बस दो मिनट के लिए दें ध्यान और सर्वाइकल के दर्द का पाएं समाधान
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बस दो मिनट के लिए दें ध्यान और सर्वाइकल के दर्द का पाएं समाधान

आज के समय में सुख-सुविधाएं जुटाने के लिए लोग अपने शरीर पर जरूरत से ज्यादा भार डाल रहे हैं. शरीर पर ध्यान देने के लिए हमारे पास समय नहीं है. अगर इस समस्या का इलाज समय रहते करा लिया जाए तो इस बीमारी से आसानी से बचाव हो सकता है.

लगातार गलत तरीके से काम करते रहने से हम बीमारियों को दावत दे रहे हैं

नई दिल्ली : वर्किंग कल्चर के बदलने से सबसे ज्यादा असर हमारी सेहत पर पड़ रहा है. लगातार 8-9 घंटे कुर्सी पर जमे हुए कंप्यूटर स्क्रीन में आंखें गढ़ाते हुए काम करना कई बीमारियों को दावत देता है. नतीजा कमर, गर्दन, सिर दर्द हमें सौगात में मिल रहे हैं. यही दर्द सरवाइकल बनकर लाइलाज बन जाते हैं. समय से पहले ही हमारा शरीर जवाब देने लगता है. रीढ़ की बीमारियां अधिक तेजी से बढ़ रही हैं. गर्दन और उसके आसपास के हिस्सों में दर्द रहने लगता है. आज के समय में सुख-सुविधाएं जुटाने के लिए लोग अपने शरीर पर जरूरत से ज्यादा भार डाल रहे हैं. शरीर पर ध्यान देने के लिए हमारे पास समय नहीं है. अगर इस समस्या का इलाज समय रहते करा लिया जाए तो इस बीमारी से आसानी से बचाव हो सकता है.

  1. वर्किंग कल्चर से दे रहा है बीमारियों को दावत
  2. एक ही एंगल में काम करने से सरवाइकल का खतरा
  3. काम के बीच में लें ब्रेक और करें एक्सरसाइज

सरवाइकल के लक्षण
गर्दन के पिछले हिस्से में दर्द. सिर के पिछले हिस्से, कंधे, बांह, छाती में दर्द रहता है. गर्दन को हिलाने-डुलाने पर दर्द महसूस होता है. चक्कर आना व आंखों में सामने अंधेरा छाना जैसी समस्या होती हैं. दर्द गर्दन से होता हुआ हाथों तक आ जाता है. पीठ में लगातार तेज दर्द रहता है. कई बार सांस लेने तक में परेशानी होती है. यहां सरवाइकल से छुटकारा पाने के कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं. इस टिप्स पर अमल करके कमर, पीठ या गर्दन के दर्द को काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है.

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चूंकि सरवाइकल बढ़ती आयु का सामान्य हिस्सा है, इससे बचने के लिए हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. लेकिन, बदलते वर्किंग कल्चर से यह बीमारी अब छोटी उम्र में भी देखी जा रही है.

-नियमित व्यायाम करने से और सिर, गर्दन, और कंधों पर दबाव डालने वाली गतिविधियों को सीमित करने से कुछ लक्षणों से बचा जा सकता है.
-खेल खेलते समय उचित साधनों और तरीकों के प्रयोग से गर्दन की चोट के खतरे को कम किया जा सकता है और इससे सरवाइकल स्पॉन्डिलाइटिस उत्पन्न होने का खतरा भी घट जाता है.
-खड़े रहते समय, बैठते समय, कंप्यूटर पर कम करते समय, वाहन चलते समय, और सोते समय सही शारीरिक एंगल रखने से भी रीढ़ को क्षति से बचाव होता है.
-गर्दन एवं कंधे का व्यायाम नियमित करें. सही स्थिति में बैठें. पैर जमीन पर एवं पीठ कुर्सी के पृष्ठ भाग पर सीधी रखें.
-झुककर या एक जैसी स्थिति में लगातार काम न करें. बीच-बीच में कंधे, गर्दन को घुमाएं. मोटे तकिए व मसनद का उपयोग कम या बंद कर दें.
-गर्दन के दर्द वाले भाग की गर्म कपड़े से सिकाई करने या बर्फ घिसने से दर्द ठीक हो जाता है, फिर भी दर्द बना रहे तो हड्डी रोग विशेषज्ञ से मिलें और उपचार लाभ लें.

बॉडी का सही एंगल
बॉडी का पॉश्चर ठीक नहीं होने से रीढ़ की हड्डी का बैलेंस बिगड़ जाता है और इसके बिगड़ने से कमर के निचले हिस्से और गर्दन में तेज दर्द होता है. लेकिन अगर आप अपने पॉश्चर को ठीक रखते है तो सरवाइकल के असहनीय दर्द से बच सकते हैं.

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काम के बीच में ब्रेक
लंबे समय तक एक ही स्थिति में बैठने और खड़े होने से बचें. नियमित रूप से ब्रेक लेना अपनी आदत बना लें और हर दो घंटे के बाद ब्रेक लें. इससे शरीर को आराम मिलेगा.

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सोने का सही तरीका
सरवाइल के मरीजों को सोने के समय भी खास ध्यान रखना चाहिए. सोने के लिए सामान्य स्थिति बनाए रखें. तकीए का इस्तेमाल ना करें. अगर जरूरत है तो कम मोटाई वाला नरम तकीया इस्तेमाल करें. सोने के लिए लकड़ी का तख्त या जमीन पर बिस्तर लगाएं. खाट या फोलडिंग पलंग के इस्तेमाल से बचें.

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