'...तो भीख मांगना भी जॉब है', पी चिदंबरम ने सरकार पर साधा निशाना
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'...तो भीख मांगना भी जॉब है', पी चिदंबरम ने सरकार पर साधा निशाना

चिदंबरम ने मोदी सरकार के कार्यकाल दौरान चलाई जाने वाली आर्थिक योजानाओं (मनरेगा, मुद्रा योजना व अन्य) को रोजगार के अवसर पैदा करने में विफल बताया.

पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः देश के पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने पीएम मोदी के उस बयान पर तंज कसा है जिसमें उन्होंने पकौड़े बेचने को भी रोजगार बताया था. पी चिदंबरम ने मोदी सरकार पर नए रोजगार पैदा करने के वादे को पूरा न करने का आरोप लगाया है.  चिदंबरम ने साल 2018-19 का बजट पेश होने से ठीक चार दिन  (रविवार 28 जनवरी) पहले मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की आलोचनाओं की फेहरिस्त में लगातार आठ ट्वीट किए. इन सभी ट्वीट्स के जरिए उन्होंने मोदी सरकार के कार्यकाल दौरान चलाई जाने वाली आर्थिक योजानाओं (मनरेगा, मुद्रा योजना व अन्य) को रोजगार के अवसर पैदा करने में विफल बताया है.

  1. चिदंबरम ने मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर किया हमला
  2. सरकार की योजनाएं रोजगार देने में कामयाब नहींः चिदंबरम
  3. पीएम मोदी के बयान पर भी कसा तंज, किया तीखा हमला

चिदंबरम ने ट्वीट किया, 'अगर पकौड़े बेचना भी नौकरी है तो प्रधानमंत्री के इस तर्क के मुताबिक भीख मांगना भी नौकरी है. फिर तो जीवनयापन के लिए भीख मांगने को मजबूर होने वाले गरीब और दिव्यांग लोगों को भी नौकरीपेशा माना जाना चाहिए'.

 

एक अन्य ट्वीट में चिदंबरम ने मोदी सरकार की मुद्रा योजान पर सवाल उठाते हुए कहा, 'मुद्रा योजना में 43 हजार का लोन लेकर एक व्यक्ति को रोजगार सृजक बनाने का दावा किया गया था लेकिन ऐसा कोई व्यक्ति नहीं दिखता जिसने इतने निवेश में एक भी रोजगार पैदा किया हो.

 

 

मनरेगा में रोजगार देने के वादे पर चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, 'एक केंद्रीय मंत्री चाहते हैं कि मनरेगा मजदूरों को नौकरीपेशा माना जाए, इसके मुताबिक तो वो मजूदर 100 दिन तक नौकरीपेशा हैं जबकि बाकी 265 दिन बेरोजगार.'

 

 

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सच्चाई ये कि फिलहाल देश में नौकरियों नहीं हैं, सरकार भी रोजगार के नए अवसर पैदा करने में असफल है.

ईंधन की कीमतों को लेकर सरकार पर बोला हमला
पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने  21 जनवरी को भी ईंधन की रिकॉर्ड ऊंची कीमतों को लेकर मोदी सरकार को उपभोक्ता विरोधी करार दिया था. उन्होंने उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए ईंधन को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने की मांग की. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने एचपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी ओएनजीसी द्वारा खरीदे जाने को लेकर ट्विटर पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि इसका राजकोषीय घाटा पर असर पड़ेगा.

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उन्होंने लिखा, ‘‘पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गयी हैं. सरकार उपभोक्ताओं का लगातार दोहन कर रही है. यह निश्चित उपभोक्ता विरोधी है.’’ उन्होंने आश्चर्य व्यक्त किया कि भारतीय जनता पार्टी दोनों पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाकर लोगों को राहत क्यों नहीं दे रही है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भाव बढ़ने के कारण दिल्ली में डीजल की कीमत रिकॉर्ड 61.74 रुपये प्रति लीटर के उच्च स्तर पर पहुंच गयी है. पेट्रोल भी 71.18 रुपये प्रति लीटर के स्तर को पार कर गया है. उन्होंने राजकोषीय घाटा लक्ष्य को पार किये जाने पर चिंता जताते हुए कहा, ‘‘सरकार ने कर्ज में 30 हजार करोड़ रुपये की कटौती की है लेकिन ओएनजीसी एचपीसीएल में सरकार की हिस्सेदारी खरीदने के लिए 30 हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेगी. इसका समान असर होना है.’’

(एजेंसी इनपुट के साथ)

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