'परीक्षा पर चर्चा' : बच्चों के सवाल और PM मोदी के जवाब
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'परीक्षा पर चर्चा' : बच्चों के सवाल और PM मोदी के जवाब

प्रधानमंत्री मोदी से किन छात्रों ने ऐसे कौन से सवाल किए जिसके जवाब दिए और परीक्षा के दौरान छात्रों को तनावमुक्त रहने के गुर सिखाएं. 

हर वक्‍त करियर और परीक्षा की टेंशन ठीक नहीं है (फोटो साभारः PIB)

नई दिल्लीः 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के कुछ ही सप्ताह शेष रहने के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देशभर के 10 करोड़ छात्रों से परीक्षा से जुड़े विविध विषयों पर चर्चा करते हुए मोदी ने छात्रों के सवालों का जवाब दिया. प्रधानमंत्री मोदी से किन छात्रों ने ऐसे कौन से सवाल किए जिसके जवाब दिए और परीक्षा के दौरान छात्रों को तनावमुक्त रहने के गुर सिखाएं. 

  1. परीक्षाओं के दौरान तनावग्रसित ना हो छात्र
  2. तालकटोरा स्टेडियम में हुई परिचर्चा.
  3. PM वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग से इस कार्यक्रम में छात्रों से जुड़े.

पहला सवाल
परीक्षा में पढ़ा हुआ सबकुछ भूल जाते हैं, इस डर से कैसे छुटकारा मिले?
मोदी ने जवाब दिया कि यह सवाल बिल्कुल सही है, मेहनत में कोई कमी नहीं होती है. एक छात्र के साथ उसके माता-पिता, शिक्षक समेत सभी तैयारी करते हैं, लेकिन एक छात्र में आत्मविश्वास नहीं है तो परीक्षा मुश्किल हो जाती है. परीक्षा पत्र हाथ में आने के बाद अक्सर याद आता है कि यह विषय उस किताब में हुआ करता था. मैं स्वामी विवेकानंद को बचपन से ही पढ़ता आ रहा हूं. आत्मविश्वास के बिना किसी भी परीक्षा में सफलता हासिल नहीं कि जा सकती है. अमूमन एक विद्यार्थी माता सरस्वती की पूजा करता है, लेकिन परीक्षा के समय जब हनुमान जी का मंदिर पड़ता है तो वह पहले वहां पर मत्था टेकता है.

सवाल- समीक्षा, दिल्ली- पूरी तैयारी और परीक्षा में सबकुछ पढ़ने के बाद भी जैसे ही परीक्षा पत्र सामने आता है हम आत्मविश्वास खो देते हैं
प्रश्नों का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आत्मविश्वास कोई जड़ी-बूटी नहीं है, जो खाने से आ जाएगी. ना ही मां द्वारा दी गई कोई दवाई है जो परीक्षा के समय में खाने से आ जाएगी. एक छात्र को खुद को परीक्षा की कसौटी कसना होगा, तभी जीत आपको मिलेगी.

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दूसरा सवाल
सवाल- कनिष्का वत्स, कक्षा 10वीं- अगर पढ़ाई से ध्यान कहीं और भटकता है तो क्या करना चाहिए
जवाब- ध्यान कोई खास विधा नहीं है. ध्यान देने के लिए किसी खास एक्टिविटी को करने से अच्छा है कि आप खुद पर ध्यान केंद्रीत करिए. छात्रों को उन बातों पर ध्यान रखना चाहिए जो उनका ध्यान भटका रही है. खुद को जांचना और परखना जरूरी है ताकि हमें खुद अपनी कमियों का एहसास हो सके और हम पढ़ाई में ध्यान केंद्रीत कर सके.  

सवाल- प्रणब वयास, वाराणसी कोई अभिभूत महसूस कर रहा हो, तो उसे क्या करना चाहिए
पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए आवश्यकता है कि आप पहले खुद पर ध्यान दें. दिमाग से निकाल दीजिये की कोई आपके एग्जाम ले रहा है, कोई आपको अंक देने वाला है. इस भाव के साथ बैठिये की आप ही अपना भविष्य तय करेंगे. पानी की बूंद-ह

तीसरा सवाल
सवाल- कालीकट, 9वीं कक्षा केरला, माता-पिता और शिक्षक मेरी तुलना अन्य छात्रों से करते हैं, जिससे मेरा आत्मविश्वास कम होता है
आप लोग युद्ध और खेल के विज्ञान को जानते होंगे. दोनों ही खेलों में एक नियम है कि आप अपने मैदान में खेलिए. क्योंकि जब आप अपने मैदान में खेलते हैं तो आपकी जीत के अवसर बढ़ जाते हैं. दोस्तों के साथ कॉम्पीटिशन में आपको उतरना ही क्यों है. आपके दोस्त की परवरिश, खेल और रूचि सभी अलग है. इसलिए उससे तुलना मत करिए

अरूणिमा, दिल्ली- कॉम्पीटिशन के कारण दिमाग पर असर पड़ता है, जिससे बच्चों पर असर पड़ता है
आप पहले खुद को अपने दायरे में रहकर सोचना जरूरी है. छात्रों और उनके माता-पिता को वर्तमान में जीने की आदत डालनी चाहिए. वर्तमान में जीने की आदत ही भविष्य में एकाग्रता और सक्सेस के रास्ते खोलेगी. आपको खुद को ऐसा बनाना है कि दूसरों आपसे प्रतिस्पर्धा करें.

चौथा सवाल
सवाल- दिल्ली की छात्रा का सवाल- माता-पिता ज्यादा उम्मीदें रखते हैं, वो भूल जाते हैं कि हर छात्र की अपना एक दायरा होता है
जवाब- माता-पिता पर शक करने की बजाय उनकी भावनाओं का आदरपूर्ण स्वीकार करना चाहिए. एक माता-पिता अपने जीवन की जमापूंजी बच्चों के भविष्य पर खर्च कर देते हैं. माता-पिता की भावनाओं का ध्यान रखते हुए अपने स्तर पर प्रयास करना चाहिए. एक माता-पिता अपनी अधूरी इच्छाओं को अपने बच्चों से पूरा करने की कोशिश करते हैं ताकि दोनों के सपनों को पूरा कर सके. माता-पिता से बच्चों को संवाद करना चाहिए, ताकि रिश्ते बेहतर हो सके.

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भारत का बच्चा जन्मजात राजनेता होता है. क्योंकि एक ज्वाइंट फैमिली में उसे पहले से ही पता होता है कि उसे कौन सा काम किससे करवाना है. मैं अभिभावकों से कहना चाहूंगा दूसरे बच्चो से अपने बच्चो की तुलना न करें, आपके बच्चे के अंदर जो सामर्थ्य है उसी की बात कीजिये, अंक और परीक्षा जीवन का आधार नहीं हैं. हर वक्त भविष्य, करियर की चिंता करना ठीक नहीं है.

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