सीजेआई और वरिष्ठ जजों के बीच मतभेदों पर ‘गंभीर चिंता’ जाहिर करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि सभी जनहित याचिकाओं पर या तो सीजेआई या उन वरिष्ठ न्यायाधीशों को विचार करना चाहिये जो उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम का हिस्सा हैं.
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नई दिल्ली: सीजेआई और वरिष्ठ न्यायाधीशों के बीच मतभेद उभरने के बाद सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने शनिवार (13 जनवरी) को एक प्रस्ताव पारित किया. उसने कहा कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के साथ चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों के मतभेदों पर शीर्ष अदालत की पूर्ण पीठ को विचार करना चाहिये. सीजेआई और वरिष्ठ न्यायाधीशों के बीच मतभेदों पर ‘गंभीर चिंता’ जाहिर करते हुए एससीबीए अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि सभी जनहित याचिकाओं पर या तो सीजेआई या उन वरिष्ठ न्यायाधीशों को विचार करना चाहिये जो उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम का हिस्सा हैं.
मामलों को आवंटित करने पर न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर के नेतृत्व में चार वरिष्ठ न्यायाधीशों के चिंता जताने पर गौर करते हुए बार निकाय ने सुझाव दिया कि 15 जनवरी को सुनवाई के लिये सूचीबद्ध जनहित याचिकाएं भी अन्य पीठों के पास से या तो सीजेआई की अध्यक्षता वाली या कॉलेजियम के सदस्यों के नेतृत्व वाली पीठों को भेज दी जानी चाहिये. सिंह ने कहा कि कार्यकारिणी की आपात बैठक में चार न्यायाधीशों और सीजेआई के बीच मतभेदों पर चिंता जताई गई.
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उल्लेखनीय है कि न्यायालय के चार वरिष्ठतम न्यायाधीशों ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए शुक्रवार (12 जनवरी) को एक संवाददाता सम्मेलन किया और कहा कि शीर्ष अदालत में हालात ‘सही नहीं हैं’ और कई ऐसी बातें हैं जो ‘अपेक्षा से कहीं कम’ थीं. प्रधान न्यायाधीश के बाद दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश जे चेलमेश्वर ने कहा, ‘... कभी उच्चतम न्यायालय का प्रशासन सही नहीं होता है और पिछले कुछ महीनों में ऐसी कई चीजें हुई हैं जो अपेक्षा से कहीं कम थीं.’
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वहीं दूसरी ओर भारतीय बार परिषद (बीसीआई) ने शनिवार (13 जनवरी) को उच्चतम न्यायालय के वर्तमान संकट पर चर्चा के लिए पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों को छोड़कर शीर्ष अदालत के अन्य सभी न्यायाधीशों से मिलने के लिए सात सदस्यीय दल का गठन किया. बीसीआई ने एक प्रस्ताव पारित करके कहा कि उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा संवाददाता सम्मेलन बुलाने से पैदा स्थिति का किसी राजनीतिक दल या नेता को अनुचित फायदा नहीं उठाना चाहिए. बीसीआई के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा ने कहा कि बीसीआई ने वर्तमान स्थिति पर चर्चा के लिए पांच वरिष्ठतम न्यायाधीशों को छोड़कर उच्चतम न्यायालय के अन्य सभी न्यायाधीशों से मिलने के लिए सात सदस्यीय टीम का गठन किया है.
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वकीलों की शीर्ष संस्था ने कहा कि वह अन्य न्यायाधीशों की राय लेगी. बीसीआई का नजरिया है कि न्यायाधीशों के इस तरह के मुद्दे सार्वजनिक नहीं होने चाहिए. बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने कहा कि इस तरह के मुद्दों को सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये. रोस्टर या मामलों के आवंटन को लेकर न्यायाधीशों के बीच मतभेदों पर बीसीआई ने कहा कि विवाद चाहे जो भी हो, सार्वजनिक तौर पर राय जाहिर किये बिना अंदरूनी व्यवस्था के जरिये उसका समाधान किया जाना चाहिये.
(इनपुट एजेंसी से भी)