415.6 टन वजनी व 49.1 मीटर लंबे जीएसएलवी रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के दूसरे लांच पैड से 29 मार्च की शाम 4.56 बजे प्रक्षेपित किया गया था.
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नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र (इसरो) का कहना है कि 29 मार्च को प्रक्षेपित जीसैट-6ए उपग्रह के साथ उनका संपर्क टूट गया है और उसके साथ संपर्क फिर से स्थापित करने की कोशिश की जा रही है. गौरतलब है कि इसरो उपग्रह की गतिविधियों को लेकर चुप्पी साधे हुए था. इसरो ने एक बयान में कहा है कि 31 मार्च की सुबह द्रव अपोगी मोटर (एलएएम) ने करीब 53 मिनट चल कर जीसैट-6ए को दूसरी कक्षा तक सफलतापूर्वक पहुंचाया. अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी वेबसाइट पर कहा है, उपग्रह को एक अप्रैल को तीसरी और अंतिम बार इंजन की मदद से अपने अंतिम लक्ष्य पर पहुंचना था और फिर कक्षा में चक्कर लगाना था, लेकिन उससे हमारा संपर्क टूट गया.
इसरो का कहना है, ‘‘उपग्रह के साथ संपर्क स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है.’’ इसरो ने जीएसएलवी- एफ08 के सफल प्रक्षेपण के साथ ही जीसैट-6ए को उसकी कक्षा में स्थापित किया था. इसे आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया गया था. यह उपग्रह मोबाइल सिग्नल को सुदूर इलाकों में पहुंचाने में मदद करेगा. उपग्रह के संबंध में इसरो की चुप्पी ने लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया था. सामान्य तौर पर इसरो उपग्रह के सभी स्तर की गतिविधियों की जानकारी अपनी वेबसाइट पर साझा करता है.
जीसैट-6ए के बारे में आखिरी अपडेट 30 मार्च को सुबह 9.22 मिनट पर मिला था, जब इसने पहली कक्षा को पार किया. अभियान से जुड़े लोगों ने कहा कि सैटेलाइट ने दूसरी कक्षा को भी सामान्य तरीके से पार कर लिया, लेकिन इसके तुरंत बाद ही कुछ परेशानी सामने आई. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद सैटेलाइट में कोई तकनीकी खराबी आ गई है.
29 मार्च को हुआ था सफल प्रक्षेपण
गौरतलब है कि भारत के संचार उपग्रह जीसैट-6 ए को अंतरिक्ष में ले जाने वाले भारतीय रॉकेट का आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से गुरुवार (29 मार्च) की शाम सफल प्रक्षेपण किया गया था. जीएसएलवी रॉकेट लॉन्च की उलटी गिनती गुरुवार सुबह सामान्य रूप से जारी रही. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, उल्टी गिनती बुधवार (28 मार्च) दोपहर 1.56 बजे शुरू हुई थी. इस दौरान रॉकेट में ईंधन भरा गया और इसकी प्रणालियों की जांच की गई.
270 करोड़ की लागत से बना है उपग्रह
270 करोड़ की लागत से बने 415.6 टन वजनी व 49.1 मीटर लंबे जीएसएलवी रॉकेट को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के दूसरे लांच पैड से 29 जनवरी की शाम 4.56 बजे प्रक्षेपित किया गया था. रॉकेट प्रक्षेपण के करीब 17 मिनट बाद जीसैट-6ए उपग्रह को कक्षा में स्थापित कर दिया गया था. इसरो के मुताबिक, रॉकेट के दूसरे चरण में इस बार दो सुधार किए गए हैं, जिसमें उच्च गति के विकास इंजन और इलेक्ट्रोमैकेनिकल एक्ट्यूएशन सिस्टम (विद्युत प्रसंस्करण प्रणाली) शामिल है. इसरो ने कहा था कि जीसैट-6ए उपग्रह जीसैट-6 उपग्रह के समान हैं.
सैटेलाइट के पावर सिस्टम में परेशानी
मामले से जुड़े इसरो के लोगों ने कहा कि सैटेलाइट में कोई गंभीर खराबी आ गई है. उन्होंने कहा, 'वैज्ञानिक और इंजीनियर दिन-रात इसी खामी को दूर करने में जुटे हुए हैं. सैटेलाइट के पावर सिस्टम में कुछ दिक्कतें पेश आई हैं.' हालांकि इसरो के शीर्ष अधिकारियों की ओर से इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गई है कि आखिर सैटेलाइट में क्या गड़बड़ी आई है और क्या इसे सुधार लिया गया है. आखिरी बार 31 अगस्त 2017 को इसरो का एक अभियान नाकाम हुआ था, जब आईआरएनएसएस-1एच (IRNSS-1H) उपग्रह को लॉन्च करने में पीएसएलवी फेल हो गया था.
(इनपुट एजेंसी से भी)