लालू एवं अन्य दोषियों की सजा पर 3 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा समेत सात अन्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया. फैसले के बाद मिश्रा ने कोर्ट के बाहर कहा 'उन्हें न्याय मिल गया है'.
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रांची : चारा घोटाले से जुड़े देवघर कोषागार से 89 लाख़, 27 हजार रुपये की अवैध निकासी के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने शनिवार को आरजेडी प्रमुख एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव समेत 15 अभियुक्तों को दोषी करार दे दिया. उनकी सजा पर 3 जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा. मामले में दोषी ठहराए गए लालू समेत सभी 15 अभियुक्तों को अदालत के आदेश के बाद हिरासत में ले लिया गया. इसके बाद उन्हें रांची की बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया.
इसके अलावा कोर्ट ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 7 अन्य आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया. फैसले के बाद मिश्र ने कोर्ट के बाहर कहा 'उन्हें न्याय मिल गया है'.
रांची की सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज शिवपाल सिंह की अदालत ने अहम फैसला सुनाया. इस दौरान लालू के साथ अदालत में उनके बेटे तेजस्वी यादव, आरजेडी नेता अब्दुल बारी सिद्दीकी एवं अन्य नेता, समर्थक मौजूद रहे. दोषी ठहराए जाने के बाद लालू, उनके पुत्र एवं अन्य नेता एवं समर्थक बेहद तनाव में नजर आए. इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, विद्यासागर निषाद, आर के राणा, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, समेत 22 लोग आरोपी थे. इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, 70 लाख रुपये की अवैध ढंग से निकासी करने के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में इन सभी को सजा हो चुकी है.
#WATCH: Lalu Prasad Yadav outside Ranchi's Special CBI Court after being convicted in a #FodderScam case pic.twitter.com/hn6REkaizv
— ANI (@ANI) December 23, 2017
Ranchi's Special CBI Court to pronounce quantum of sentence on January 3rd, 2018 for the 15 guilty including Lalu Prasad Yadav
— ANI (@ANI) December 23, 2017
लालू एवं अन्य आरोपी अदालत में फैसला सुनने के लिए सुबह 11 बजे तक अदालत में उपस्थित हो गए थे. इस फैसले से पहले रांची कोर्ट में गहमागहमी का माहौल है और आरजेडी कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पटना से रांची पहुंचे हुए हैं. अदालत परिसर और उसके आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम रखे गए हैं.
मामले में फैसले के दौरान कोर्ट में पेश होने के लिए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव अपने छोटे बेटे एवं बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के साथ शनिवार शाम चार बजे पटना से रांची पहुंचे थे.
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यह मामला वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपये की फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से पशु चारे के नाम पर निकासी का है. इस केस में कुल 38 लोग आरोपी थे, जिनके खिलाफ सीबीआई ने 27 अक्तूबर, 1997 को मुकदमा संख्या आरसी/64 ए/1996 दर्ज किया था और लगभग 21 वर्षों बाद इस मामले में आज फैसला आने की संभावना है.
इस मुकदमे में लालू, पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा एवं ध्रुव भगत, आर के राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार के अधिकारी एस के भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. केके प्रसाद तथा शेष अन्य चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे. सभी 38 आरोपियों में से जहां 11 की मौत हो चुकी है, वहीं तीन सीबीआई के गवाह बन गए, जबकि दो ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-7 में ही सजा सुना दी गई थी. शिवपाल सिंह की अदालत ने इस मामले में सभी पक्षों के गवाहों के बयान दर्ज करने और बहस के बाद अपना फैसला 13 दिसंबर को सुरक्षित रख लिया था.
इस बीच सीबीआई के सूत्रों ने बताया कि देवघर कोषागार से फर्जीवाड़ा करके अवैध ढंग से धन निकालने के इस मामले में लालू प्रसाद यादव एवं अन्य के खिलाफ सीबीआई ने आपराधिक साजिश, गबन, फर्जीवाड़ा, साक्ष्य छिपाने, पद के दुरुपयोग आदि से जुड़ी आईपीसी की धाराओं 120बी, 409, 418, 420, 467, 468, 471, 477 ए, 201, 511 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 :1 (डी) एवं 13 (2) के तहत मुकदमा दर्ज किया था. सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में गबन की धारा 409 में दस वर्ष तक की और धारा 467 के तहत तो आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है.