना कर चुकी है. आईए जानते है कौन हैं ग्रेटा थनबर्ग?
स्वीडन की रहने वाली है
ग्रेटा थनबर्ग का जन्म 3 जनवरी 2003 में स्वीडन में हुआ था. उनके पिता स्वांते थनबर्ग अभिनेता है और मां मेलेना अर्नमैन ओपेरा सिंगर है. 8 साल की उम्र में ग्रेटा ने जलवायु परिवर्तन के बारे में सुना और इसे लेकर उसने काम शुरू कर दिया. पहली बार वे इसी वजह से चर्चा में आई थी.
ग्रेटा थनबर्ग के खिलाफ दिल्ली में FIR दर्ज, किसान आंदोलन को लेकर किया था ये ट्वीट
संयुक्त राष्ट्र में दे चुकी हैं भाषण
ग्रेटा थनबर्ग सितंबर 2019 में संयुक्त राष्ट्र में स्पीच दी थी. उन्होंने सभा को संबोधित करते हुए कहा,‘आपकी हिम्मत कैसे हुई? मुझे यहां नहीं होना चाहिए था बल्कि अभी स्कूल में होना चाहिए था. अपने खोखले शब्दों से आपने मेरा बचपन और मेरे सपने चुरा लिए हैं.’ ग्रेटा थनबर्ग को टाइम मैगजीन पर्सन ऑफ द ईयर भी घोषित कर चुकी है. अब ग्रेटा थनबर्ग का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए भी चल रहा है.
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व्लादिमीर पुतिन राष्ट्रपति साध चुके हैं निशाना
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने 2019 में थनबर्ग की स्पीच को लेकर कहा कि वे ऑस्ट्रेलियाई बच्चों की 'गैरजरूरी चिंता' में डाल रहीं हैं. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी उन पर निशाना साधा था. उन्होंने कहा था कि अगर बच्चे पर्यावरण के मुद्दों पर ध्यान दे रहे हैं, तो उनका समर्थन करना चाहिए, लेकिन अगर कोई बच्चों का इस्तेमाल निजी फायदे के लिए करें, तो उसकी निंदा होनी चाहिए. उनके अलावा ट्रंप और ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो ने भी उन्हें स्पीच के लिए घेरा था.
स्वीडन की संसद के सामने किया था प्रदर्शन
पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में ग्रेटा की इस पहल से उसका यह विश्वास पक्का हो गया कि अगर सही दिशा में प्रयास किए जाएं तो बदलाव लाया जा सकता है. 2018 में 15 वर्ष की उम्र में ग्रेटा ने स्कूल से छुट्टी ली और स्वीडन की संसद के सामने प्रदर्शन किया. उसके हाथ में एक बड़ी सी तख्ती थी, जिस पर बड़े अक्षरों में ‘स्कूल स्ट्राइक फॉर क्लाइमेट’ लिखा था. देखते ही देखते उसके अभियान में हजारों लोग शामिल हो गए. स्कूलों के बच्चे पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में ग्रेटा के साथ हो गए. उसके बोलने का लहजे और शब्दों के चयन ने उसे अन्तरराष्ट्रीय पर्यावरण कार्यकर्ता बना दिया.
बता दें कि ग्रेटा ने हालही में एक ट्वीट किया था, जिसमें कहा था कि सभी भारत के किसानों के प्रति एकजुट हैं. खास बात है कि इस दौरान एक दस्तावेज भी शेयर किया था. इसमें भारत सरकार पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाने की योजना लिखी हुई थी. इस योजना को पांच स्तरों पर भी बांटा गया था. विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने ट्वीट को डिलीट कर दिया था.
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