एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट अपनी आंखों की रौशनी खो देने के बावजूद कई विकलांगों की मदद कर रही हैं. इसके लिए वह गेस्टहाउस का भी प्रबंध करती हैं.
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हल्दवानी : उत्तराखंड की एसिड अटैक पीड़िता कविता बिष्ट अपनी आंखों की रोशनी खो देने के बावजूद कई विकलांगों की मदद कर रही हैं. इसके लिए वह गेस्टहाउस का भी प्रबंध करती हैं. कविता कहती हैं, मैं विभिन्न रूप से विकलांग हुए लोगों की मदद करने की कोशिश करती हूं. मैं अपना काम करती हूं और इसके लिए मैं गेस्टहाउस का भी प्रबंध करती हूं.' उन्होंने कहा, 'मैं उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर हूं और महिलाओं को अपना काम कभी नहीं छोड़ना चाहिए.'
#Haldwani: Kavita Bisht, acid attack survivor is helping differently abled people despite having lost her eye vision, says,'I try to help differently abled people.I do my job,manage my guesthouse & I am Uttarakhand Brand Ambassador as well.Women should never give up.'#WomensDay pic.twitter.com/WAwN8axXJl
— ANI (@ANI) March 7, 2018
19 साल की उम्र में हुआ था एसिड अटैक
उल्लेखनीय है कि कविता बिष्ट जब 19 साल की थी, तब उन पर एसिड से हमला किया गया था. इस हमले में कविता गंभीर रूप से घायल हो गई थीं और उनकी आंखों की रोशनी चली गई थी. इस हमले के बाद भी कविता ने अपने हौसले को बुलंद रखा और संघर्ष किया.
2013 में बनी थी उत्तराखंड महिला सशक्तिकरण की ब्रांड एंबेसडर
साल 2008 में कविता पर एसिड से हमला किया गया था और उसके कई सालों बाद उनके हौसले को देखते हुए उत्तराखंड की सरकार ने 2013 में उन्हें राज्य नारी सशक्तिकरण का ब्रांड एंबेसडर बनाया. कविता को ब्रांड एंबेसडर बनाने की घोषणा करते हुए उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम हरीश रावत ने कहा था कि कविता ने संघर्ष का सामना किया और आज न केवल अपने पैरों पर खड़ी हैं, बल्कि दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं. रावत ने उनकी तारीफ में कहा था कि वह वह दुर्गा का ही एक रूप हैं.
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अल्मोड़ा की रहने वाली हैं कविता
जब कविता के पिता का निधन हुआ था तो उनके पास पिता का अंतिम संस्कार करने के लिए पैसे नहीं थे और उन्हें इसके लिए चंदा करना पड़ा था. कविता उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के करल गांव की रहने वाली हैं और अभी वह विकलांग लोगों की मदद करती हैं.