राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता बिप्लब रॉय ने कहा कि इसमें से 40 फीसदी अनुरोध बंगाल से आए हैं.
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कोलकाता: सात जून को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के हेडक्वार्टर में एक कार्यक्रम में शिरकत करते हुए ग्रेजुएट होने वाले स्वयंसेवकों को संबोधित किया था. उस भाषण के बाद से आरएसएस ज्वाइन करने वाले आवेदनों की संख्या में तकरीबन चार गुना इजाफा हुआ है. इस कड़ी में उनके गृह राज्य पश्चिम बंगाल में संगठन में शामिल होने का अनुरोध करने वाले लोगों की संख्या में सबसे ज्यादा वृद्धि देखने को मिली है.
40 फीसदी अनुरोध बंगाल से आए
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ नेता बिप्लब रॉय ने कहा कि नागपुर में सात जून को मुखर्जी के भाषण के बाद संगठन में शामिल होने के लिये संघ को लोगों की तरफ से कई आवेदन मिले हैं. रॉय ने संवाददाताओं से कहा, ''एक जून से छह जून के बीच औसतन हमें हमारी वेबसाइट 'ज्वाइन आरएसएस' पर राष्ट्रीय स्तर पर रोजाना 378 अनुरोध प्राप्त होते थे. सात जून को हमारे शिक्षा वर्ग को मुखर्जी के संबोधित करने के बाद से हमें 1779 आवेदन मिले हैं. सात जून के बाद हमें रोजाना 1200-1300 अनुरोध मिल रहे हैं.'' उन्होंने कहा कि इसमें से 40 फीसदी अनुरोध बंगाल से आए हैं.
संघ के किसी कार्यकर्ता ने प्रणब मुखर्जी के नागपुर दौरे का विरोध क्यों नहीं किया?
यह पूछे जाने पर कि मुखर्जी के कार्यक्रम में हिस्सा लेने से क्या लोगों के बीच आरएसएस की लोकप्रियता बढ़ी है तो उन्होंने कहा, ''इस तरीके से व्याख्या करना सही नहीं होगा कि मुखर्जी की वजह से आरएसएस की स्वीकार्यता बढ़ी है. आरएसएस समाज में अपनी गतिविधियों की वजह से लोगों के बीच लोकप्रिय है.'' उन्होंने कहा, ''लेकिन, हां। मुखर्जी के भाषण के बाद से लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है. यह उसके कारणों में से एक है.''
कांग्रेस नेताओं का विरोध
आरएसएस कार्यक्रम में मुखर्जी की शिरकत का कांग्रेस के कई नेताओं ने तीखा विरोध किया था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने उनके इस फैसले से असहमति जताते हुए कहा कि ‘प्रणब दा’ से ऐसी उम्मीद नहीं थी. सिर्फ इतना ही नहीं मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था कि उनके पिता आरएसएस के कार्यक्रम में भाषण देने के अपने फैसले से भाजपा और आरएसएस को झूठी खबरें फैलाने का मौका दे रहे हैं.
(इनपुट: समाचार एजेंसी भाषा से भी)