नवरात्र 2018: व्रत में क्यों नहीं खाया जाता अन्न, जानें फलाहारी का महत्व
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नवरात्र 2018: व्रत में क्यों नहीं खाया जाता अन्न, जानें फलाहारी का महत्व

नवरात्र के व्रत में फलाहारी तो की जा सकती है लेकिन अन्न खाना इस दौरान वर्जित होता है. 

(फोटो साभार- Twitter)

नई दिल्ली: पूरे देश में मां दुर्गा की आराधना का त्योहार नवरात्र शुरू हो गया है. नौ दिन तक चलने वाले मां के व्रत में अन्न नहीं खाया जाता. नवरात्र के व्रत में फलाहारी तो की जा सकती है लेकिन अन्न खाना इस दौरान वर्जित होता है. इन नौ दिनों में व्रत रखने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं. इससे जुड़े महत्वपूर्ण नियमों में से एक है नौ दिनों तक अन्न के साथ ही प्याज-लहसुन, शराब और नॉन वेज भी का भी परहेज किया जाता है. वैसे देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग तरह से मनाया जाता है. बंगाल में इससे उलट खूब मौज-मस्ती के साथ मां काली की पूजा-अर्चना की जाती है. 

नवरात्रि से जुड़ी धार्मिक मान्यताएं 
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो व्रत करने से शरीर शुद्ध और मन साफ होता है. इसी वजह से इंसान भगवान की साधना शांति से कर पाता है. ऐसे करने से उसकी इच्छाशक्ति भी प्रबल होती है. वहीं मेडिकली व्रत रखने के पीछे का कारण है कि व्रत करने से बॉडी डिटॉक्स हो जाती है जिससे इम्यून सिस्टम मजबूत होता है और बीमारियां दूर रहती हैं. 

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नवरात्रि में सिर्फ फलाहारी क्यों? 
नवरात्रि के नौ दिन व्रत करने वाले लोग हों या फिर पहला और आखिरी व्रत करने वाले, सभी फलाहारी का सेवन ही करते हैं. व्रत रखने वाले लोग फल, जूस, दूध और मावा की बनी मिठाई खाते हैं. इस दौरान सेंधा नमक का सेवन भी किया जा सकता है. कुट्टू का आटा और साबूदाने की बनी चीजों को भी खाना लोग पसंद करते हैं. 

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क्या कहता है आयुर्वेद? 
प्राचीन समय में तपस्वी और मुनि कठोर तप करते थे और इस दौरान वह सिर्फ फूल-फल और पेय पदार्थों का सेवन करते थे. इस कारण से उनका शरीर विषैले तत्वों से दूर रहता था. आयुर्वेद के मुताबिक जब मौसम बदलता है तो मांसाहार, लहसुन, प्याज आदि के सेवन से परहेज करना चाहिए. नवरात्रि के दौरान शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है. इसलिए हल्का भोजन सेहत के लिए अच्छा होता है.

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