पीएम मोदी-नीतीश के गठबंधन से जानें किसको कितना होगा फायदा !
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पीएम मोदी-नीतीश के गठबंधन से जानें किसको कितना होगा फायदा !

देखने वाली बात होगी कि पीएम मोदी और नीतीश कुमार की जुगलबंदी कितनी फायदेमंद साबित होगी (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः बिहार में महागठबंधन की सरकार से नीतीश कुमार के इस्तीफे और बीजेपी के साथ गठजोड़ कर सरकार बनाने के फैसले के दूरगामी परिणाम देखे जा रहे है. जहां कुछ सियासी जानकार नीतीश के इस फैसले को उनके लिए नुकसान दायक बता रहे हैं. क्योंकि इससे उनके एक बड़े वोट बैंक के खिसकने के आसार हैं. वहीं कई का यह भी मानना है कि नीतीश राजनीतिक माहौल को भांपने में माहिर हैं और मोदी के साथ उनका जाना भविष्य में कई फायदे दिलाएगा.

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स्वच्छ छवि 

वास्तव में पीएम मोदी ने लंब समय से भ्रष्टाचार के खिलाफ एक माहौल बनाकर रखा हुआ है. और उन्होंने इस दिशा में कई कदम उठाए हैं. जबकि बिहार में लालू यादव लगातार भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरते जा रहे थे, ऐसे में नीतीश की साफ छवि पर दाग लगता हुआ दिख रहा था. मोदी के साथ जाने से नीतीश कुमार की एक ऐसे नेता के रूप में छवि बनेगी जो भ्रष्टाचार से समझौता नहीं करता है.

केंद्र में शामिल हो सकती है जेडीयू 

15 अगस्‍त के बाद पीएम नरेंद्र मोदी अपने मंत्रिमंडल का विस्‍तार कर सकते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि जदयू कोटे से भी मंत्री बनाए जा सकते हैं. उसकी एक बड़ी वजह यह है कि बिहार में भी बीजेपी सरकार में शामिल हुई है. ऐसे में माना जा रहा है कि केंद्र में भी नीतीश की पार्टी मोदी सरकार में शामिल हो सकती है.

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बिहार का हित

प्रधानमंत्री बनने के बाद से नरेंद्र मोदी ने बिहार विधानसभा चुनावों को देखते हुए राज्य को लेकर कई आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की थी. पीएम मोदी का ये कदम विधानसभा चुनावों में नीतीश लालू और कांग्रेस के गठबंधन के तोड़ के रूप में उठाया गया था. लेकिन बिहार विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद बिहार को दिए जाने वाला पैकेज ठंडे बस्ते चला गया था. अब जब नीतीश बीजेपी के साथ सरकार में हैं तो यह पैकेज जारी हो सकते है. जिससे बिहार के विकास में मदद मिलेगी. इसके साथ ही यह नीतीश की छवि (विकास पुरुष) को बेहतर बनाने में मददगार होगा.

मिल सकता है विशेष राज्य का दर्जा 

नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्‍य का दर्जा देने की मांग करते रहे हैं. हालांकि उस मांग को पूरी करने में केंद्र सरकार के समक्ष कई कानूनी बाधाएं हैं. लेकिन मौजूदा बदलती परिस्थितियों में नीतीश कुमार अपनी इस मांग को केंद्र के सामने एक बार फिर रख सकते हैं.

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2019 के चुनाव में मजबूत होगा NDA

2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान बीजेपी ने जेडीयू से अलग चुनाव लड़ा था. इसके बावजूद भी बिहार में पार्टी की सीटें सबसे ज्यादा थी. उसका एक कारण था जेडीयू और आरजेडी का अलग-अलग चुनाव लड़ना रहा. जबकि विधानसभा चुनाव में आरडेजी-जेडीयू और कांग्रेस के साथ आने से बीजेपी सत्ता की दौड़ से बाहर हो गई थी. अब जब जेडीयू और आरजेडी अलग हो गए हैं और बीजेपी को जेडीयू को साथ मिला है तो ऐसा माना जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव और 2020 के विधानसभा चुनाव में पीएम मोदी और नीतीश कुमार की छवि का फायदा इस गठबंधन को मिलेगा. 

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विपक्ष हुआ कमजोर

2014 लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से कई विपक्षी पार्टियों ने एक धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बनाने की बात कही. जिसके नेता के रूप में नीतीश कुमार का नाम सबसे आगे चल रहा था. गैर बीजेपी गठबंधन में टीएमसी की ममता बनर्जी, आप के अरविंद केजरीवाल, बीजेडी के नवीन पटनायक ने भी नीतीश कुमार के समर्थन का संकेत दिया था. अब नीतीश कुमार के बीजेपी के खेमे में जाने से विपक्ष ने एक बड़े चेहरे को खो दिया है जिससे उनके विपक्ष के महागठबंधन के सपने को करारा झटका लगा है. 

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