आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान में चुनाव प्रचार की उनकी योजना पर भी ध्यान नहीं दे रहा.
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नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता कुमार विश्वास पार्टी के भीतर अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं. पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राजस्थान में चुनाव प्रचार की उनकी योजना पर भी ध्यान नहीं दे रहा. आम आदमी पार्टी के एक सदस्य ने बताया कि राजस्थान में पार्टी के प्रभारी विश्वास ने नेतृत्व से समर्थन नहीं मिलने के कारण प्रचार रोक दिया. चंदे की राशि जमा करने के लिए एक बैंक खाता खोलने की विश्वास की मांग पर पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया .
विश्वास को चंदे के लिए बैंक खाता खोलने की नहीं परमिशन
उन्होंने कहा कि चुनाव के लिए राज्य में विधायकों के प्रचार और चंदे की राशि जमा करने के लिए बैंक खाता खोलने के विश्वास की मांग पर पार्टी नेतृत्व की ओर से कोई जवाब नहीं आया.
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सदस्य ने कहा, ‘अगर कुमार विश्वास को केंद्रीय नेतृत्व का समर्थन नहीं होगा तो लोग उनपर भरोसा क्यों करेंगे.’ घटनाएं कुमार विश्वास के अलग-थलग पड़ने का संकेत देती है. हालांकि, कुमार विश्वास के करीबी सूत्रों ने कहा कि वह पार्टी नहीं छोड़ेंगे और अपने खिलाफ नेतृत्व के कदमों का इंतजार करेंगे.
आप के राज्यसभा सलेक्शन पर विश्वास ने उठाए थे सवाल
आम आदमी पार्टी(आप) ने संजय सिंह, व्यापारी सुशील गुप्ता व चार्टर्ड अकांउटेंट एन.डी.गुप्ता को दिल्ली की तीन राज्यसभा सीटों के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया था, जिसके बाद कुमार विश्वास ने पार्टी की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उन्हें सच बोलने के लिए दंडित किया गया है. पार्टी ने यह निर्णय आप की शीर्ष निर्णायक इकाई, राजनीतिक मामलों की समिति(पीएसी) ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास पर लिया. बैठक में आप के अधिकतर विधायक शामिल हुए.
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पहली बार AAP नेता जाएंगे राज्यसभा
इस महीने के अंत में दिल्ली से राज्यसभा सीटें खाली हो जाएंगी. कांग्रेस के सदस्यों जनार्दन द्विवेदी, परवेज हाशमी और करण सिंह का कार्यकाल पूरा होने की वजह से ये सीटें खाली हो रही हैं.
यह पहली बार है कि आप ऊपरी सदन के लिए अपना उम्मीदवार भेजेगी. 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में आप के पास अधिकारिक तौर पर 66 सीटें हैं. इसमें कुछ असंतुष्ट विधायक भी हैं. सदन में कांग्रेस का एक भी सदस्य नहीं है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तीनों उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की और कहा कि पार्टी संयोजक केजरीवाल बाहरी और पार्टी से जुड़े लोगों को राज्यसभा भेजना चाहते हैं.
उन्होंने कहा, "केजरीवाल चाहते थे कि राज्यसभा के लिए उनलोगों को नामित किया जाए, जिन्होंने मीडिया, अर्थव्यवस्था, कानून और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया है. इसलिए ऐसे 18 नामों पर चर्चा की गई थी."
सच बोलने के चलते नहीं मिला राज्यसभा का टिकट: कुमार विश्वास
इसके बाद पार्टी से असंतुष्ट चल रहे आप नेता कुमार विश्वास ने पार्टी पर हमला बोल दिया और कहा कि उन्हें सच बोलने की सजा दी गई है.
उन्होंने कहा, "मैं गुप्ता को मनीष सिसोदिया के साथ बीते 40 साल, केजरीवाल के लिए 12 साल, पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए सात साल व पार्टी विधायकों के लिए बीते पांच सालों से काम करने के लिए बधाई देता हूं."
विश्वास ने मीडिया से कहा, "बीते डेढ़ सालों से चाहे पीएसी (राजनीति मामलों की समिति) हो या मेरे बड़े भाई अरविंद केजरीवाल का सर्जिकल स्ट्राइक जैसे मुद्दों पर फैसला, आतंकवादियों पर नरम रुख, टिकट बंटवारे पर उनकी चुप्पी व जेएनयू..जो भी सच मैंने बोला है, उसकी आज मुझे सजा दी गई है."
विश्वास ने स्पष्ट रूप से खुद को नामित नहीं किए जाने के लिए मुख्यमंत्री केजरीवाल को जिम्मेदार ठहराया. विश्वास ने कहा कि केजरीवाल की सहमति के बगैर पार्टी में कुछ नहीं होता.
विश्वास ने कहा, "आप (केजरीवाल) के खिलाफ बोलकर पार्टी में किसी का बने रहना असंभव है."