नित नूतन प्रयोगों के लिए मशहूर इंटरनेट जगत में ‘30 शेड्स आफ बेला ’ के रूप में एक नयी पहल सामने आयी है जिसमें तीस विभिन्न लेखकों ने 30 दिन में एक कहानी प्लाट को अपनी विशिष्ट शैली और अनूठी कल्पनाशक्ति से एक उपन्यास का रूप दिया है.
Trending Photos
नई दिल्ली: नित नूतन प्रयोगों के लिए मशहूर इंटरनेट जगत में ‘30 शेड्स आफ बेला ’ के रूप में एक नयी पहल सामने आयी है जिसमें तीस विभिन्न लेखकों ने 30 दिन में एक कहानी प्लाट को अपनी विशिष्ट शैली और अनूठी कल्पनाशक्ति से एक उपन्यास का रूप दिया है. वरिष्ठ पत्रकार जयन्ती रंगनाथन के सम्पादन में आई यह पुस्तक दरअसल आभासी दुनिया में पहले उतरी और उसने ‘‘काग़जी पैरहन’’ बाद में पहना. इस कहानी को तीस विभिन्न लेखकों ने फेसबुक की पोस्ट के माध्यम से आगे बढ़ाया है.
हिन्दी साहित्य में दशकों पहले एक कृति आयी थी ‘बहती गंगा’ उपन्यास. शिवप्रसाद मिश्र 'रुद्र' के इस उपन्यास में काशी के 200 साल के इतिहास को अलग अलग कहानियों में पिरोया गया था. ये कहानियां अपने आप में स्वतंत्र होने के बावजूद आपस में किसी न किसी प्रकार से जुड़ी हैं और इसे एक उपन्यास का स्वरूप प्रदान करती हैं.
बनारस के आसपास घूमता प्लाट
दिलचस्प है कि ‘30 शेड्स आफ बेला’ की कहानी प्लाट भी बनारस के आसपास ही घूमता है. बनारस देश-विदेश के युवा-बुजुर्ग सहित सभी श्रेणी के पर्यटकों का आकर्षण का केन्द्र है. कहानी की शैली पर्यटक वाली रूचि के साथ शुरू होकर भावनात्मक एवं रहस्य-रोमांच के तमाम सीढ़ियों पर चढ़ते हुए पाठकों की उत्सुकुता को बनाये रखती है.
क्या आप भी नोटिफिकेशन से परेशान हैं? फेसबुक लाया नया फीचर
हिन्दी में अभी तक दो या तीन लेखकों द्वारा कोई उपन्यास लिखने के उदाहरण तो मिलते हैं. किन्तु एक साथ तीस लेखकों का एक ही कहानी को आगे बढ़ाने का यह बिल्कुल नवीन प्रयोग है.
अंग्रेजी में भी हुआ अनुवाद
पुस्तक पढ़ते समय लेखकों को कई बार कहानी में कुछ शिथिलता महसूस हो सकती है. लेकिन हमें यह बात भी याद रखना चाहिए कि मूल लेखन फेसबुक पोस्ट के रूप में हुआ है जिसकी अपने लाभ एवं सीमितताएं होती हैं. साथ मूल लेखन हिन्दी के साथ अंग्रेजी में भी हुआ है. अंग्रेजी लेखन का बाद में हिन्दी में अनुवाद हुआ.
ये APP चुराता था आपके फेसबुक, व्हॉट्सऐप से सीक्रेट मैसेज, फिर जो हुआ...
बेला एक पढ़ी-लिखी आधुनिक विचार वाली भारतीय लड़की है. उसके जीवन में घटनाचक्र कुछ इस तरह से घूमता है कि उसे अपने आसपास, अपने पति, माता-पिता तक पर सन्देह होने लगता है. लेखक बदलने के साथ साथ बेला की कहानी में नये नये मोड़ भी आते रहते हैं. वैसे यदि कुछ घटनाएं कम होती तो भी बेला के चरित्र को बखूबी संवारा जा सकता है. बहरहाल, यह तय है कि यदि आप इस पुस्तक के दो पृष्ठ भी पढ़ लेंगे तो आपके लिये फिर इसे अधूरा छोड़ना मुश्किल लगेगा.