हम विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भैया कहकर बुलाते थे : उन्नाव गैंगरेप पीड़िता
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हम विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को भैया कहकर बुलाते थे : उन्नाव गैंगरेप पीड़िता

उन्नाव गैंगरेप पीड़िता और आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के परिवारों के बीच कभी बहुत अच्छे संबंध थे. 

आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सीबीआई की हिरासत में हैं....(फाइल फोटो)

लखनऊ: उन्नाव गैंगरेप केस में आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर सीबीआई की हिरासत में हैं. उधर, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को सिर्फ हिरासत में ना लिया जाए, बल्कि उनको गिरफ्तार भी किया जाए. हाईकोर्ट ने 2 मई को सीबीआई से प्रोग्रेस रिपोर्ट भी मांगी है.  कोर्ट ने यह भी कहा कि उन्नाव गैंगरेप और पीड़िता के पिता की हत्या का केस CBI को सौंपा जाए. 

इसी बीच इंडियन एक्सप्रेस को दिए साक्षात्कार में इस दर्दनाक घटना से जुड़ा पूरा घटनाक्रम बयां किया. उन्नाव गैंगरेप पीड़िता और आरोपी बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के परिवारों के बीच कभी बहुत अच्छे संबंध थे. उन्नाव के माखी गांव में दोनों एक दूसरे के पड़ोसी थे. पीड़िता आरोपी विधायक को 'भैया' कहकर बुलाती थी. ये दर्द भरी दस्तान उन्‍नाव गैंगरेप की पीड़िता है. पीड़िता ने बताया कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने नौकरी देने का वादाकर अपने घर पर बुलाया था और उसे साथ रेप किया था. बाद में तीन लोगों ने उसके साथ गैंगरेप किया. 

पीड़ि‍ता के मुबातिक, “पिछले साल 4 जून की बात है. सेंगर ने 4 जून, 2017 को नौकरी देने का वादाकर अपने घर बुलाया था. जब मैं विधायक के पहुंची तो मुझे एक कमरे में ले जाकर मेरा रेप किया. मुझे धमकी देते बोले कि अगर मैंने मुंह खोला तो मेरे पिता की हत्या कर दी जाएगी. बाद में उन्हीं के लोगों ने मुझे अगवा कर लिया और कई दिनों तक मेरे साथ गैंगरेप किया. बड़ी मुश्किल से मैं 11 जून को उनके चंगुल से निकल पाई."  

पीड़िता ने दोनों परिवारों के संबंधों के बारे में याद करते हुए बताया, "हम सब उन्हें भैया कहते थे. हमारे बड़े पापा उनके साथ थे. कभी-कभी वो (विधायक) घर आते थे और दादी से कहते थे कि अंडा फ्राई करके खिलाओ, तो दादी उन्हें बनाकर खिलाती थी." पीड़िता के दावे के मुताबिक, "गैंगरेप की घटना के बाद जब मैं घर लौटी तो दिल्ली आ गई जहां मेरे चाचा रहते हैं. दिल्ली में पहली बार मैंने अपनी चाची से अपने साथ हुए इस दर्दनाक हादसे का जिक्र किया."  

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पीड़िता ने आगे बताया, “17 अगस्त, 2017, को मैं और मेरे चाचा लखनऊ गए और मुख्यमंत्री योगी के आवास पर एक आवेदन दिया. उन्होंने कार्रवाई का भरोसा दिलाया लेकिन कुछ नहीं हुआ. जब सीएम योगी से मिलने के बाद भी कुछ नहीं हुआ तो मैंने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री मोदी, यूपी डीजीपी को आवेदन दिए. लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ. मुझसे पुलिसवालों ने विधायक का नाम नहीं लेने को कहा."  

लेकिन जब मुझे पता चला कि मेरे पिता को पीटा गया है तो मैं अगली ट्रेन पकड़कर फिर से सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने लखनऊ आई. पीड़िता ने आगे बयां किया, "हमने सीएम से मिलने के लिए वहां पर तैनात अधिकारियों से काफी मिन्नतें की लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया. मुझे लगा कि मेरे चलते मेरा पूरा परिवार मुश्किल में पड़ गया है. मैंने केरोसिन अपने ऊपर उड़ेल लिया. लेकिन मेरी बजाय, मेरे पिता की मौत हो गई." 

पीड़िता की 11 वर्षीय बहन ने कहा, "मेरे पापा को खूब मारा. पानी डाल-डालकर मार रहे थे नीम के पेड़ से बांधकर. कोई नहीं बोला. दादी तो वहीं बेहोश हो गई थी. हम वहां वापस नहीं जाएंगे. पीड़िता की मां ने कहा, "जब वे हमारे परिवार के सदस्यों को सबके सामने उठा सकते हैं और उन्हें बंदूक के बटों से पीटा. आप हमारी पीड़ा का अंदाजा लगा सकते हैं. हम अब कैसे सुरक्षित रह सकते हैं? 

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