अपनी ओजस्वी आवाज शानदार भाषण शैली को लेकर जनता को बीच लोकप्रिय वाजपेयी साल 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. यह जनसभा मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई थी.
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नई दिल्ली: भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अब इस दुनिया में नहीं रहे. दिल्ली AIIMS में उन्होंने अंतिम सांस ली. इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री का हालचाल जानने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व उपराष्ट्रपति डॉक्टर हामिद अंसारी सहित कई कैबिनेट मंत्री पहुंच चुके थे. बीजेपी के वरिष्ठ नेता वाजपेयी एक-दो साल नहीं करीब 8 साल से बिस्तर पर थे. अपनी ओजस्वी आवाज शानदार भाषण शैली को लेकर जनता को बीच लोकप्रिय वाजपेयी साल 2005 में आखिरी बार किसी जनसभा को संबोधित किया था. यह जनसभा मुंबई के शिवाजी पार्क में हुई थी.
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की रजत जयंती समारोह में उन्होंने आखिरी बार जनसभा को संबोधित किया. इसके बाद वे दोबारा कभी भी किसी जनसभा में नहीं बोले. इस जनसभा में वाजपेयी ने सबसे छोटा भाषण दिया था. उन्होंने पार्टी में लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन को राम-लक्ष्मण की जोड़ी करार दिया था. इस जनसभा में उन्होंने चुनावी राजनीति से संन्यास की घोषणा की थी. वाजपेयी उस वक्त भी लखनऊ से सांसद थे. हालांकि खराब तबीयत की वजह से वो लोकसभा में नियमित रूप से शामिल नहीं हो पा रहे थे.
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वे साल 2007 में उपराष्ट्रपति चुनाव में वोट डालने पहुंचे थे. इस दौरान वे व्हील चेयर पर दिखे थे. साल 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान लखनऊ के लोगों ने अपने नेता को आखिरी बार देखा था. वाजपेयी आखिरी बार चुनावी रैली के मंच पर दिखे थे. इसके बाद 2007 में वाजपेयी ने नागपुर के रेशिमबाग में आरएसएस एक कार्यक्रम में भी हिस्सा लिया. इस कार्यक्रम में वाजपेयी को मंच पर पहुंचाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे. साल 2009 में उन्होंने एक सांसद के रूप में अपना अंतिम कार्यकाल पूरा किया और फिर कभी चुनाव नहीं लड़े.
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अटल बिहारी वाजपेयी करीब 14 साल से बीमार हैं. उनकी आखिरी तस्वीर तीन साल पहले 2015 में दिखी थी. मार्च 2015 में वाजपेयी को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के हाथों दिल्ली स्थित उनके घर पर भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
आपके जेहन में सवाल उठ रहे होंगे कि बीमारी से ग्रसित होने के बाद वाजपेयी इतने साल कहां थे. प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद वाजपेयी अब तक कृष्ण मेनन मार्ग स्थित आवास में अपनी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य के साथ रहते रहे. 2014 में निधन से पहले तक राजकुमारी कौल भी यहीं रहती थीं.