जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों की राशि में जनवरी को समाप्त केवल आठ महीने में करीब 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई.
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नई दिल्ली: घोटाले में फंसे पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वाले बड़े कर्जदारों की राशि में बढ़ोतरी हुई है. बैंक के 25 लाख रुपये और उससे ऊपर के जानबूझकर कर्ज नहीं लौटाने वालों की राशि में जनवरी को समाप्त केवल आठ महीने में करीब 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. पीएनबी के आंकड़े के अनुसार बैंक से 25 लाख रुपये से अधिक का कर्ज ले चुके कर्जदारों पर 31 जनवरी 2018 तक कुल 14,593.16 करोड़ रुपये बकाया था. बैंक ने इस प्रकार का आंकड़ा जून 2017 से देना शुरू किया. उस समय उसका सकल कर्ज बकाया 11,879.74 करोड़ रुपये था. इन आठ महीनों में राशि में 22.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई.
बैंक ने 11,400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का खुलासा किया है. इसमें कथित रूप से जौहरी नीरव मोदी तथा एसोसिएट कंपनियां शामिल हैं. धोखाधड़ी मोदी से संबद्ध कंपनियों को फर्जी गारंटी पत्र (लेटर आफ अंडरटेकिंग) जारी करने से जुड़़ा है ताकि वे भारतीय बैंक की अंतरराष्ट्रीय शाखाओं से कर्ज ले सके. यह काम बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर किया गया.
बैंक के अनुसार 31 मार्च 2018 तक कुल 25 लाख रुपये और उससे अधिक के कर्ज जानबूझकर नहीं लौटाने वालों की सूची में फोरएवर प्रीसियस जूलर एंड डायमंड ( 747.97 करोड़ रुपये), किंगफिशर एयरलाइंस ( 597.44 करोड़ रुपये), जूम डेवलपर्य ( 410.18 करोड़ रुपये) तथा एमबीएस जूलरी प्राइवेट लि. (266.17 करोड़ रुपये) शामिल हैं.
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पीएनबी जून 2013 से जानबूझकर कर्ज नहीं लौटानों वालों की सूची जारी कर रहा है और यह प्रक्रिया 31 मई 2017 तक जारी रही. उसके बाद बैंक ने जून 2017 से केवल उन लोगों और कंपनियों के नाम जारी करने शुरू किये जिनपर 25 लाख रुपये या उससे अधिक कर्ज है और उन्होंने जानबूझकर ऋण नहीं लौटाया.
गीतांजलि समूह की 18 सहायक कंपनियों के बैलेंस शीट की पड़ताल कर रही है CBI
सीबीआई गीतांजलि समूह की भारत स्थित 18 सहायक कंपनियों के बैलेंस शीट की जांच पड़ताल कर रही है जो मेहुल चौकसी द्वारा प्रवर्तित है. सीबीआई ऐसा इसलिए कर रही है ताकि पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) द्वारा दी गई 11384 करोड़ रुपये की गारंटी के आधार पर विभिन्न बैंकों से ली गई राशि की लेनदेन की पूरी चेन का पता लग सके.
सीबीआई अधिकारियों ने कहा कि गिरफ्तार किये गए बैंक अधिकारियों गोकुलनाथ शेट्टी (सेवानिवृत्त) और मनोज खराट और नीरव मोदी की कंपनी के एक हस्ताक्षरकर्ता के अलावे पीएनबी के अन्य अधिकारियों से पूछताछ कर रही है. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लेनदेन की पूरी चेन का पता लगाया जा सके और कथित घोटाले की गहराई पता लग सके जो कि हजारों दस्तावेज और डिजिटल रिकॉर्ड में फैला हुआ है.