पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपे जाने से बड़े खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस का स्वरूप बदलेगा.
Trending Photos
शिवपुरी: पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपे जाने से बड़े खुश हैं और उम्मीद करते हैं कि राहुल के नेतृत्व में कांग्रेस का स्वरूप बदलेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि राहुल गांधी में एकता के साथ देश को प्रगति के पथ पर ले जाने की क्षमता है. मध्य प्रदेश के अशोकनगर के मुंगावली और शिवपुरी के कोलारस में होने वाले विधानसभा उपचुनाव के सिलसिले में प्रचार करने आए सिंधिया ने बताया कि कांग्रेस की कमान राहुल गांधी को सौंपने से पार्टी को किस तरह का लाभ होगा, इस सवाल पर सिंधिया ने कहा, "राहुल के नेतृत्व में हर क्षेत्र में अंतर आएगा, उनमें जो क्षमता है वह उजागर होगी.
वे देश की एकता और अखंडता बनाए रखने के साथ देश को विकास और प्रगति के रास्ते पर ले जाने में सक्षम हैं, जिसे पूरा देश जानेगा." गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक पटेल जैसे नौजवानों का सहारा लिया और जाति समीकरणों पर जोर दिया. इसी तरह का प्रयोग मध्य प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में किए जाने की संभावना के सवाल पर सिंधिया ने कहा, " मध्य प्रदेश बहुजातीय, बहु नेतृत्व क्षमता रखने वाला प्रदेश है, यहां कांग्रेस ने सदैव हर जाति और वर्ग को महत्व दिया है.
यह भी पढ़ें- कर्नाटक : राहुल गांधी ने 70 सदस्यों की चुनाव अभियान समिति को मंजूरी दी
चाहे वह पिछड़ा वर्ग हो, अनुसूचित जाति, जनजाति हो, सामान्य वर्ग हो, अल्पसंख्यक के अलावा युवा, महिला सभी का चुनाव में क्षमता के अनुसार इस्तेमाल किया जाएगा." सिंधिया ने अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक का जिक्र करते हुए कहा, "इसे जातीय समीकरण के आधार पर क्यों देखा जाता है, अल्पेश, जिग्नेश और हार्दिक में जो क्षमता है वह व्यक्तिगत क्षमताएं हैं, व्यक्तिगत क्षमताओं के आधार पर हर व्यक्ति का उपयोग कांग्रेस राष्ट्रीय और प्रादेशिक हित में करती है."
बहुजन समाज पार्टी सहित अन्य दलों से गठबंधन के सवाल को सीधे तौर पर तो सिंधिया ने नहीं नकारा मगर कहा कि वे संभावनाओं और अगर-मगर का जवाब नहीं देते. साथ ही कहा, "हमारी सोच विचारधारा है कि जो तत्व देश की उन्नति, प्रगति, विकास में रोड़ा बन रहे हैं उन्हें उखाड़ फेंकने के लिए एक विचारधारा के लोग साथ आएं." वर्तमान दौर में कई राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं द्वारा इस्तेमाल की गई स्तरहीन भाषा को लेकर सिंधिया दुखी हैं.
यह भी पढ़ें- ...तो इसलिए गणतंत्र दिवस कार्यक्रम में राहुल को मिली थी छठी लाइन में जगह!
उनका कहना है, "राजनीतिक दलों और उनके नेताओं को एक दूसरे के कार्यक्रमों और नीतियों पर जरूर टीका-टिप्पणी करनी चाहिए, व्यक्तिगत टीका-टिप्पणी से बचना चाहिए. मैंने अपने 15 वर्ष के राजनीतिक जीवन में किसी पर कभी व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की. राजनीति एक संग्राम का मैदान जरूर है, मगर इसमें व्यक्तिगत टिप्पणी का कोई स्थान नहीं है." जनसंघ और भारतीय जनता पार्टी को खड़ा करने में विजयाराजे सिंधिया की अहम् भूमिका रही है, वे ज्योतिरादित्य सिंधिया की दादी हैं.
भाजपा ने सिंधिया राजघराने पर लगाया आरोप
इसके अलावा उनकी दो बुआ वसुंधरा राजे सिंधिया राजस्थान की मुख्यमंत्री और यशोधरा राजे सिंधिया मध्य प्रदेश में मंत्री हैं. वहीं भाजपा के नेता वर्तमान में सिंधिया राजघराने पर सीधे अंग्रेजों का साथ देने का आरोप लगाते आ रहे हैं. सिंधिया से जब इन आरोपों को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, "भाजपा का चाल, चरित्र, सोच और विचारधारा स्पष्ट है, जो दूसरे करें उससे आपकी जिंदगी का तो कोई गठजोड़ नहीं होता, उस पर टीका टिप्पणी करने से क्या मतलब. जो उन्हें करना है वे करें, मुझे जो मूल्य मेरे पिताजी और माताजी व घराने ने दिए हैं मैं उसी रास्ते पर चलूंगा, दूसरे को तो कभी आप रोक नहीं पाते हो, इसलिए अपना रास्ता देखो यही बेहतर है."
यह भी पढ़ें- कर्नाटक चुनाव: राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं पर भरोसा, कहा- घोषणापत्र खुद तैयार करें
उपचुनाव में सिंधिया के साथ शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा
मध्य प्रदेश में विधानसभा के उपचुनाव सिंधिया के साथ भाजपा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की प्रतिष्ठा से जुड़ गए हैं. यह दोनों क्षेत्र सिंधिया के संसदीय क्षेत्र गुना में आते हैं. दोनों स्थानों से कांग्रेस विधायक रहे, भाजपा की कोशिश है कि किसी तरह यहां सफलता हासिल कर सिंधिया के प्रभाव को कम किया जाए. ऐसा इसलिए क्योंकि सिंधिया राज्य में कांग्रेस का मुख्यमंत्री का चेहरा हो सकते हैं. मिडिल क्लास सरकार से टैक्स में कुछ राहत की उम्मीद कर रही है तो किसान को सहूलियतों की दरकार है.
अंतिम पूर्णकालिक बजट
जीएसटी के लागू होने के बाद यह पहला बजट पेश होने जा रहा है.लिहाजा बिजनेस क्लास भी सरकार की ओर उम्मीद भरी निगाहों से देख रहा है. चाय की चौपालों पर भी बजट के मसले पर चकल्लस शुरू हो गई है. इसकी बड़ी वजह भी है. दरअसल, यह मोदी सरकार के कार्यकाल का अंतिम पूर्णकालिक बजट होगा. इसलिए कुछ लोग इसके लोकलुभावन होने के कयास लगा रहे हैं. हालांकि पीएम मोदी ने यह कहकर ऐसे लोगों की जबान पर ताला लगा दिया है कि देश में आर्थिक सुधार की रफ्तार जारी रहेगी. ऐसे में सरकार के बीते तीन साल की सरकार की योजनाओं की पृष्ठभूमि में आगामी बजट को लेकर सरकार और जनता के बीच ताना-बुना जा रहा है.