दरअसल, वाराणसी में एक संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नाजनीन अंसारी समेत कुछ मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ किया था.
Trending Photos
नई दिल्ली : दारुल उलूम के उलेमा ने कहा है कि अगर कोई अल्लाह को छोड़कर किसी अन्य ईश्वर की पूजा करता है तो वह मुस्लिम नहीं रह जाता है. उलेमा का यह बयान वाराणसी में कुछ महिलाओं द्वारा दिवाली पर आरती किए जाने की पृष्ठभूमि में आया.
दरअसल, वाराणसी में एक संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में नाजनीन अंसारी समेत कुछ मुस्लिम महिलाओं ने उर्दू में रचित श्रीराम की आरती और हनुमान चालीसा का पाठ किया था. नाजनीन काशी की पहली ऐसी महिला हैं, जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए 501 रुपये का चंदा भी दिया था. इसके अलावा इसी मुस्लिम महिला फाउंडेशन में प्रधानमंत्री के तीन तलाक के मुद्दे पर सबसे पहले अपना समर्थन दिया था और कई तीन तलाक के केसों से पर्दा उठाया था.
If anyone worships any god except Allah they don't remain Muslim-Ulema,Darul Uloom on Muslim women who performed aarti on Diwali in Varanasi pic.twitter.com/IgaLNcenGo
— ANI UP (@ANINewsUP) October 21, 2017
इससे पहले दारुल उलूम, देवबंद ने फतवा जारी करके सोशल मीडिया पर मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं की फोटो अपलोड करने को नाजायज बताया था. दारुल उलूम देवबंद से एक शख्स ने यह सवाल किया था कि क्या फेसबुक, व्हाट्सअप एवं सोशल मीडिया पर अपनी (पुरुष) या महिलाओं की फोटो अपलोड करना जायज है. इसके जबाव में फतवा जारी करके यह कहा है कि मुस्लिम महिलाओं एवं पुरुषों को अपनी या परिवार के फोटो सोशल मीडिया पर अपलोड करना जायज नहीं है, क्योंकि इस्लाम इसकी इजाजत नहीं देता.
इस संबंध में मुफ्ती तारिक कासमी का कहना है कि जब इस्लाम में बिना जरूरत के पुरुषों एवं महिलाओं के फोटो खिंचवाना ही जायज न हो, तब सोशल मीडिया पर फोटो अपलोड करना जायज नहीं हो सकता.
इससे पूर्व बीते 7 अक्टूबर को ही दारुल उलूम देवबंद ने मुस्लिम महिलाओं के लिए चौंकाने वाला फतवा जारी किया था. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, दारुल उलूम देवबंद के फतवा में कहा गया कि मुस्लिम महिलाओं के लिए हेयर कटिंग और आइब्रो बनवाना नाजायज है. दारुल उलूम देवबंद के फतवा विभाग के मौलाना लुतफुर्रहमान सादिक कासमी ने कहा कि ये फतवा काफी पहले जारी कर दिया जाना चाहिए था. दरअसल, सहारनपुर के एक शख्स ने दारुल उलूम देवबंद से पूछा था कि क्या इस्लाम महिलाओं को बाल कटवाने और आइब्रो बनवाने की इजाजत देता है? क्या मैं अपनी पत्नी को ऐसा करने दूं? इस शख्स के सवाल के बाद ही दारु उलूम ने यह फतवा जारी किया है.
फतवा में स्पष्ट रूप से कहा गया, 'इस्लाम में आइब्रो बनवाना और बाल कटवाना धर्म के खिलाफ है. कोई महिला ऐसा करती है तो वह इस्लाम के नियमों का उल्लंघन कर रही है.' इस फतवा को जारी करने के पीछे तर्क दिया गया है कि इस्लाम में महिलाओं पर 10 पाबंदियां लगाई गई हैं. उन्हीं में बाल काटना और आइब्रो बनवाना भी शामिल है. लंबे बाल महिलाओं की खूबसूरती का हिस्सा है. इस्लाम मजबूरी में बाल काटने की इजाजत देता है. बिना किसी मजबूरी के बाल कटवाना नाजायज है.'