कारगिल की कहानियां : जब कारगिल में घुसा पाक तब विदेश में थे सेनाध्यक्ष
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कारगिल की कहानियां : जब कारगिल में घुसा पाक तब विदेश में थे सेनाध्यक्ष

जब 1999 की गर्मियों में पाकिस्तान की फौज कारगिल की पहाड़ियों में घुस आई, तब तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक विदेश यात्रा पर थे.

कारगिल युद्ध के दौरान सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक विदेश यात्रा पर थे. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: जब 1999 की गर्मियों में पाकिस्तान की फौज कारगिल की पहाड़ियों में घुस आई, तब तत्कालीन सेनाध्यक्ष जनरल वीपी मलिक विदेश यात्रा पर थे. जनरल मलिक ने 'जीन्यूज' डिजिटल को बताया कि जब पहली बार उन्हें इस बारे में जानकारी हुई तो उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ. मलिक ने बताया, 'पहली बार किसी ने अखबार पढ़ कर मुझे यह खबर सुनाई. उन्होंने मुझे बताया कि कुछ घुसपैठिए अंदर आ गए हैं. यह लोग लाइन ऑफ कंट्रोल को क्रॉस करके अंदर आए हैं. मैंने समझा कि यह नामुमकिन है फिर मैंने टेलीफोन करके अपने लोगों से बातचीत की तो उन्होंने कहा, हां, थोड़ा सा इंसिडेंट हुआ है. लेकिन आप फिक्र मत करो. हम उनको यहां से निकाल देंगे.'

  1. पहली बार किसी ने अखबार पढ़ कर मुझे यह खबर सुनाई : मलिक
  2. देश लौटने के बाद श्रीनगर व कारगिल की तरफ जाना चाहता था
  3. कारगिल में मौसम खराब था इसलिए सिर्फ श्रीनगर तक जा पाया

मलिक ने बताया, 'जब मैं देश आया तो सबसे पहले अगले दिन ही श्रीनगर और कारगिल की तरफ जाना चाहता था. श्रीनगर तो मैं गया, लेकिन कारगिल नहीं जा सका. क्योंकि वहां मौसम खराब था. लेकिन मैंने अपने लोगों से ब्रीफिंग ली श्रीनगर में और उधमपुर में. जब डिटेल्स मेरे सामने आए तो मैं समझ गया कि यह सीरियस बात है और इसको हम को सीरियसली लेना चाहिए. तब तक हमारे शहीद होने वाले जवानों की संख्या भी बढ़ती जा रही थी. वह बहुत फिक्र की बात तो थी.'

कारगिल की कहानी बयां करते हुए मलिक ने कहा, 'यह सही बात है कि हमने जिस इलाके में लड़ाई लड़ी, कारगिल, द्रास और लद्दाख के एरिया में, यह बहुत ही कठिन इलाका है. इसमें सिर्फ दुश्मन से ही नहीं निपटना होता है, मौसम और ऊंचाई का ख्याल भी रखना होता है. लेकिन हमारे सामने बहुत ज्यादा समय नहीं था. हमें जल्दी से जल्दी रिएक्ट करना था और वहां के हालात को पलटना था. हमें अपने जवानों की मौत को भी रोकना था. हमने कैबिनेट को सारे हालात से अवगत कराया और उन से परमिशन मांगी. मैं खुद चेयरमैन चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी था. मैंने कैबिनेट को बताया कि आप फिक्र ना करें, हम इस परिस्थिति को टेकल कर सकते हैं. लेकिन हमको पूरी तैयारी के साथ जाना पड़ेगा और इसमें आर्मी, नेवी और एयर फोर्स तीनों जुड़कर काम करेंगे. उस ब्रीफिंग के बाद हमें कैबिनेट से इजाजत मिल गई और हमने अपना काम शुरू कर दिया. आपको याद होगा कि 24 या 25 को एयर फोर्स ने वहां काम शुरू कर दिया. नेवी वालों ने भी अपना काम शुरू कर दिया. हमने माउंटेन डिवीजन को कश्मीर से द्रास भेजा.'

कारगिल विजय दिवस 
भारत में 26 जुलाई कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. कारगिल युद्ध में इसी दिन हमने पाकिस्तान पर विजय हासिल की थी. यह दिन है कारगिल युद्ध में अपनी बहादुरी से देश के सम्मान की रक्षा करने वाले सैनिकों को याद करने का. पाकिस्तान द्वारा भारत पर किए गए इस हमले को नाकाम करने के लिए भारत ने ऑपरेशन विजय के नाम से दो लाख सैनिकों को तैनात किया और इसमें 527 कभी लौटकर नहीं आए. पूर्व सेनाध्यक्ष वीपी मलिक कारगिल युद्ध के समय सेना का नेतृत्व कर रहे थे. उन्होंने इस यु्द्ध के अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी- 'कारगिल एक अभूतपूर्व विजय.'

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