त्रिपुरा जीत के साथ ही PM नरेंद्र मोदी ने बनाया खास रिकॉर्ड, इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ा
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त्रिपुरा जीत के साथ ही PM नरेंद्र मोदी ने बनाया खास रिकॉर्ड, इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ा

जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से पिछले चार सालों में 21 चुनाव हुए हैं. इनमें से बीजेपी ने 14 राज्‍यों में चुनावी जीत हासिल की है.

नरेंद्र मोदी के 4 साल प्रधानमंत्री रहते हुए बीजेपी ने 14 राज्‍य जीते. इंदिरा गांधी के समय में कांग्रेस ने इसी अवधि में 13 राज्‍य जीते.(फाइल फोटो)

त्रिपुरा में बीजेपी की ऐतिहासिक सफलता के पीछे पीएम नरेंद्र मोदी के दमदार चुनावी अभियान और बीजेपी अध्‍यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति को प्रमुख रूप से जिम्‍मेदार माना जा रहा है. इसके साथ ही यह भी स्‍पष्‍ट हो गया है कि केंद्र की सत्‍ता में चार साल गुजारने के बाद 'मोदी लहर' में कोई गिरावट दर्ज नहीं की गई. यह कहना इसलिए भी जरूरी है क्‍योंकि गुजरात चुनावों और राजस्‍थान-मध्‍य प्रदेश उपचुनाव नतीजों में बीजेपी को अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने के बाद यह कयास लगाए जाने लगे थे कि 'मोदी लहर' का जादू फीका पड़ रहा है. इसके बरक्‍स पीएम मोदी के नेतृत्‍व में बीजेपी ने त्रिपुरा में सीधे शून्‍य से सत्‍ता का सफर तय किया है. ऐसे में यह कहा जा रहा है कि भारतीय राजनीति के इतिहास में चुनावी सफलता हासिल करने के लिहाज से पीएम मोदी सबसे ताकतवर नेता हैं.

  1. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते 4 सालों में 21 चुनाव हुए
  2. इनमें बीजेपी ने 14 राज्‍यों में चुनावी सफलता हासिल की
  3. इंदिरा गांधी के पीएम रहते 4 सालों में कांग्रेस ने 13 राज्‍य जीते

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सबसे ताकतवर राजनेता
दैनिक भास्‍कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक जब से नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तब से पिछले चार सालों में 21 चुनाव हुए हैं. इनमें से बीजेपी ने 14 राज्‍यों में चुनावी जीत हासिल की है. इस तरह की चुनावी सफलता इससे पहले इंदिरा गांधी के नाम ही दर्ज रही है. इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहते 4 साल में 19 चुनाव हुए थे. उनमें से 13 राज्‍यों में कांग्रेस ने चुनावी जीत हासिल की थी. इस लिहाज से चुनावी जीत के मामले में पीएम मोदी, इंदिरा गांधी से भी ताकतवर राजनेता साबित हुए हैं.

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पीएम मोदी पर भरोसा बरकरार
इन सबके साथ त्रिपुरा के चुनावी नतीजे यह भी बताते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी की अपील और उनके विकास के वादे पर अभी भी लोगों का भरोसा कायम है. आमतौर पर सत्‍ता में आने के बाद राजनेताओं की लोकप्रियता में गिरावट इसलिए देखने को मिलती है क्‍योंकि जो वादे वे करते हैं, वे धरातल पर जब अपेक्षित परिणाम नहीं देते तो उनकी छवि पर असर पड़ता है. इसके उलट ब्रांड मोदी इमेज बदस्‍तूर जारी है क्‍योंकि उनकी कथनी-करनी में लोगों का भरोसा कायम है.

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उसकी बानगी का यह क्‍लासिक केस हो सकता है कि त्रिपुरा में जिस बीजेपी का 2013 त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था और इसके 50 प्रत्‍याशियों में से 49 की जमानत जब्‍त हो गई थी. पीएम मोदी के 2014 में केंद्र की सत्‍ता में आने के बाद बीजेपी ने उनकी अगुआई में कुशल चुनावी अभियान चलाकर 'चलो पलटाई' के साथ 'लेफ्ट' की 25 सालों से काबिज सत्‍ता को पलट दिया. यह पीएम मोदी के करिश्‍माई नेतृत्‍व और पार्टी अध्‍यक्ष अमित शाह की जबर्दस्‍त चुनावी रणनीति के चलते ही संभव हुआ है.

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