जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित शोपियां जिले में बुधवार (2 मई) को सुबह पत्थरबाजों ने एक स्कूल बस को निशाना बनाया जिससे दूसरी कक्षा के एक छात्र के सिर में चोटें आई थीं.
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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद प्रभावित शोपियां जिले में बुधवार (2 मई) को सुबह पत्थरबाजों ने एक स्कूल बस को निशाना बनाया जिससे दूसरी कक्षा के एक छात्र के सिर में चोटें आई थीं. इस घटना पर प्रदेश की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. गुरुवार सुबह पूर्व थल सेनाध्यक्ष और विदेश (राज्य) मंत्री जनरल वी. के. सिंह ने भी अपनी नाराजगी व्यक्त की. पूर्व थल सेनाध्यक्ष ने कश्मीर में लगातार होने वाली ऐसी पत्थरबाजी को एक गंभीर समस्या बताते हुए अपने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट लिखी है. पोस्ट के साथ ही जनरल वी के सिंह ने पत्थरबाजी में घायल रिहान गोरसाय और स्कूल बस की तस्वीर भी अपलोड की है.
जो बबूल का पेड़ बोता है उसके कांटे सबसे ज्यादा उसे ही चुभते हैं
पूर्व थल सेनाध्यक्ष ने अपनी फेसबुक पोस्ट की शुरुआत में पड़ोसी देश पाकिस्तान पर निशाना साधते हुए लिखा है, "भारत को अस्थिर करने के लिए जब हमारे पड़ोसी देश ने आतंकवाद का सहारा लेना शुरू किया था, तब उसे इसका अनुमान नहीं था कि आतंकवाद भारत के लिए नहीं अपितु उसके खुद के अस्तित्व पर एक भीषण संकट बन जायेगा. आज पूरा विश्व देख रहा है कि हमारा पड़ोसी मुल्क खुद दुहाई दे रहा है कि वह आतंकवाद का शिकार है. प्रायः इस प्रकार की प्रणाली को अपनाने से पहले भविष्य में स्वयं के लिए होने वाली जटिलता की समीक्षा समाज नहीं करता. बिना अपवाद के, जो बबूल का पेड़ बोता है, उसके काँटे सबसे ज़्यादा उसे ही चुभते हैं."
कल निश्चित रूप से इसके पात्र आप भी बनेंगे
सिंह ने अपने पोस्ट में आगे कश्मीरी लोगों को इस समस्या से रू-ब-रू करवाने की कोशिश की है. उन्होंने लिखा है, "कश्मीर के लोगों को भी समझना चाहिए. ये जो किराये के पत्थरबाज घाटी में घूम रहे हैं, इनका मकसद है सरकार और जनता के बीच दीवार बने रहना. इसके लिए स्कूल जाते आपके बच्चे ही क्यों न हों, वे बाज़ नहीं आएँगे अपनी नीयत से. वो नहीं चाहते कि कश्मीर का कल बेहतर हो. जब तक घाटी जलती रहेगी, उनका धंधा चलता रहेगा. खुद से सवाल करिये - क्या पत्थर मारने से कुछ भी हासिल होगा? अगर ये पत्थरबाज घाटी के सामान्य जीवन का हिस्सा बने, और इनका विरोध नहीं किया गया, तो उनके पत्थर आपको उसी तरह भविष्य में चोट पहुँचायेंगे जिस प्रकार आतंकवाद हमारे पड़ोसी मुल्क को निगले जा रहा है. यदि विरोध में पत्थर मारना आपको स्वीकार्य है तो सावधान, कल निश्चित रूप से इसके पात्र आप भी बनेंगे."
सांप का फन आज नहीं कुचला, तो कल आप भी महफूज़ नहीं रहेंगे
अपनी फेसबुक पोस्ट की अंतिम लाइन में पूर्व थल सेनाध्यक्ष ने कश्मीरियों को आगाह करते हुए लिखा है, "ज़रूरी नहीं कि आप साँपों को दूध पिला रहें हों. परन्तु यदि आपने अपने घर के पास घूम रहे साँप का फन आज नहीं कुचला, तो कल आप भी महफूज़ नहीं रहेंगे."