आयुष्मान खुराना का मानना है कि जब फिल्मों के चयन करने की बात आती है तब उन्हें अपने मन की आवाज पर पूरा विश्वास होता है और उन्होंने इसपर भरोसा करना सीखा है.
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नई दिल्ली: फिल्म जगत में पिछले छह सालों में करीब दर्जन भर फिल्में कर चुके आयुष्मान खुराना का कहना है कि उनका उद्देश्य कला के प्रति अपनी इसी ईमानदारी को बनाये रखते हुए अपने अनुकूल प्रदर्शन को जारी रखना है. 2012 में आयी फिल्म ‘‘विक्की डोनर’’ से सिनेमा जगत में कदम रखने वाले आयुष्मान ने ‘‘दम लगा के हईशा’’ और ‘‘शुभ मंगल सावधान’’ जैसी जिंदगी की सच्चाई पर आधारित कई फिल्में की है. हाल ही में आयी श्रीराम राघवन द्वारा निर्देशित उनकी पहली थ्रिलर फिल्म ‘‘अंधाधुन’’ की फिल्म समीक्षकों ने काफी सराहना की है. इसके बाद उनकी अगली फिल्म ‘‘बधाई हो’’ सिनेमाघरों में बृहस्पतिवार को रिलीज हुई, जिसे जमकर तारीफें मिल रही हैं.
आयुष्मान ने बताया, ‘‘मैं अपनी हर एक फिल्म को अपनी पहली फिल्म के रूप में लेता हूं. यदि आप पूरी ईमानदारी से काम करते हैं, तो यह कैमरे में प्रतिबिंबित होता है. मुझे पता है कि मैं एक स्टार बन चुका हूं लेकिन मैं इसपर विश्वास नहीं करना चाहता. मैं इतना सरल बनना चाहता हूं कि किसी फिल्म को ऐसे करूं जैसे कि यह मेरी पहली फिल्म है.’’
34 वर्षीय अभिनेता का मानना है कि जब फिल्मों के चयन करने की बात आती है तब उन्हें अपने अन्तर्मन पर पूरा विश्वास होता है और उन्होंने इसपर भरोसा करना सीखा है. उन्होंने कहा कि मेरा अभिनय करियर अभी ऊपर चढ़ ही रहा है. 'विक्की डोनर' के बाद, मैंने दो-तीन असफल फिल्में की और वह वक्त काफी कुछ सिखाने वाला था. लेकिन 'दम लागा के हईशा' के बाद यह सब अच्छा हो गया. मैंने अपनी सभी फिल्मों, चाहे वह सफल हो या असफल, से बहुत कुछ सीखा है.