Ship Fuel: पानी के जहाज में कौन से तेल यूज किया जाता है. इससे जुड़े कई सवाल हैं जैसे कि अगर प्लेन में फ्यूल खत्म होने पर वह जमीन पर आ गिरेगा, तो क्या शिप तेल न होने पर समंदर में डूब जाएगा? यहां जानिए...
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Ship Fuel: विश्व में शिपिंग के जरिए सबसे ज्यादा व्यापार होता है, जो व्यापार का सबसे पुराना माध्यम भी है. आंकड़े उठाकर देखें तो पता चलता है कि आज भी दुनिया में करीब 90 फीसदी व्यापार शिपिंग के जरिए ही किया जाता है, लेकिन आज हम व्यापार के बारे में बात नहीं करेंगे, बल्कि आज हम जानेंगे कि उत्पादों को ढोने वाले ये विशाल समुद्री मालवाहक जहाज में कौन सा ईंधन इस्तेमाल किया जाता है. आज हम आपको शिप्स से जुड़ी कुछ दिलचस्प जानकारी देने जा रहे हैं...
पानी के जहाज में कौन सा फ्यूल इस्तेमाल होता है?
सबसे पहले बात करते हैं समंदरों के रास्ते हजारों-लाखों किलोमीटर की दूरी तय करने वाले इन जहाजों के ईंधन के बारे में, तो आपको बता दें कि पानी पर चलने वाले जहाज ज्यादातर डीजल जैसे फॉसिल फ्यूल से चलते हैं, जिनसे समुद्रों में बहुत प्रदूषण भी फैलता है. हालांकि, पूरी दुनिया के कई साइंटिस्ट और इंजीनियर्स इसके लिए बेहतर विकल्पों की तलाश करने में जुटे हुए हैं.
जहाज का तेल खत्म होने पर क्या होता है?
अगर आसमान में उड़ान भर रहे जहाज का ईंधन खत्म हो जाएगा तो वो जमीन पर गिर सकता है, लेकिन शिप में फ्यूल खत्म होने पर उनका समंदर में डूबने का कोई खतरा नहीं होता है. दरअसल, पानी पर तैरने वाले परिवहन के साधन जैसे जहाज, बोट आदि आर्कमिडीज के सिद्धांत को ध्यान में रखकर तैयार किए जाते हैं. इस सिद्धांत के मुकाबिक पानी में डूबी किसी चीज पर ऊपर की ओर लगने वाला कुल बल वस्तु द्वारा हटाए गए पानी के भार के बराबर होता है.
इसे आसान भाषा में कहा जाए तो हम जब पानी में लोहे की कोई चीज डालते हैं, तो वो अपने वजन के बराबर ही पानी को हटाती हुई नीचे तक लेकर जाती है. वहीं, शिप में जो हवा होती है, उसका पानी की अपेक्षा बहुत कम घनत्व होता है, जो इसे पानी में डूबने से रोके रखती है.
समंदर में कैसे आगे बढ़ता है जहाज?
हर जहाज को अलग तरीके से डिजाइन किया जाता है, जिससे इंजन, पैडल व्हील, मशीनों और प्रोपेलर पानी के दवाब को ऊपर करके उसे गति प्रदान करता है. इससे जहाज को आगे बढ़ने के लिए हवा मिलती है. जहाज में प्रोपेलरों की संख्या उसके आकार पर निर्भर करती है. हालांकि, ज्यादातर जहाजो में 4 प्रोपेलर लगाए जाते हैं. अगर किसी वजह से जहाज में एक सीमा से ज्यादा पानी भर जाता है, तो जहाज का भार बढ़ा जाता है और वह डूबने लगता है.