कोशिशें मुझको मिटाने की मुबारक हों मगर....पढ़िए कुमार विश्वास की कुछ ऐसी ही लोकप्रिय कविताएं
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कोशिशें मुझको मिटाने की मुबारक हों मगर....पढ़िए कुमार विश्वास की कुछ ऐसी ही लोकप्रिय कविताएं

कुमार विश्वास यानी एक नई सुबह का कवि जिसमें ताजगी, सम्मोहन, प्रेम, भाषा शैली के मिश्रण के साथ-साथ तुरंत हाजिर जवाबी की वह कला है जिसके रंग में रंगे बिना आप रह नहीं सकते.

नेता बनने से पहले कुमार विश्वास एक लोकप्रिय कवि हैं .(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: कुमार विश्वास यानी एक नई सुबह का कवि जिसमें ताजगी, सम्मोहन, प्रेम, भाषा शैली के मिश्रण के साथ-साथ तुरंत हाजिर जवाबी की वह कला है जिसके रंग में रंगे बिना आप रह नहीं सकते. उनकी लिखी हुई कविता 'कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है' किसी भी कोने से कानों को छु जाए तो आप भी बिना गुनगनाए रह नहीं सकते. कविता को मंच से ले जाकर गांव, गली, मुहल्ला शहरों के कोनों में मुहावरों की तरह प्रचलित करने में कुमार का बड़ा योगदान है. कुमार विश्वास के सम्मोहन का अंदाज़ा इसी बात से लगा सकते हैं कि आप किसी के सामने कोई दीवाना कहता है कि एक पंक्ति गा दीजिए वह अगली पंक्ति खुद गा देगा. कवि कुमार विश्वास इस समय भारतीय राजनीति खासकर दिल्ली की राजनीति के मंच के सबसे लोकप्रिय नेता हैं.

  1. कुमार विश्वास राज्यसभा जाने के लिए कर चुके हैं बगावत
  2. 16 जनवरी को दिल्ली में राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव
  3. आम आदमी पार्टी ने उजागर किए तीनों उम्मीदवारों के नाम

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आम आदमी पार्टी की तरफ से राज्यसभा सीटों के लिए घोषित नामों की लिस्ट में खुद का नाम न मिलने पर कुमार ने खुद की तुलना शहीद से करके अपने को एक नए मुहाने पर खड़ा कर दिया है. अब देखना दिलचस्प होगा 'सुख दुख वाली चादर घटती बढ़ती रहती है, मौला तेरा ताना-बाना चलता रहता है' लिखने वाले कवि का राजनैतिक ताना-बाना कैसा होगा? 

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नेता बनने से पहले कुमार विश्वास एक लोकप्रिय कवि हैं. किसी भी कवि के लिए उसकी कविता सर्वोपरि है. पढ़ें उनकी कुछ बेहतरीन पंक्तियां.... 

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,

खुद से भी मिल न सको, इतने पास मत होना
इश्क़ तो करना, मगर देवदास मत होना

घर के एहसास जब बाजार की शर्तो में ढले,
अजनबी लोग जब हमराह बन के साथ चले,

महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
खुद ही खुद को समझाना तो पड़ता है

मैं तो झोंका हूँ हवाओं का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना, तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा

रूह जिस्म का ठौर ठिकाना चलता रहता है
जीना मरना खोना पाना चलता रहता है

दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला
बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला

होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

कुछ छोटे सपनों की ख़ातिर
बड़ी नींद का सौदा करने

खुद को आसान कर रही हो ना
हम पे एहसान कर रही हो ना

कुमार विश्वास की कुछ रचनाएं (साभार- कविता कोश)

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