श्रीदेवी ऐसा इसलिए कर सकीं क्योंकि सिर्फ और सिर्फ उनको देखने लोग सिनेमाघरों में जाते थे. इसीलिए उनको देश की पहली महिला सुपरस्टार कहा गया.
Trending Photos
एक जमाना था जब हिंदी सिनेमा में पहली बार एक घटना घटी. एक से बढ़कर एक हीरो-हीरोइन से भरी फिल्म इंडस्ट्री में 1969 में 'सुपरस्टार' शब्द का जन्म हुआ. वह राजेश खन्ना का दौर था. वह दौर जिसने देखा है, वह उस दौर में बॉक्स ऑफिस पर राजेश खन्ना के होने का मतलब समझते हैं. राजेश खन्ना की कामयाबी को जानते हैं. उसके करीब डेढ़ दशक बाद पहली फीमेल सुपरस्टार का खिताब भी इसी तरह साउथ से आई एक एक्ट्रेस को दिया गया, जिसका नाम श्रीदेवी था. आज श्रीदेवी के नहीं रहने पर ये तुलना इसलिए क्योंकि यदि इंडस्ट्री को पहला सुपरस्टार राजेश खन्ना के रूप में मिला तो कमोबेश इसी तरह का पहला महिला सुपरस्टार होने का खिताब बॉक्स ऑफिस समेत लाखों दिलों पर राज करने वाली श्रीदेवी को मिला.
श्रीदेवी: जब 103 डिग्री बुखार में भी 'किसी के हाथ न आयी थी ये लड़की...'
1980 के दशक में शोख अंदाज और चंचल आंखों वाली श्रीदेवी का बॉक्स ऑफिस पर दबदबा कुछ ऐसा था कि कहते हैं कि उस जमाने में मेगास्टार अमिताभ बच्चन के साथ काम करने के लिए उनके बराबर फीस की मांग कर दी थी. यह उस जमाने में इसलिए बड़ी बात थी क्योंकि एक्टर के सामने अभिनेत्रियों को अपेक्षित तवज्जो नहीं मिलती थी. श्रीदेवी ऐसा इसलिए कर सकीं क्योंकि सिर्फ और सिर्फ उनको देखने लोग सिनेमाघरों में जाते थे. इसीलिए उनको देश की पहली महिला सुपरस्टार कहा गया. कुछ ऐसा ही करिश्मा राजेश खन्ना ने अपने दौर में किया था.
जिस वजह से गई श्रीदेवी की जान, उसमें बचने के होते हैं बहुत कम चांसेस
श्रीदेवी की निश्छल मुस्कान, मॉडर्न लुक ने महिला एक्टरों के चरित्र को रुपहले पर्दे पर बदला. उनसे पहले भी ऐसे किरदार पर्दे पर रहे लेकिन बॉक्स ऑफिस पर मेलोड्रामा फिल्मों में भावप्रवण एक्टिंग करने वाली अभिनेत्रियों का ही दबदबा था. लेकिन इसके बरक्स श्रीदेवी ने स्वतंत्र, आधुनिक चरित्र को पर्दे पर जिया और उसके बाद मेनस्ट्रीम सिनेमा में हीरोईन देखने का चलन कुछ ऐसा ही होता चला गया. इस मामले में अभिनेत्रियों को सिनेमा के रुपहले पर्दे पर आधुनिक बनाने का श्रेय काफी हद तक उनको जाता है. ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि जिस दौर में वह आईं उस जमाने में सिनेमा और लोगों की लाइफस्टाइल बदल रही थी. परंपरा और आधुनिकता के बीच की कश्मकश लोगों की जिंदगियों को बदल रही थी.
बेटी जाह्नवी को लेकर एक साल से घबराहट में थीं श्रीदेवी, कही थी ये बात
इसी दौर में लोगों ने पर्दे पर स्मार्ट, मॉडर्न, स्वतंत्र और स्ट्रांग कैरेक्टर के रूप में श्रीदेवी को पर्दे पर देखा. देखते ही देखते वह लोगों के दिलों पर राज करने लगीं. यह एंग्री यंगमैन के दौर के बाद का युग था, जो मॉडर्न और सुविधा-संपन्न था. इस तबके को श्रीदेवी का जलवा पसंद आया और वह रुपहले पर्दे पर रूप की रानी बन गईं.
15 साल का अंतराल
श्रीदेवी के बाद माधुरी दीक्षित ही काफी हद तक स्टारडम की उस कामयाबी को हासिल कर सकीं लेकिन उसके बाद फिर बॉक्स ऑफिस पर किसी महिला एक्टर का जलवा इस कदर स्थापित नहीं हुआ. श्रीदेवी ने शादी के एक साल बाद 1997 में फिल्में करना छोड़ दिया और उसके 15 साल बाद 2012 में 'इंग्लिश विंग्लिश' फिल्म से लौटीं. संभवतया इसीलिए उन्होंने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ''एक्टर-मॉम-हाउसवाइफ-एक्टर अगेन!''