हिमाचल चुनाव 2017: अपने करीबियों की बगावत झेल रहे वीरभद्र सिंह, बीजेपी भी परेशान
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हिमाचल चुनाव 2017: अपने करीबियों की बगावत झेल रहे वीरभद्र सिंह, बीजेपी भी परेशान

हिमाचल प्रदेश के चुनावी समर में बागी भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए हैं.

चुनाव से पहले अपनों से परेशान कांग्रेस और बीजेपी (फाइल फोटो-zee)

नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश के चुनावी समर में बागी भाजपा और कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गए हैं. दोनों दलों में टिकट न मिलने पर कई कद्दावर नेताओं ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतर गए हैं. बागी उम्मीदवार कांग्रेस और बीजेपी के लिए सिरदर्द बन चुके हैं. कांग्रेस ने चुनाव में आधिकारिक उम्मीदवारों के खिलाफ मैदान में उतरने की घोषणा करने के कारण शनिवार को अपने सात बागी नेताओं को पार्टी से निष्कासित कर दिया. पार्टी ने एक बयान में यह जानकारी दी. कांग्रेस ने शिमला शहरी से आजाद उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हरीश जनारथा, नालागढ़ से हरदीप बाबा, द्रंग से पुर्ण चंद ठाकुर, रामपुर से सिंघी राम, पालमपुर से बैनी प्रसाद, शाहपुर से पूर्व मंत्री विजय सिंह मनकोटिया लाहौल सपिति से राजेंदर कारपा पर कार्रवाई की है. इस बीच पार्टी ने दो वरिष्ठ नेताओं धरमवीर धामी और कश्मीर सिंह का निलंबन रद्द कर दिया. उन्हें 2012 में पार्टी विरोधी गतिविधियों को लेकर निष्कासित कर दिया गया था. 

  1. चुनाव से पहले अपनों से परेशान कांग्रेस और बीजेपी
  2. समझाने के बावजूद नहीं माने वीरभद्र सिंह के करीबी
  3. अपनों की ही बगावत से झुलस रही भारतीय जनता पार्टी

राज्य की 68 विधानसभा सीटों पर कुल 338 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं जिनमें से लगभग 90 बतौर निर्दलीय ताल ठोक रहे हैं. राज्य की कम से कम 13 सीटें ऐसी हैं जिन पर निर्दलीय दलीय समीकरण बिगाड़ सकते हैं. 13 सीटें ऐसी हैं जहां पर कांग्रेस और बीजेपी के बागी खेल बिगाड़ सकते हैं. आखिरी दिन दोनों ही पार्टियां अपनों को रिझाने का प्रयास किया लेकिन ज्यादा कामयाबी नहीं मिली.

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कांग्रेस ने बागियों को मनाने के लिए हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा, उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत और हिमाचल की पूर्व प्रभारी रहीं अंबिका सोनी को बुलवाया. हालांकि पार्टी के लिए राहत की बात यह रही कि हमीरपुर जिला की भोरंज सीट पर कांग्रेस के बागी प्रेम कौशल ने अपना नामांकन वापस ले लिया है. इसी तरह से शिमला ग्रामीण में भी कांग्रेस के दो बागियों खेमराज और देवेंद्र ठाकुर ने अपना नामांकन वापिस ले लिया है. 

समझाने के बावजूद नहीं माने वीरभद्र के करीबी 
वीरभद्र के समझाने के बावजूद उनके करीबी नामांकन वापस लेने को तैयार नहीं हुए. शिमला में वीरभद्र के करीबी हरीश जनारथा ने शिमला शहर में पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में बैठने से इनकार कर दिया है. नालागढ़ सीट पर हरदीप सिंह बावा आखिरी समय तक नहीं माने जबकि द्रंग में कैबिनेट मंत्री कौल सिंह के खिलाफ पार्टी पदाधिकारी पूर्ण चंद ठाकुर भी डटे हुए हैं. पार्टी के लिए रामपुर में सिंघी राम का नहीं बैठना भी झटका माना जा रहा है. इन सभी बागियों से वीरभद्र की बातचीत भी करवाई गई, लेकिन उन्होंने मैदान छोड़ने से इनकार कर दिया. बाद में कांग्रेस ने कार्रवाई करते हुए इन सभी को पार्टी से निष्कासित कर दिया है. 

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बगावत से झुलस रही बीजेपी 
उधर, चंबा सदर सीट से निवर्तमान विधायक वीके चौहान भाजपा की टिकट नहीं मिलने से आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में हैं. यहां से भाजपा ने कांग्रेस से आए पवन नैयर को उम्मीदवार बनाया है. कांगड़ की फतेहपुर सीट से भाजपा के दो बागी चुनाव लड़ रहे हैं. ये पूर्व मंत्री राजन सुशांत और जमीनी पकड़ रखने वाले बलदेव सिंह ठाकुर हैं. पार्टी ने इस सीट से किरपाल परमार को उतारा है. इसी तरह पालमपुर से पूर्व विधायक परवीन शर्मा ने चुनावी समर में उतर कर पार्टी प्रत्याशी इंदु गोस्वामी की परेशानी बढ़ा दी है. सिरमौर जिले की रेणुका सीट से पूर्व मुख्य संसदीय सचिव हृदय राम, ऊना जिले के हरोली से रविंद, मान और चंबा के भरमौर से ललित ठाकुर भाजपा के लिए सिरदर्द बन गए हैं.

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