'हूल दिवस' के मौके पर सीएम हेमंत सोरने पहुंचे पंचकठिया, सिदो-कान्हू द्वार का किया उद्घाटन
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'हूल दिवस' के मौके पर सीएम हेमंत सोरने पहुंचे पंचकठिया, सिदो-कान्हू द्वार का किया उद्घाटन

संथाल समाज के द्वारा मनाए जानेवाले हूल दिवस के मौके पर सीएम हेमंत सोरेन साहिबगंज पहुंचे.

'हूल दिवस' के मौके पर सीएम हेमंत सोरने पहुंचे पंचकठिया, सिदो-कान्हू द्वार का किया उद्घाटन

साहिबगंज : संथाल समाज के द्वारा मनाए जानेवाले हूल दिवस के मौके पर सीएम हेमंत सोरेन साहिबगंज पहुंचे. यहां पंचकठिया में उन्होंने सिदो-कान्हू द्वार का उद्घाटन किया साथ ही क्रांति स्थल पर जाकर पूजा-अर्चना भी की.  झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने पंचकठिया में अमर शहीद सिदो-कान्हू मुर्मू द्वार का उद्घाटन के साथ ही क्रांति स्थल पंचकठिया पर पूजा अर्चना किया. इस क्रांति स्थल का संथाली समाज में बहुत महत्व है. साहिबगंज के पंचकठिया स्थित क्रांतिस्थल का हूल क्रांति में काफी महत्त्व है. 

वीर सिदो-कान्हू को याद कर ये बोले सीएम हेमंत सोरेन  
हूल दिवस के मौके पर क्रांति स्थल पर सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि आज का दिन आदिवासी समाज के लिए महत्वपूर्ण दिन है. आज के दिन ही सिदो-कान्हू, चांद भैरव ने अपनी ताकत का एहसास पूरी दुनिया को कराया था. जब हमारा समाज काफी पिछड़ा हुआ था. उन्हीं का देन है कि आज झारखंड के आदिवासी को पूरी दुनिया में पहचान मिली है. वीर सिदो-कान्हू की अनेकों कहानियां इतिहास में मिलती है. उन्हीं की वजह से यह राज्य अलग पहचान रखता है. वीर शहीद सिदो-कान्हू के प्रति हमारी श्रद्धा बनी रहेगी. उनके कारण ही आदिवासी समुदाय की पहचान बनी है.

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यहीं से हुई थी हूल क्रांति की शुरुआत 
यही वह स्थल है जहां से हूल क्रांति की शुरुआत हुई थी और इस वट वृक्ष के नीचे आज भी लोगों की काफी आस्था है. आदिवासी समुदाय के लोग शक्ति पाने को लेकर इस वृक्ष में पूजा अर्चना करते हैं और अपने हूल क्रांति के जननायक सिदो-कान्हू को याद करते हैं. 30 जून वही दिन है जब 1855 में हूल क्रांति की बिगुल बजी थी और प्रत्येक वर्ष हूल दिवस के अवसर पर इस क्रांतिस्थल पर मुख्यमंत्री का आगमन होता है और क्रांतिस्थल पर मुख्यमंत्री द्वारा पूजा अर्चना की जाती है. कह सकते हैं कि हूल दिवस कार्यक्रम की शुरुआत इसी क्रांति स्थल से की जाती है. 

भोगनाडीह में अमर शहीद सिद्धो-कान्हो के आवास स्थित प्रतिमा पर सीएम ने किया माल्यार्पण 
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हूल दिवस के अवसर पर भोगनाडीह, साहिबगंज में अमर शहीद सिदो-कान्हू के स्मृति स्थल पर पूजा-अर्चना की और द्वार का उद्घाटन भी किया.
इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने अमर शहीद सिदो-कान्हू के आवास स्थित प्रतिमा पर माल्यार्पण भी किया. 

हूल दिवस अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह का प्रतीक है. झारखंड के अमर शहीद सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो झानो सहित अमर शहीदों को इस मौके पर श्रद्धांजलि दिया गया. इस कार्यक्रम में स्थानीय सांसद विजय हंसदा भी मौजूद थे

 

जल-जंगल-जमीन को बचाने में अहम भूमिका
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज ने देश में अपनी अलग पहचान बनाया है. इतिहास के अनेकों कहानियों में इन्होंने अपना प्रमुख छाप छोड़ा है. आदिवासी समुदाय ने समाज के प्रति कर्तव्य का पालन कर अपनी अलग स्थान बनाई है. यह समाज जल-जंगल-जमीन को बचाने में अपनी प्रमुख भूमिका निभाता रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि इतिहासकारों का मानना है कि पृथ्वी के बनने के बाद सबसे पहले जमीन झारखंड के कोल्हान क्षेत्र में दिखी थी. डायनासोर युग के भी कुछ अवशेष यहां प्राप्त होते हैं.  

अमर शहीद सिदो-कान्हू के आवास पर स्थित प्रतिमा का माल्यार्पण करने के पश्चात सीएम ने उनके वंशजों से मुलाकात की एवं उन्हें उपहार भेंट किया. मुख्यमंत्री ने उनके वंशजों द्वारा दिये गए ज्ञापनों पर संबंधित पदाधिकारियों को त्वरित कार्रवाई करने का निर्देश भी दिया.

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