Exclusive : railway ने ऐसी बनाई योजना कि खर्च घटने के साथ बढ़ेगी रेलगाड़ियों की स्पीड
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Exclusive : railway ने ऐसी बनाई योजना कि खर्च घटने के साथ बढ़ेगी रेलगाड़ियों की स्पीड

भारतीय रेलवे ने अपने पूरे रेल नेटवर्क को वर्ष 2021 तक 100 फीसदी विद्युतीकृत करने का लक्ष्य रखा है.

भारतीय रेलवे अपने पूरे रेल नेटवर्क को वर्ष 2021 तक इलेक्ट्रीफाइड करेगा (फाइल फोटो)

नई दिल्ली : भारतीय रेलवे ने अपने पूरे रेल नेटवर्क को वर्ष 2021 तक 100 फीसदी विद्युतीकृत करने का लक्ष्य रखा है. पूरे रेल नेटवर्क के इलेक्ट्रीफिकेशन से एक तरफ जहां रेलवे के डीजल पर आने वाले खर्च में कमी आएगी वहीं रेलगाड़ियों की औसत गति बढ़ाने में भी मदद मिलेगी. सूत्रों के मुताबिक, रेलवे अगर साल  2021-22 तक अपने पूरे रूट को electrify कर लेती है तो डीजल बिल घट कर मात्र 1000 करोड़ रुपये तक रह जायेगा. फिलहाल रेलवे को हर साल लगभग 17000 करोड़ रुपये डीजल खरीदने के लिए खर्च करने पढ़ते हैं, ऐसे में रेलवे के पूरे नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन से रेलवे को हजारों करोड़ रुपये की बचत होगी.

  1. भारतीय रेलवे अपने पूरे रेल नेटवर्क को वर्ष 2021 तक इलेक्ट्रीफाइड करेगा
  2. इलेक्ट्रीफिकेशन से हर साल रेलवे 17000 करोड़ रुपये बचाएगा
  3. गाड़ियों की औसत गीत भी 15 फीसदी तक बढ़ेगी

रेल यात्रियों को भी होगा फायदता
सूत्रों के मुताबिक रेल रूट इलेक्ट्रिफिकेशन का एक बड़ा फायदा रेल मुसाफिरों को भी होगा. इस बड़े लक्ष्य के हासिल होने पर यात्री ट्रेन की एवरेज स्पीड में भी सुधार होगा. इससे रेलगाड़ी की औसत गति को 10 से 15 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकेगा.

बढ़ेगा बिजली का बिल
हालांकि इलेक्ट्रिफिकेशन के चलते रेलवे के बिजली बिल में ज़रूर थोड़ा इजाफा होगा. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल रेलवे का हर साल बिजले के बिल के तौर पर 9000 करोड़ रुपये का भुगतान करता है. आगे चलकर यह बिजली का बिल बढ़ कर 13000 करोड़ रुपये होने की संभावना है. बिजली के बिल में बचत के लिए रेलवे काफी लंबे समय से ओपन एक्सेस रूट के जरिये राज्यों से लगातार बात कर रही है जिसके जरिये राज्यो से ही बिजली प्रतिस्पर्धी दाम पर खरीदी जा सके. Open Access Route प्लान पर फिलहाल ओडिशा, बंगाल, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से बात चल रही है.

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बिजली में बदलेंगे डीजल इंजन
रेलवे नई तकनीक के जरिये मौजूद डीजल लोकोमोटिव ( इंजन ) को भी इलेक्ट्रिक में तब्दील करने की योजना पर काम कर रहा है. सूत्रों की माने तो करीब 2 करोड़ की लागत से रेलवे ने 2 डीजल लोको को इलेक्ट्रिक में तब्दील भी कर लिया है जबकि 2 और पर काम चल रहा है. रेलवे के इस मेगा इलेक्ट्रिफिकेशन प्लान की राह में एक बड़ी चुनौती बिहार में बना जनरल इलेक्ट्रिक का डीजल लोको मैनुफैक्चरिंग प्लांट है. दरअसल जनरल इलेक्ट्रिक (GE ) ने विदेशी निवेश fdi के तहत 13000 रुपये का निवेश कर मरहौरा ,बिहार में लोको प्लांट लगाया है. GE अगले साल 2025 तक 1000 एचपी क्षमता वाले डीजल लोको भारतीय रेलवे को देगा, सालाना 100 लोको बनाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है.

डीजल इंजनों का ऐसे होगा प्रयोग
ये प्लांट विदेशी निवेश के जरिये लगा है ऐसे में रेलवे यहां से निकले डीजल लोको को दो विशेष प्रोजेक्ट के लिए इस्तेमाल करने की योजना पर काम कर रहा है. रेलवे इन हाई पावर डीजल लोको को डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर में फ्रेट ट्रैन के लिए इस्तेमाल करने की योजना पर काम कर रहा है. वहीं बड़ी संख्या में डीजल लोको को देश के सुरक्षा के लिहाज से संवेदनशील इलाकों या राज्यों जैसे नार्थ ईस्ट, जम्मू कश्मीर आदि में चलाने की योजना पर काम किया जा रहा है. हाल में कैबिनेट ने भी रेलवे के मेगा इलेक्ट्रिफिकेशन प्लान को हरी झंडी दी थी जिसके तहत 2021 तक ब्रॉड गेज नेटवर्क को 100 फीसदी electrify करना है.

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