अमित शाह पहली बार राज्यसभा पहुंचेंगे. जबकि अहमद पटेल पांचवी बार राज्यसभा में जाएंगे.
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गांधीनगर : करीब 10 घंटे तक चले हाई-वोल्टेज ड्रामे के बाद कांग्रेस की प्रतिष्ठा का सवाल बने अहमद पटेल मंगलवार (8 अगस्त) को राज्यसभा चुनाव जीत गए. अहमद पटेल को 44 वोट मिले. वहीं, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी जीत हासिल की. भाजपा के इन दोनों नेताओं को 46-46 वोट मिले. अमित शाह पहली बार राज्यसभा पहुंचेंगे. जबकि अहमद पटेल पांचवी बार राज्यसभा में जाएंगे. भाजपा ने कांग्रेस छोड़कर पार्टी में शामिल हुए बलवंत सिंह राजपूत को तीसरी सीट के लिए उम्मीदवार बनाया था. जिन्हें अहमद पटेल के हाथों हार का सामना करना पड़ा. इस अहम जीत के बाद पटेल ने ट्वीट किया- 'सत्यमेव जयते'. पटेल ने अपनी इस जीत के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट किए. उन्होंने अपनी इस जीत के लिए कांग्रेस के विधायकों और शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद दिया. पटेल ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर भरोसा जताया और उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में आगामी चुनाव जीतेगी.
सत्यमेव जयते
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) August 8, 2017
अहमद पटेल ने जीत के बाद कहा कि यह केवल मेरी जीत नहीं है. यह धनबल, बाहुबल के धड़ल्ले से इस्तेमाल और राज्य मशीनरी के दुरुपयोग की हार है.
I want to thank each & every MLA who voted for me despite unprecedented intimidation & pressure from BJP.They voted for an inclusive India
— Ahmed Patel (@ahmedpatel) August 8, 2017
गुजरात की तीन राज्यसभा सीटों के लिए मतगणना मंगलवार (8 अगस्त) रात यहां सात घंटे की देरी के बाद शुरू हुई. इससे पहले चुनाव आयोग ने दो बागी कांग्रेस विधायकों के वोट अमान्य करने का फैसला किया था. कांग्रेस को बड़ी राहत देते हुए चुनाव आयोग ने गुजरात राज्यसभा चुनाव में उसके दो विधायकों के डाले गये वोटों को ‘मतपत्रों की गोपनीयता’ का उल्लंघन करने के मामले में मंगलवार (8 अगस्त) को रात खारिज कर दिया था. आयोग ने निर्वाचन अधिकारी से कांग्रेस विधायक भोलाभाई गोहिल और राघवजी भाई पटेल के मतपत्रों को अलग करके मतगणना करने को कहा था. आयोग के आदेश के अनुसार मतदान प्रक्रिया का वीडियो फुटेज देखने के बाद पता चला कि दोनों विधायकों ने मतपत्रों की गोपनीयता का उल्लंघन किया था.
गुजरात राज्यसभा चुनाव के लिए मतगणना शुरू होने के बाद कुछ मिनट के लिए रुक गयी जब भाजपा ने दावा कर दिया कि दो और कांग्रेसी विधायकों ने अनधिकृत लोगों को मतपत्र दिखाकर चुनाव नियमों की अवहेलना की. हालांकि कांग्रेस और भाजपा के सूत्रों ने कहा कि कुछ देर के बाद मतगणना फिर शुरू हो गयी. जिसके बाद परिणाम कांग्रेस के राज्यसभा उम्मीदवार अहमद पटेल के पक्ष में आया.
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शंकर सिंह वाघेला ने दिया था भाजपा को वोट
पटेल को अपने वोट का भरोसा दे चुके शंकर सिंह वाघेला ने पांच अन्य कांग्रेस विधायकों के साथ भाजपा के पक्ष में मतदान किया. इतना ही नहीं वाघेला ने यह भी दावा किया कि पटेल ने भाजपा के तोड़फोड़ से बचाने के लिए बेंगलुरू भेज दिए गए 44 कांग्रेस विधायकों पर गलत विश्वास किया.
वाघेला ने दावा किया, "कांग्रेस जिन 44 विधायकों पर भरोसा कर रही है, उनमें से भी चार-पांच विधायक पार्टी के समर्थन में वोट नहीं देंगे." वाघेला ने वोट डालने के बाद संवाददाताओं से कहा, "मैंने कांग्रेस के पक्ष में वोट नहीं दिया, क्योंकि अहमद पटेल नहीं जीतने वाले, इसलिए वोट बर्बाद करने का कोई मतलब नहीं है. हमने कई बार गुजारिश की कि विधायकों की शिकायतें सुनी जाएं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी."
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अपने 44 विधायकों को कांग्रेस ने होटल में रखा
राज्यसभा चुनाव से एक दिन पहले सोमवार (7 अगस्त) को भाजपा के तोड़फोड़ से बचाने के लिए गुजरात से बेंगलुरु भेजे गए कांग्रेस के 44 विधायक गुजरात लौट आए थे. इन विधायकों को आणंद के पास स्थित निजानंद रेसॉर्ट में रखा गया था. ये सभी मंगलवार (8 अगस्त) को मतदान में हिस्सा लेने सीधे गांधीनगर पहुंचे थे.
182 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 57 विधायक थे, जिनमें से छह ने 26 जुलाई को पार्टी से इस्तीफा दे दिया और उनमें से तीन 28 जुलाई को भाजपा में शामिल हो गए थे. वहीं सोमवार (7 अगस्त) को अहमद पटेल ने भरोसा जताया है कि वह मंगलवार (8 अगस्त) के राज्यसभा चुनाव में जीत हासिल करेंगे. उन्होंने गुजरात में सत्ताधारी भाजपा पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया. पटेल को पांचवीं बार राज्यसभा सदस्य चुने जाने के लिए 45 प्राथमिक मतों की जरूरत थी.
इससे पहले सोमवार (7 अगस्त) को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सचिव पटेल ने आणंद के पास स्थित एक निजी रेसॉर्ट में संवाददाताओं से कहा था, "भाजपा की कोशिशों के बावजूद मेरी जीत को लेकर मुझे पूरा भरोसा है और संख्या सभी को चौंका देगी." कांग्रेस के 44 विधायक इसी रेसॉर्ट में रखे गए थे.
गुजरात की 182 सदस्यों वाली विधानसभा में कांग्रेस के 57 विधायकों में छह विधायकों के 26 जुलाई को इस्तीफा दे दिया था. इस्तीफा देने वाले छह में से तीन ने 28 जुलाई को भाजपा की सदस्यता ले ली. भाजपा से बचे 51 कांग्रेसी विधायकों में से सात विधायक बेंगलुरु से आने वाले विधायकों में शामिल नहीं हुए थे. गुजरात में 1995 में पहली बार भाजपा की सरकार आने के बाद राजनीतिक उठापटक की यह पहली घटना है. गुजरात की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है. गुजरात में यह राजनीतिक अस्थिरता कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शंकर सिंह वाघेला के नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद शुरू हुआ था.
(इनपुट एजंसी से भी)