पठानकोट हमला: दुश्मन को ऐसी जगह मारो जहां सबसे ज्यादा दर्द हो
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पठानकोट हमला: दुश्मन को ऐसी जगह मारो जहां सबसे ज्यादा दर्द हो

पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमले के बाद यह बात उठने लगी है कि पाकिस्तान के साथ बातचीत रद्द कर देनी चाहिए। 15 जनवरी को इस्लामाबाद में होने वाली विदेश सचिव स्तर की बातचीत का कोई औचित्य नहीं है। कुछ लोग पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देने के पक्ष में हैं तो कुछ चाहते हैं कि पाकिस्तान के साथ बातचीत भी चलते रहे और हिंसा का जवाब हिंसा से ही दिया जाए। दूसरे तरीके में ज्यादा दम नजर आता है। केवल बातचीत से आतंकवाद का कोई हल निकलेगा या उस पर रोक लग पाएगी इसमें संदेह है। भारत और पाकिस्तान के बीच कई दशकों से बातचीत हो रही है लेकिन इसका हश्र क्या हुआ है यह सभी के सामने हैं। भारत की शांति बहाली की हर कोशिश को पाकिस्तान की सेना, वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई और आतंकवादी संगठन मिलकर नाकाम करने पर तुले रहते हैं।

दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने के लिए भारत की तरफ से बार-बार कोशिश की गई है और हर बार पाकिस्तान ने भारत के भरोसे को तोड़ते हुए पीठ में खंजर घोंपने का काम किया है। साल 1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बस लेकर लाहौर गए और 1999 में कारगिल हो गया। 2001 में आगरा में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के साथ वाजपेयी ने वार्ता की और इसके कुछ महीनों बाद संसद को आतंकवादी हमला झेलना पड़ा। इसके बाद 2008 में मुंबई हमला हुआ। ऐसे कई मौके आए जब यह लगा कि दोनों देश वार्ता के जरिए आपसी मुद्दों को सुलझाना चाहते हैं, पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों ने बातचीत की पहल को पटरी से उतार दिया।

पिछले महीने बैंकॉक में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार गुपचुप तरीके से मिले। बातचीत की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए इस पहल की सराहना की गई। यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी अफगानिस्तान यात्रा के बाद अचानक लाहौर गए और नवाज शरीफ को उनके जन्मदिन की बधाई दी। पीएम मोदी की इस पाकिस्तान यात्रा को ऐतिहासिक बताया गया और दुनिया भर के देशों ने इस पहल की सराहना की। दोनों देशों के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता 15 जनवरी को इस्लामाबाद में प्रस्तावित है कि इसी बीच पठानकोट हो गया। इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने कराया है और इसका साजिशकर्ता मौलाना अजहर मसूद है जिसे भारत ने 1999 में छोड़ा था। पठानकोट हमले में इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि आतंकवादी पाकिस्तान से आए थे और उनके पास से पाकिस्तान में निर्मित वस्तुएं बरामद हुई हैं।

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह का सुनियोजित हमला बिना पाकिस्तानी सेना और उसकी खुफिया एजेंसी की मदद के बिना संभव नहीं है। मीडिया रिपोर्टों की मानें तो पठानकोट में हमला करने वाले आतंकवादियों को प्रशिक्षण पाकिस्तान के एक एयरबेस में दिया गया। भारत ने आतंकवादियों के पास से बरामद वस्तुएं, हथियार और वॉयस सैंपल पाकिस्तान को सौंपा है और इस हमले में संलिप्त आतंकवादियों पर शीघ्र कार्रवाई करने पर जोर दिया है। भारत की ओर से सौंपे सबूतों पर पाकिस्तान ने गौर करने की बात तो मानी है, साथ ही उसने यह भी कह दिया है कि उसे कार्रवाई के लिए और पुख्ता सबूत चाहिए। ऐसे में आतंकवादियों पर कार्रवाई को लेकर पाकिस्तान का रवैया क्या होने वाला है इसका अंदाजा अभी से लगाया जा सकता है। संसद हमले और 26/11 और पर भारत ने डॉजियर सौंपे लेकिन पाकिस्तान को ये सारे सबूत नाकाफी लगे। मुंबई हमले का दोषी हाफिज सईद पाकिस्तान में आजाद घूमता है और भारत के खिलाफ जहर उगलता रहता है।fallback

भारत को यह बात समझनी होगी की पाकिस्तान की नागरिक सरकार का या तो अपनी सेना, अपनी खुफिया एजेंसी और आतंकवादियों को नियंत्रित करने की क्षमता नहीं है या वह सबकुछ जानते हुए दोहरी नीति अपना रही है। उचित यही होगा कि भारत अपना रक्षात्मक रवैया छोड़े और आक्रामकता का परिचय दे। कब तक हम अपने जवानों की शहादत मनाते रहेंगे। आतंकी हमलों के बाद भारत की तरफ से पलटवार न होने से पाकिस्तानी सेना और आतंकवादियों के हौसले बढ़ते रहे हैं। भारत ने संसद हमले और 26/11 की कीमत यदि पाकिस्तान से वसूली होती तो आगे आतंकवादी हमले प्रायोजित कराने से पहले पाकिस्तान सौ दफे सोचता।

यह जरूरी है कि भारत और पाकिस्तान बातचीत जारी रखें। बातचीत से ही कोई स्थायी रास्ता निकलेगा लेकिन भारत को यह बातचीत ताकत के साथ करनी होगी। यह ताकत केवल बड़ी-बड़ी बातें करने या केवल ऊंचे आदर्शों से नहीं आएगी। आपके पास ताकत तभी आएगी जब आप अपने दुश्मन को माकूल जवाब देंगे। केवल बड़ी फौज, लड़ाकू विमानों, अत्याधुनिक हथियारों का जखीरा जमा करने से दुश्मन आपसे नहीं डरेगा। वह भी ऐसा दुश्मन जो आपको बार-बार जख्म देकर बातचीत के लिए टेबल पर बैठ जाता हो। समय आ गया है कि आप अपने दुश्मन को ऐसी जगह चोट पहुंचाएं जहां उसे सबसे ज्यादा दर्द होता हो। अगर इस बार भी मर्ज का इलाज नहीं किया गया तो अगला घाव देने में दुश्मन देरी नहीं करेगा।

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