श्रीराम कथा वाचक मोरारी बापू के अनुयायी तो दुनियाभर में हैं. लेकिन उनके बताए मार्ग पर चलना और उनकी बातों पर अमल करना बहुत ही कम लोग कर पाते है. लेकिन गुजरात के भावनगर जिले में एक युवक ने बापू के बताए रास्ते पर चलकर श्मशान घाट में सात फेरे लिए.
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नई दिल्लीः श्रीराम कथा वाचक मोरारी बापू के अनुयायी तो दुनियाभर में हैं. लेकिन उनके बताए मार्ग पर चलना और उनकी बातों पर अमल करना बहुत ही कम लोग कर पाते है. लेकिन गुजरात के भावनगर जिले में एक युवक ने बापू के बताए रास्ते पर चलकर श्मशान घाट में सात फेरे लिए. इस दौरान श्मशान में जिस जगह पर चिता जलाई जाती है वहां पर फेरों की पवित्र अग्नि को प्रज्ज्वलित किया गया. मंत्रोच्चार हुआ, शहनाई बजी, समस्त देवी-देवताओं का आह्वान किया गया और पूरे विधि-विधान के साथ विवाह संस्कार संपन्न हुआ.
आपको बता दें कि कथा वाचक मोरारी बापू ने एक बार वाराणसी में प्रवचन के दौरान यह सीख दी थी कि जन्म और मृत्यु का उत्सव श्मशान भूमि में मनाना चाहिए. इससे प्रेरणा ले गुजरात के भावनगर जिले में महुवा में एक पुजारी के बेटे ने श्मशान भूमि से ही मैरिड लाइफ की शुरुआत की. भावनगर के महुआ के तलगाजरङा गांव में रहने वाले घनश्याम दास और पारुल ने रविवार को श्मशान में फेरे लिए.
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जब कोई पंडित श्मशान में विवाह करवाने को तैयार नहीं हुआ तो खुद मोरारी बापू श्मशान पहुंचे. वीडियो में आप खुद देख सकत हैं कि किस प्रकार श्मशान घाट में चिता के स्थान पर जल रही अग्नि के यह नवदंपति सात फेरे ले रहे है. ढोल-ताशों की आवाज के बीच दूल्हा-दुल्हन सात फेरे ले रहे है और कथा वाचक मोरारी बापू स्वयं मंत्रोच्चार कर रहे हैं.
घनश्याम ने मीडिया को बताया कि, ‘मोरारी बापू ने कहा था कि श्मशान अति पवित्र है. तभी संकल्प ले लिया था कि श्मशान में ही विवाह करूंगा. इस मौके पर श्मशान भूमि का महत्व समझाते हुए मोरारी बापू ने कहा कि श्मशान अति पवित्र भूमि है. यहां आने से जीवन में वैराग्य भाव नहीं आता. उम्मीद है कि श्मशान भूमि में सामूहिक विवाह भी होंगे.