पर्दे के पीछे की राजनीति करने में यकीन रखते हैं अहमद पटेल
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पर्दे के पीछे की राजनीति करने में यकीन रखते हैं अहमद पटेल

अहमद पटेल कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो टेलीविजन कैमरों की चकाचौंध से दूर रहने और पर्दे के पीछे से राजनीत करने में यकीन करते हैं. कांग्रेस पार्टी में उनका कद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद तीसरे नंबर का माना जाता है. तीसरे नंबर की हैसियत रखते हुए भी पटेल कांग्रेस की सियासत पर अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं. 

तीसरे नंबर की हैसियत रखते हुए भी पटेल कांग्रेस की सियासत पर अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं.  फाइल फोटो

अहमदाबाद : अहमद पटेल कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो टेलीविजन कैमरों की चकाचौंध से दूर रहने और पर्दे के पीछे से राजनीत करने में यकीन रखते हैं. कांग्रेस पार्टी में उनका कद सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बाद तीसरे नंबर का माना जाता है. तीसरे नंबर की हैसियत रखते हुए भी पटेल कांग्रेस की सियासत पर अपनी मजबूत पकड़ रखते हैं.

-अहमद पटेल का जन्म 21 अगस्त 1949 को गुजरात के अंकलेश्वर में हुआ था. उन्होंने श्री जयेंद्र पुरी आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज भरूच से बीएससी (स्नातक) किया.

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-कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने कांग्रेस परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ काम किया है. पटेल, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के भी विश्वासपात्र रहे. इसके बाद वह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के साथ काम करते आ रहे हैं. पटेल ने 2004 और 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायी.

-पटेल इंदिरा गांधी की नजर में उस समय आए जब वह 1977 में भरूच से लोकसभा सीट जीतकर आए. उस समय पटेल संसद पहुंचने वाले सबसे कम उम्र के सांसद थे. 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस की जबर्दस्त हार हुई थी. इस आम चुनाव में खुद इंदिरा गांधी भी हार गयी थीं.

-कांग्रेस के सत्ता में रहते हुए अहमद पटेल कभी मंत्री नहीं बने. पटेल पूर्व पीएम राजीव गांधी के भी करीब और विश्वासपात्र रहे. अपने करीब 40 साल के राजनीतिक जीवन में पटेल ने कांग्रेस पार्टी के लिए कई मौकों पर संकटमोचक की भूमिका निभायी है.

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-जानकारों का कहना है कि गुजरात में पटेलों को बीजेपी के खिलाफ लाने पर अहमद की खास भूमिका रही है. अब शाह उनका संसद का रास्ता रोकने का पूरा प्रयास कर रहे हैं.

-1996 में पटेल को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी का कोषाध्यक्ष बनाया गया था. उस समय सीताराम केसरी कांग्रेस के अध्यक्ष थे. 2000 सोनिया गांधी के निजी सचिव वी जॉर्ज से मनमुटाव होने के बाद उन्होंने ये पद छोड़ दिया था. बाद में 2001 में सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार बन गए.

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