नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को करीब 14,000 करोड़ रुपये की चपत लगाई थी और वह अपने परिवार के साथ विदेश भाग गया.
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नई दिल्ली : अरबों रुपये के पीएनबी घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी को घेरने के लिए भारत सरकार तो हर स्तर पर प्रयास कर ही रही है, अब खुद पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपनी अलग रणनीति तैयार की है. पीएनबी ने हांगकांग समेत उन देशों की अदालतों में नीरव के खिलाफ अर्जी दायर की है जहां-जहां नीरव और मेहुल की संपत्ति और उनके कारोबार हैं. मामा-भांजे ने मिलकर पीएनबी को करीब 14,000 करोड़ रुपये की चपत लगाई है.
बता दें कि हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक को करीब 14,000 करोड़ रुपये की चपत लगाई थी और वह अपने परिवार के साथ विदेश भाग गया. विदेश में नीरव पर शिकंजा कसने के लिए पीएनबी ने हांगकांग कोर्ट में एक अर्जी दाखिल की है.
जानकारी के मुताबिक, इस अर्जी में नीरव के खिलाफ 50 लाख डॉलर की वसूली में मदद की मांग की गई है. नीरव की कंपनी फायरस्टार डायमंड्स इंटरनेशनल के खिलाफ यह अर्जी दाखिल की गई है. कुछ खबरों में दावा किया गया है कि नीरव मोदी अपने परिवार के साथ हांगकांग में रह रहा है और वहीं अपना कारोबार भी चला रहा है.
Punjab National Bank moves Hong Kong High Court against #NiravModi. PNB will also approach the courts of other countries where #NiravModi and #MehulChoksi have assets and businesses. pic.twitter.com/5LaKB8ou7B
— ANI (@ANI) 21 अप्रैल 2018
पीएनबी ने हांगकांग के अलावा उन देशों के कोर्ट में भी इस तरह की अर्जी दाखिल की हैं, जहां-जहां नीरव और मेहुल चौकसी का कारोबार है. उधर, भारत सरकार भी नीरव मोदी को गिरफ्तार करने के अनुरोध पर हांगकांग के अधिकारियों की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने बताया था कि भारत ने हांगकांग से भगोड़े अपराधियों के आत्मसमर्पण के लिए प्रत्यर्पण समझौते के तहत नीरव मोदी को सौंपे जाने का आग्रह किया है.
11 आरोपी गिरफ्तार
सीबीआई ने इस मामले में 11 लोगों को गिरफ्तार किया है. इसमें बैंक के बड़े अधिकारी और नीरव मोदी की कंपनियों के अधिकारी भी शामिल हैं. इसके अलावा सीबीआई कोर्ट ने मुख्य आरोपी नीरव और मेहुल के खिलाफ गैरजमानती वारंट भी जारी किए हैं.
गौरतलब है कि नीरव मोदी और मेहुल चौकसी ने पीएनबी की मुंबई स्थित ब्रैडी हाउस ब्रांच के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर इस घोटाले को अंजाम दिया था. फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिए पैसों की निकासी की गई. इस मामले की जांच ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियां कर रही हैं.