बाल ठाकरे की 14.85 करोड़ की वसीयत पर बखेड़ा, उद्धव की याचिका को जयदेव ने दी चुनौती
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बाल ठाकरे की 14.85 करोड़ की वसीयत पर बखेड़ा, उद्धव की याचिका को जयदेव ने दी चुनौती

बंबई हाईकोर्ट के समक्ष एक गवाह ने कहा है कि शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने 1997 से 2011 के बीच आठ से नौ बार अपनी वसीयत में संशोधन किया था। इसके साथ ही इस वसीयत को लेकर बखेड़ा शुरू हो गया है। इस संबंध में उद्धव की हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को जयदेव ठाकरे ने चुनौती दी है।

बाल ठाकरे की 14.85 करोड़ की वसीयत पर बखेड़ा, उद्धव की याचिका को जयदेव ने दी चुनौती

मुंबई : बंबई हाईकोर्ट के समक्ष एक गवाह ने कहा है कि शिवसेना संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे ने 1997 से 2011 के बीच आठ से नौ बार अपनी वसीयत में संशोधन किया था। इसके साथ ही इस वसीयत को लेकर बखेड़ा शुरू हो गया है। इस संबंध में उद्धव की हाईकोर्ट में दाखिल याचिका को जयदेव ठाकरे ने चुनौती दी है।

वकील एफ डिसूजा ने न्यायमूर्ति गौतम पटेल के समक्ष सुनवाई के दौरान कहा कि वसीयत का हर बार जब नया मसौदा तैयार किया गया तो ठाकरे ने खुद इसे पढ़ा था या उसके मूल पाठ को उनके वकीलों ने स्पष्ट किया था। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने पिता की वसीयत का हाईकोर्ट से सत्यापन कराने के लिए एक याचिका दायर की है। बाल ठाकरे के पुत्र जयदेव ठाकरे ने  याचिका को जोरदार विरोध किया है और उत्तराधिकार पत्र के असली होने पर सवालिया निशान लगा दिया है।

जयदेव ने कहा है कि उनके पिता ने सेहत ठीक नहीं होने के कारण किसी वसीयत पर हस्ताक्षर नहीं किए। बाल ठाकरे के तीन पुत्र हैं जिसमें बिन्दु माधव ठाकरे की सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी। जयदेव और उद्धव ठाकरे जीवित हैं। बाल ठाकरे ने अपनी संपत्ति में जयदेव ठाकरे और बिन्दु माधव ठाकरे के परिवार वालों को कोई हिस्सा नहीं दिया।

उद्धव ठाकरे ने अपनी याचिका में कहा है कि बैंक खातों में जमा रकम और अन्य संपत्ति लगभग 14.85 करोड़ रुपए की है जबकि जयदेव ने कहा कि सिर्फ मातोश्री बंगला ही 40 करोड़ से अधिक का है। जयदेव ने यह भी कहा है कि उसे उम्मीद है कि इसके अलावा बैंक जमा, आभूषण समेत और कई संपत्तियां हैं लेकिन उद्धव ठाकरे ने वसीयतनामा याचिका में अन्य संपत्तियों का उल्लेख नहीं किया।

बाल ठाकरे ने मातोश्री बंगला उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के नाम किया है इसके अलावा कर्जत का फार्म हाउस और भंडारदारा की जमीन भी उद्धव को दिया है। जयदेव ठाकरे ने अदालत से आग्रह किया है कि वसीयतनामा को तब तक नहीं दिया जाए जब तक इसकी सत्यता प्रमाणित नहीं हो जाती।

जयदेव ने कहा कि उनके पिता ने अपना पूरा जीवन मराठी लोगों और मराठी भाषा को समर्पित कर दिया और उत्तराधिकार पत्र 'वसीयत' को अंग्रेजी में लिखकर मराठी में हस्ताक्षर करना सही नहीं लगता। उद्धव ठाकरे ने जो वसीयत अदालत में पेश किया है उसमें बाल ठाकरे का हस्ताक्षर है और उसमें गवाह के तौर पर डॉ. जलील पार्कर (फेफड़ा विशेषज्ञ) जो बाल ठाकरे का लंबे समय से इलाज कर रहे थे और वकील फलानियन डिसूजा हैं।

बाल ठाकरे का निधन 17 नवंबर 2012 को हुआ था। ठाकरे ने अपने उत्तराधिकार पत्र पर 13 दिसंबर 2011 को हस्ताक्षर किए हैं। इस उत्तराधिकार का एक प्रति उद्धव ठाकरे ने वसीयतनामा याचिका के साथ संलग्न किया है। बाल ठाकरे ने उद्धव ठाकरे, आधिक शिरोडकर, अनिल परब, शशि प्रभु और रवीन्द्र म्हात्रे को निष्पादक के रूप में नियुक्त किया है।

बाल ठाकरे ने वसीयत में लिखा है कि जयदेव अपने मन से घर से निकल गया और पत्नी स्मिता के साथ तलाक लेकर कहीं और रहने लगा जिससे मुझे काफी तकलीफ हुई। इसलिए मैं जयदेव को अपनी संपत्ति में कोई हिस्सा नहीं दे रहा हूं। उद्धव ठाकरे मेरी ताकत का स्रोत हैं। हमेशा मेरे साथ रहे और मेरी बातों को मानते रहे तथा सबसे बड़ी बात है कि उद्धव मेरी बीमारी में मेरी सेवा पूरी निष्ठा से की।

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