बैंकिंग सेक्टर के लिए बुरा दौर कब खत्म होगा? क्या बैंक की सबसे बड़ी समस्या एनपीए ही है? पिछले डेढ़ महीने में बैंकों की स्थिति को देखते हुए नहीं लगता कि बैंक आरबीआई नियमों को लेकर गंभीर हैं.
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नई दिल्ली: बैंकिंग सेक्टर के लिए बुरा दौर कब खत्म होगा? क्या बैंक की सबसे बड़ी समस्या एनपीए ही है? पिछले डेढ़ महीने में बैंकों की स्थिति को देखते हुए नहीं लगता कि बैंक आरबीआई नियमों को लेकर गंभीर हैं. पीएनबी घोटाला उजागर होने के बाद बैंकों की स्थिति की असलियत सामने आने लगी. दरअसल, पीएनबी के बाद एक-एक बैंकों के घोटाले उजागर हुए. सरकारी बैंकों से शुरू हुई इस फेहरिस्त में अब प्राइवेट सेक्टर भी जुड़ गया है. आईसीआईसीआई बैंक इन दिनों 3250 करोड़ रुपए की 'स्वीट डील' के पेंच में फंसा है. अब यह बैंक की एमडी चंदा कोचर का नाम बदनाम करने की कोशिश है या फिर सच में बैंक के लिए कोई खतरे की घंटी. इसका जवाब तो जांच के बाद ही पता चलेगा. लेकिन, बैंक की एक गलती से आज निवेशकों के करीब 16000 करोड़ डूब चुके हैं. यह रकम तो पीएनबी घोटाले से भी ज्यादा है.
लोन या 'स्वीट डील'?
आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच हुई 3250 करोड़ की डील कोई आम डील नहीं थी. इस डील में बैंक की एमडी चंदा कोचर पर गलत तरीके से वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन देना का आरोप लगा है. इस डील में उनके पति दीपक कोचर का भी नाम शामिल है. इसलिए चंदा कोचर को और ज्यादा शक के घेरे में खड़ा किया गया है. आलम यह है कि बैंक के बोर्ड को दो बार आकर सफाई देनी पड़ी. हालांकि, जांच अभी जारी है, लेकिन बैंक का बोर्ड चंदा कोचर को क्लीन चिट दे चुका है.
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कैसे एक झटके में डूब गए 16000 करोड़?
वीडियोकॉन ग्रुप ने बैंक को लोन के 2,810 करोड़ रुपए नहीं लौटाए और बैंक ने साल 2017 में इसे एनपीए घोषित कर दिया. मामला सामने आने के बाद से आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 8 पर्सेंट से ज्यादा टूट चुका है. बैंक की इस एक गलती की वजह से निवेशकों के 16 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा डूब गए.
3 दिन में साफ हुई मार्केट कैप
वीडियोकॉन लोन मामला सामने आने के बाद से आईसीआईसीआई बैंक का शेयर टूट रहा है. निवेशक अपना पैसा निकाल रहे हैं. ब्रोकरेज हाउस भी पैसा डालने से इनकार कर रहे हैं. यही वजह है कि बैंक की मार्केट कैप में बड़ी गिरावट आई. 3 दिन में आईसीआईसीआई बैंक का शेयर 8.80 फीसदी टूट चुका है. इससे बैंक का मार्केट कैप 16,090.64 करोड़ रुपए घट गया है. आपको बता दें, 27 मार्च को बंद हुए भाव 283.90 रुपए के लिहाज से बैंक का मार्केट कैप 1,82,725.35 करोड़ रुपए था, जो तीन दिन में घटकर 1,66,634.71 करोड़ रुपए हो गया.
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11% टूट चुका है बैंक का शेयर
लोन मामले की खबर आने और चंदा कोचर के खिलाफ जांच शुरू होने से आईसीआईसीआई बैंक के शेयर पर दबा दिख रहा है. सोमवार को शेयर में 7 फीसदी की गिरावट देखी गई. कारोबार के दौरान बीएसई पर स्टॉक 7 फीसदी टूटकर 258.90 रुपए के निचले स्तर पर आ गया था. हालांकि, बाद में थोड़ा रिकवर होकर 261.50 रुपए पर बंद हुआ. लेकिन, पिछले एक महीने में देखें तो बैंक का शेयर करीब 11 फीसदी टूट चुका है.
SEBI ने टेढ़ी की नजर
मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने भी आईसीआईसीआई बैंक समेत लेंडर्स ग्रुप से हुई इस स्वीट डील से वीडियोकॉन और उसके प्रोमोटर पर नजरें टेढ़ी कर ली हैं. आईसीआईसीआई बैंक भी सेबी के रडार पर है. सेबी ने बैंक के खिलाफ कॉरपोरेट गवर्नैंस से संबंधित खामियों की जांच शुरू कर दी है. उधर सीबीआई भी आईसीआईसीआई बैंक के अधिकारियों से पूछताछ कर रही है.
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चंदा कोचर पर क्यों उठे सवाल?
इंडियन एक्सप्रेस की इंवेस्टिगेशन रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियोकॉन ग्रुप को आईसीआईसीआई बैंक ने 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया. बाद में यह लोन चुकाया नहीं गया. वीडियोकॉन की मदद से बनी एक कंपनी आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के नाम कर दी गई. बैंक ने वीडियोकॉन के लोन में से 86% यानी 2810 करोड़ रुपए डूबते खाते में डाल दिए और इसे एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग असेट्स) घोषित कर दिया.
2008 में आई न्यूपावर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, वीडियोकॉन ग्रुप के मालिक वेणुगोपाल धूत ने चंदा कोचर के पति दीपक कोचर के साथ एक नई कंपनी बनाई. दिसंबर 2008 में न्यूपावर के नाम से कंपनी की नींव रखी गई. इसमें दोनों पार्टी यानी कोचर परिवार और वेणुगोपाल धूत की 50-50 फीसदी हिस्सेदारी थी. दीपक कोचर को इस कंपनी में बतौर एमडी नियुक्त किया गया. जबकि वेणुगोपाल धूत कंपनी के डायरेक्टर थे.
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कैसे बेची गई कंपनी
जनवरी 2009 में वेणुगोपाल धूत ने न्यूपावर कंपनी में डायरेक्टर का पद छोड़ दिया. उन्होंने ढाई लाख रुपए में अपने 24,999 शेयर्स भी न्यूपावर में ट्रांसफर कर दिए. रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2012 के बीच धूत ने 65 करोड़ की कंपनी को सिर्फ 9 लाख रुपए में दीपक कोचर को बेच दिया. 94.99 फीसदी होल्डिंग वाले शेयर महज 9 लाख रुपए में चंदा कोचर के पति को मिल गए. इस कंपनी को धूत की कंपनी से 64 करोड़ का लोन भी दिया गया.
सिर्फ 9 लाख में बेची कंपनी
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इस पूरे मामले में सबसे चौंकाने वाली यह है कि दीपक कोचर को इस कंपनी का ट्रांसफर वेणुगोपाल द्वारा आईसीआईसीआई बैंक की तरफ से वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का लोन मिलने के छह महीने के बाद किया गया.