किसानों की आमदनी तो नहीं लेकिन उनकी आत्महत्या जरूर दोगुनी हुई है : शिवसेना
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किसानों की आमदनी तो नहीं लेकिन उनकी आत्महत्या जरूर दोगुनी हुई है : शिवसेना

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिका है कि वर्तमान सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और जुमलों से देश थक चुका है. 

शिवसेना अपने मुखपत्र 'सामना' में बीजेपी पर अक्सर तीखे लेख प्रकाशित करती रहती है

मुंबई : शिवसेना ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किसानों से सीधे संवाद कार्यक्रम पर निशाना साधा और कहा कि केवल किसानों की आत्महत्या दोगुनी हुई है, उनकी आय नहीं. पीएम मोदी ने बुधवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए किसानों से सीधी बातचीत की थी. उन्होंने देशभर के सभी जिलों के किसानों से सीधा संवाद स्थापित किया था. किसानों से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि उनकी सरकार ने किस तरह से कृषि बजट को दोगुना करके 2.12 लाख करोड़ रूपये किया है और किस तरह से वह किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में काम कर रही है. 

शिवसेना ने इसी को मुद्दा बनाते हुए बीजेपी पर तीखा हमला किया. अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि वर्तमान सरकार की कभी न समाप्त होने वाली घोषणाओं और जुमलों से देश थक चुका है. ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, "किसानों की आय 2022 तक दोगुनी करने की प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा कोई नई नहीं है. बीजेपी ने 2014 के चुनावी घोषणापत्र में भी इसी का वादा किया था और इससे उसे सत्ता में आने में मदद मिली."

सामना में लिखा है कि मोदी जी ने किसानों से बात करते हुए वही पुरानी कैसेट चलाई. उसने कहा कि बीजेपी को सत्ता में लाने वाले किसान अब कोमा में चले गए हैं. उसने कहा कि किसानों की आय दोगुनी होने की जगह, उल्टे उनकी स्थिति और खराब हो गई है. 

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मराठी भाषा के दैनिक में लिखा है कि मोदी को अपने संवाद में इसका खुलासा करना चाहिए था कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए गत चार वर्षों में क्या कदम उठाये गए हैं और क्या उनके लिए अच्छे दिन आ गए हैं. शिवसेना ने सवाल किया कि यदि मोदी सरकार ने नीतिगत निर्णय किए हैं तो वे जमीन पर प्रतिबिंबित क्यों नहीं हो रहे हैं. 

संपादकीय में लिखा है कि उत्पादन लागत बढ़ने और किसान उपज लेने वालों की कमी किसानों को परेशान कर रही है. शिवसेना ने दावा किया कि बैंक उद्योगपतियों के लिए रेड कॉर्पेट बिछाते हैं जो बैंकों को धोखा देते हैं. और जरूरतमंद किसानों को पैसे नहीं मिलते. यह भेदभाव है. वर्तमान सरकार के कार्यकाल में किसानों की आय के बजाय उनकी आत्महत्या के मामले दोगुने हो गए हैं. 2014 से अभी तक 40 हजार किसनों ने आत्महत्या की है. भले ही महाराष्ट्र और देश की सरकार में शिवसेना बीजेपी की सहयोगी पार्टी हो, लेकिन शिवसेना बीजेपी की टांग खिंचने में कभी पीछे नहीं रहती. 

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