कुमार विश्वास को नहीं मिल रहा नेतृत्व से समर्थन, राजस्थान में रोका प्रचार
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कुमार विश्वास को नहीं मिल रहा नेतृत्व से समर्थन, राजस्थान में रोका प्रचार

आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं.  

कुमार विश्वास पार्टी नहीं छोड़ने के मूड में नहीं..(फाइल फोटो)

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान में चुनाव प्रचार की उनकी योजना पर भी ध्यान नहीं दे रहा. आम आदमी पार्टी के एक सदस्य ने बताया कि राजस्थान में पार्टी के प्रभारी विश्वास ने नेतृत्व से समर्थन नहीं मिलने के कारण प्रचार रोक दिया. चंदे की राशि जमा करने के लिए एक बैंक खाता खोलने की विश्वास की मांग पर पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया . उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए राज्य में विधायकों के प्रचार और चंदे की राशि जमा करने के लिए बैंक खाता खोलने के विश्वास की मांग पर पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई जवाब नहीं आया.

  1. कुमार विश्वास पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं
  2. कुमार विश्वास पार्टी में अलग-थलग पड़ चुके हैं
  3. पार्टी नहीं छोड़ेंगे, अपने खिलाफ नेतृत्व के कदमों का इंतजार करेंगे

सदस्य ने कहा , ‘‘अगर कुमार विश्वास को केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन नहीं होगा तो लोग उन पर भरोसा क्यों करेंगे.’’ घटनाएं कुमार विश्वास के अलग-थलग पड़ने का संकेत देती है . हालांकि, कुमार विश्वास के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे और अपने खिलाफ नेतृत्व के कदमों का इंतजार करेंगे.

कुमार विश्वास की कई मुद्दों पर पार्टी से अलग राय
कुमार विश्वास की कई राय कई मुद्दों पर पार्टी से अलग रही है. कभी कुमार विश्वास राष्ट्रवाद के नाम पर पार्टी के स्टैंड से खुद को अलग करने की बात कहते हैं, कभी पंजाब में अलगाववादियों के परिवार वालों को टिकट दिए जाने के दौरान अपने द्वारा दर्शाए गए विरोध की बात कहते रहे. कुमार विश्वास ने जेएनयू में राष्ट्र विरोधी नारेबाजी को लेकर भी खुद के द्वारा पार्टी से अलग स्टैंड लिए जाने की बात भी कही.

केजरीवाल पर साधा था निशाना
कुमार ने कहा था, 'कुछ माह पहले में मुझे राष्‍ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बुलाकर अरविंद केजरीवाल ने कहा था, आपको मारेंगे पर शहीद नहीं होने देंगे. मैं अपनी शहादत स्‍वीकार करता हूं. युद्ध का एक नियम होता है कि शहीदों के शव से छेड़छाड़ नहीं की जाती. आपसे (अरविंद केजरीवाल से) असहमत होकर वहां (आम आदमी पार्टी में) जीवित रहना मुश्किल है. सबको लड़ने ही पड़े अपने-अपने युद्ध, चाहे राजा राम हों चाहे गौतम बुद्ध.  सबकी लड़ाईयां अकेली हैं. मैं अपनी लड़ रहा हूं, आप अपनी लड़ रहे हैं. उस राज्‍यसभा में जहां अटल जी और इंदिरा जी जैसे लोगों की आवाज गूंजी हैं, राज्‍यसभा में इन दोनों (एनडी गुप्‍ता और संजीव गुप्‍ता) को भेजने के लिए मैं अरविंद और पार्टी के लोगों को बधाई देता हूं.'

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