अगर हम आप से कहें कि अब आपकी कार कभी हादसे का शिकार नहीं होगी, तो आप शायद ही विश्वास करेंगे. आपको बता दें कि अब यह संभव है और आप इसे प्रयोग में ला सकते हैं, लेकिन यह तकनीक अभी केवल चालक रहित कारों के लिए ही विकसित हुई है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चालक रहित कारों को हादसे से बचाने के लिए आर्कियोलॉजिकल (पुरातात्विक) मैपिंग में लेजर किरण तकनीक का प्रयोग किया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि चालक रहित कारों में इस तकनीक से कार हादसों में भारी संख्या में कमी दिखाई देगी.
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लंदन: अगर हम आप से कहें कि अब आपकी कार कभी हादसे का शिकार नहीं होगी, तो आप शायद ही विश्वास करेंगे. आपको बता दें कि अब यह संभव है और आप इसे प्रयोग में ला सकते हैं, लेकिन यह तकनीक अभी केवल चालक रहित कारों के लिए ही विकसित हुई है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चालक रहित कारों को हादसे से बचाने के लिए आर्कियोलॉजिकल (पुरातात्विक) मैपिंग में लेजर किरण तकनीक का प्रयोग किया है. शोधकर्ताओं का कहना है कि चालक रहित कारों में इस तकनीक से कार हादसों में भारी संख्या में कमी दिखाई देगी.
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गाड़ियों के सामने अचानक आने वाली चीजों से बचाएगा
शोधकर्ता डॉक्टर मैथ्यू ओ टूल ने इस बारे में जानकारी दी है कि आर्कियोलॉजिकल (पुरातात्विक) मैपिंग में लीडार टेक्नोलॉजी आधारित तकनीक विकसित की गई है. इस तकनीक में लक्ष्य पर भेजे गए लेजर प्रकाश और परावर्तित प्रकाश का विश्लेषण किया जाता है. यह विश्लेषण ही कार को दुर्घटनाग्रस्त होने से बचाएगा. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि अभी यह तकनीक चालक रहित कारों को हादसे से बचाने के लिए प्रयोग की जा सकती है.
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रास्तों की होती है डिजिटल मैपिंग
शोधकर्ता के अनुसार, इसमें लीडार टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रास्तों की डिजिटल मैपिंग की जाती है. डॉ. मैथ्यू ने बताया कि सड़क पर चलते समय ड्राइवर वाली गाड़ियों के सामने भी कई बार कोई चीज आ जाती है, जो दुर्घटना का सबसे बड़ा कारण है. इस तरह से होने वाली घटनाओं से निपटने के लिए बिना ड्राइवर की कार में लीडार टेक्नोलॉजी की लेजर किरणों लगाई गई है.