राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में खाना खाते हैं, तो ये सरकारी आंकड़ें आपको डरा सकते हैं !
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राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में खाना खाते हैं, तो ये सरकारी आंकड़ें आपको डरा सकते हैं !

रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि साल 2014 से अक्तूबर 2017 के बीच दोनों प्रीमियम रेलगाड़ियों में भोजन की गुणवत्ता से जुड़ी 9804 शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं.

 सरकार ने कहा कि शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए पिछले तीन साल में 3486 केटरर पर अर्थदंड लगाया गया जबकि 3624 को चेतावनी दी गई. (फाइल फोटो)

नई दिल्ली: सरकार ने शुक्रवार (05, जनवरी) को स्वीकार किया कि पिछले तीन सालों में राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस रेलगाड़ियों में खानपान से जुड़ी गड़बड़ियों की नौ हजार से अधिक शिकायतें मिली हैं. रेल राज्य मंत्री राजेन गोहेन ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि साल 2014 से अक्तूबर 2017 के बीच दोनों प्रीमियम रेलगाड़ियों में भोजन की गुणवत्ता से जुड़ी 9804 शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं. वहीं संसद की एक स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा है कि वह लक्जरी ट्रेनों का परिचालन सिर्फ 30 प्रतिशत बुकिंग के साथ क्यों कर रही है. 

  1. सरकार ने शताब्दी और राजधानी में खानपान संबंधी शिकायतों का ब्यौरा दिया
  2. शताब्दी और राजधानी में तीन सालों में खाने से जुड़ी नौ हजार से ज्यादा शिकायतें मिलीं
  3. पिछले तीन साल में सरकार ने कार्रवाई करते हुए 3486 केटरर पर अर्थदंड लगाया 

3486 केटरर पर लगाया गया फाइन
उन्होंने कहा कि इन पर कार्रवाई करते हुए पिछले तीन साल में 3486 केटरर पर अर्थदंड लगाया गया जबकि 3624 को चेतावनी दी गई, खानपान संबंधी 10 ठेके रद्द किए गए और 1134 केटरर को उचित परामर्श जारी किया गया. गोहेन ने बताया कि 467 शिकायतें आधारहीन पाई गईं जबकि 44 में अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई. एक अन्य प्रश्न के जवाब में गोहेन ने कहा कि भारतीय इस्पात निगम लि. रेलवे पटरियों की आपूर्ति में कमी के कारण सरकार ने चार लाख मीट्रिक टन पटरियों की आपूर्ति के लिए वैश्विक निविदा जारी की हैं

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रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के मानकों को फिर से तय किया गया
एक अन्य सवाल के जवाब में रेल मंत्री पियूष गोयल ने बताया कि सरकार ने रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के मानकों को फिर से तय किया है. उन्होंने बताया कि स्टेशनों पर यात्रियों की आवाजाही, राजस्व उगाही और महत्व के आधार पर स्टेशनों को फिर से श्रेणीबद्ध किया जा रहा है. इस प्रक्रिया में कई स्टेशनों को पुनर्विकास के लिये चिन्हित किया गया है. स्टेशन पुनर्विकास कार्यक्रम के तहत पहले चरण में 23 स्टेशनों का क्षेत्रीय रेलमंडलों द्वारा पुनर्विकास किया जाएगा. इस दौरान सपा के रेवती रमण सिंह द्वारा स्टेशन और रेलगाड़ियों में गंदगी का मुद्दा उठाने पर गोयल ने कहा कि रेल विभाग ने सफाई की जिम्मेदारी निजी क्षेत्र को दी है. उन्होंने बताया कि सेवाशर्तों में निजी ठेकेदारों की जवाबदेही तय की गयी है. उन्होंने सदस्यों से यात्रा संबंधी परेशानियों और शिकायतों से विभिन्न माध्यमों से मंत्रालय को अवगत कराने की अपील की जिससे इस पर यथाशीघ्र कार्रवाई की जा सके और अन्य यात्री भी सेवा संबंधी शिकायतें बढ़चढ़ कर करने के लिये प्रेरित हों.

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संसदीय समिति ने पूछा, लक्जरी ट्रेनें खाली क्यों चल रही हैं?
वहीं संसद की एक स्थायी समिति ने रेलवे से पूछा है कि वह लक्जरी ट्रेनों का परिचालन सिर्फ 30 प्रतिशत बुकिंग के साथ क्यों कर रही है. रेल पर संसद की स्थायी समिति ने गुरुवार को संसद में पर्यटन संवर्द्धन और तीर्थाटन सर्किट पर अपनी रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट में कहा गया है कि मंत्रालय को स्थिति-सुधार के उपाय करने चाहिए. समिति के अनुसार महाराजा एक्सप्रेस, गोल्डन चैरियट, रायल राजस्थान आन व्हील्स, डेक्कन ओडिसी और पैलेस आन व्हील्स ट्रेनों में 2102 से 2017 के दौरान खाली सीटों की संख्या क्रमश: 62.7 प्रतिशत, 57.76 प्रतिशत, 45.46 प्रतिशत और 45.81 प्रतिशत रही है.

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंध्योपाध्याय की अगुवाई वाली समिति ने कहा कि सबसे चौंकाने वाला मामला महाराजा एक्सप्रेस का है. यह ट्रेन पूरी तरह भारतीय रेल द्वारा चलाई जाती है. 2012-13, 2103-14, 2014-15, 2015-16 और 2016-17 में इस ट्रेन में यात्रियों की औसत संख्या क्षमता के क्रमश:29.86 प्रतिशत, 32.33 प्रतिशत, 41.8 प्रतिशत, 41.58 प्रतिशत और 36.03 प्रतिशत रही. यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जबकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अश्विनी लोहानी ने व्यापार और यात्रा पर अंशधारकों के साथ पहला परिचर्चा सत्र आयोजित है. रेलवे की इस पहल का मकसद रेलवे के माध्यम से पर्यटन को प्रोत्साहन देना है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति ने लक्जरी ट्रेनों में यात्रियों की कमी के मामले को गंभीरता से नहीं लेने के लिए रेल मंत्रालय की आलोचना की है. समिति ने कहा है कि मंत्रालय को इसकी उचित तरीके से समीक्षा के बाद बताना चाहिए कि ऐसी ट्रेनें सिर्फ 30 प्रतिशत यात्रियों के साथ क्यों चलाई जा रही हैं.

(इनपुट - भाषा)

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