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नई दिल्ली : कश्मीर घाटी में पिछले काफी वक्त से अशांति और हिंसा का माहौल है. कश्मीर से अगर कोई खबर आती भी है तो सिर्फ पत्थरबाजी की या भारतीय सेना पर होने वाले हमलों की. लेकिन इन दिनों घाटी से एक शानदार खबर सुनने को मिल रही है. ये खबर है एक ऐसी कश्मीरी बेटी की, जो सैनिकों पर पत्थर नहीं फेंकती. एक ऐसी बेटी जो देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा रखती है.
कश्मीर की ये बेटी क्रिकेट खेल कर भारत का मान बढ़ाना चाहती है. महेंद्र सिंह धोनी की तरह छक्के जड़ कर देश का नाम रोशन करना चाहती है. 21 साल की इस कश्मीरी बेटी का नाम है रूबिया सईद.
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रूबिया महेंद्र सिंह धोनी की फैन हैं और उन्हीं की तरह छक्के लगाना चाहती हैं. कश्मीर के जिला अनंतनाग के बदसगाम गांव की रहने वाली है और धोनी की फैन है. रूबिया, धोनी के हेलिकॉप्टर शॉट की दीवानी है और उन्हीं की तरह खेलने का ख्वाब रखती है.
हाल ही में रूबिया ने बीसीसीआई की ओर से आयोजित राष्ट्रीय ज़ोन टूर्नामेंट में हिस्सा भी लिया था. मुंबई में खेले गए इस टूर्नामेंट में उत्तर भारत से रूबिया सईद को खेलने के लिए चुना गया था. रूबिया कश्मीर की महिला अंडर-23 टीम की कप्तान भी हैं.
टीम इंडिया में शामिल होना चाहती है रूबिया
वह भारत की क्रिकेट टीम में शामिल होना चाहती हैं और देश के लिए कुछ करना चाहती है. रूबिया कई टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले चुकी हैं जैसे- अमृतसर में वीमेन अंडर-23, 2016 में ही टी-20 सीनियर वीमेन टूर्नामेंट और 2015 में ही रांची में टी-20 टूर्नामेंट.
रूबिया ने अंडर-23 वीमन टूर्नामेंट में 160 रनों की शानदार पारी खेली थी. रूबिया ने यह पारी अमृतसर में पंजाब के खिलाफ खेली थी. अपने इसी परफॉर्मेंस के बलबूते उन्हें नॉर्थ जोन की टीम में खेलने का मौका मिला. रूबिया की कोच सकीना अख्तर का कहना है कि बहुत ही सीमित साधन मिलने के बावजूद रूबिया का प्रदर्शन बेहद शानदार है.
गांव के लड़कों के साथ शुरू किया क्रिकेट
रूबिया ने क्रिकेट खेलने की शुरुआत अपने गांव के लड़कों के साथ की थी. रूबिया का कहना है कि वे तब शायद 8 या 9 साल की रही होंगी. मुझ पर हर समय क्रिकेट खेलने का जुनून ही सवार रहता था, लेकिन लड़कियां कहां क्रिकेट खेलती हैं, वो कश्मीर जैसी जगह पर.
हमारे यहां लड़कों की टीम जब एक गांव से दूसरे गांव में खेलने जाती तो वे लोग मुझे भी साथ ले जाते थे. मैं हर मैच में अच्छा खेलती थी. इस वजह से भी मुझ में एक भरोसा पैदा हुआ कि मैं कुछ बेहतर कर सकती हूं. फिर धीरे-धीरे मैंने स्कूल स्तर पर खेलना शुरू किया. 2011 में मुझे पहली बार रांची में खेलने का मौका मिला.
लड़कों के साथ क्रिकेट खेलने पर रूबिया का कहना है कि, "मुझे कभी इस बात का अहसास नहीं होता है कि मैं लड़कों के साथ खेलती हूं. हर जगह दो किस्म के लोग होते हैं. कोई आपका हौसला बढ़ाता है तो कोई तोड़ता है. लेकिन मेरे गांव में मुझे हमेशा प्यार मिला. कभी मैंने ये नहीं सोचा कि कौन क्या कह रहा है."
टेलर हैं रूबिया के पिता
रूबिया के पिता पेशे से टेलर हैं. उन्हें हर समय पैसों की मुश्किल का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने कभी भी बेटी के क्रिकेट के आगे आर्थिक तंगी को आने नहीं दिया. रूबिया अनंतनाग के गवर्नमेंट वुमन कॉलेज में पढ़ती हैं.
रूबिया कहती हैं, "एक बार हमारे सर ने हमें फोन करके श्रीनगर बुलाया. वहां रांची में होने वाले एक टूर्नामेंट के लिए सेलेक्शन होना था. हम तीन चार दोस्त थे और हमारे पास कुल 30 रुपए थे. गाड़ी का किराया 40 रुपए था. हम फिर रेल में गए. मुझे अभी भी याद है कि हम ने कई जगहों पर टिकट भी नहीं लिया."
बता दें कि कश्मीर के परवेज रसूल टीम इंडिया में शामिल होने वाले पहले क्रिकेटर बने थे. उन्हें जनवरी में भारत-इंग्लैंड टी-20 सीरीज के लिए चुना गया था. हालांकि पहले ही मैच के दौरान वे विवादों में भी घिर गए थे.