मिलिए, 'सुमो' से, कभी टीम लालू के सचिव थे, अब उनके परिवार को किया आउट
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मिलिए, 'सुमो' से, कभी टीम लालू के सचिव थे, अब उनके परिवार को किया आउट

लगभग तीन महीने से बिहार बीजेपी के एक बड़े नेता ने ताबड़तोड़ प्रेस कांफ्रेंस करके लालू यादव, मीसा भारती और तेजस्वी यादव के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए और अंत में उनको सत्ता से बेदखल करने में कामयाब हो गया.

लालू प्रसाद यादव और परिवार पर पिछले दिनों भ्रष्टाचार के कई आरोप लगे हैं (फाइल फोटो)

बिहार की सत्ता से लालू प्रसाद यादव का परिवार सत्ता से बेदखल हो गया है. नीतीश कुमार ने बुधवार को उनका दामन छोड़कर बीजेपी से हाथ मिला लिया और गुरुवार को छठी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. लालू परिवार के इस हाल के पीछे उन पर लग रहे भ्रष्टाचार के आरोप माने जा रहे हैं. अब बात उठता है कि भ्रष्टाचार के इन मामलों को उजागर किसने किया. वास्तव में इसका सारा श्रेय तो उसी व्यक्ति को मिलना चाहिए, जिसने लालू यादव और उनके परिवार के खिलाफ इन मामलों की जानकारी जुटाई और उसे पब्लिक के सामने रखते हुए नीतीश कुमार को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि लालू के साथ रहने पर उनका नुकसान ही नुकसान है. आइए जानते हैं जेडीयू और आरजेडी के बीच तकरार और अलगाव के पीछे रही शख्सियत के बारे में...
 
लगभग तीन महीने से बिहार बीजेपी के एक बड़े नेता ने ताबड़तोड़ प्रेस कांफ्रेंस करके लालू यादव, मीसा भारती और तेजस्वी यादव के खिलाफ कई भ्रष्टाचार के मामले उजागर किए. यह हैं सुशील कुमार मोदी. वैसे एक समय सुशील कुमार मोदी और लालू प्रसाद यादव के बीच गहरा नाता रहा है.

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मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लालू यादव को कई बार सुशील मोदी के बारे में यह कहते सुना गया है, 'ऊ हमरा सेक्रेटरी था…..'. वैसे सुशील कुमार मोदी लालू के निजी सचिव नहीं थे, बल्कि छात्र संघ में जब लालू यादव अध्यक्ष बने थे, तो सुशील मोदी सचिव पद पर चुनाव जीते थे. इन दोनों ने ही छात्र राजनीति से सियासी सफर शुरू किया. साल 1973 में पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में सुशील मोदी जनरल सेक्रेट्री चुने गए थे और छात्र संघ अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव बने थे.  बाद में इन दोनों की राह अलग हो गई और मोदी ने बीजेपी का दामन थाम लिया. अब मोदी ने लालू और परिवार पर घोटालों के मामले खोलकर संकट में डाल दिया है और उनको सत्ता से बेदखल कर दिया है.

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लालू यादव और सुशील मोदी ने छात्र राजनीति साथ-साथ शुरू की थी (फाइल फोटो)

मोदी ने उजागर किए यह मामले-

-1996 में उन्‍होंने पटना हाई कोर्ट में लालू प्रसाद के खिलाफ जनहित याचिका दायर की. वास्तव में यही मामला चारा घोटाले के नाम से जाना जाता है.

-हाल ही में सुशील कुमार मोदी ने लालू यादव और उनके परिवार के पास करीब एक हजार करोड़ रुपये की 'बेनामी संपत्ति' होने का दावा किया था.

-फिर लालू के बेटे तत्‍कालीन उपमुख्‍यमंत्री तेजस्‍वी यादव को निशाने पर लेते हुए उन पर भी करप्शन के आरोप लगाए. मोदी ने मीडिया के सामने कागज रखते हुए कहा कि तेजस्वी के नाम 26 साल की उम्र में 26 संपत्तियां हैं. तेजस्‍वी यादव के नाम से 13 जमीनों की रजिस्‍ट्री है. 1993 में जब तेजस्‍वी साढ़े तीन साल के थे तब ही उनके नाम दो जमीन की रजिस्‍ट्री हो गईं थीं.

-मोदी ने लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप को भी नहीं छोड़ा. उन्होंने उन पर अवैध ढंग से पेट्रोल पंप हासिल करने का मसला भी उठाया. इसके चलते उस पेट्रोल पंप का आवंटन रद्द कर दिया गया.

-उन्‍होंने पटना में बन रहे लालू प्रसाद के मॉल के मालिकाना हक समेत उसके निर्माण कार्य से लेकर मिट्टी पहुंचाए जाने का मुद्दा उठाया. बाद में बिहार सरकार ने हाईकोर्ट में हलफनामा देकर स्वीकार किया कि पटना में लालू परिवार का करोड़ों रुपये की लागत से बनने वाला मॉल पर्यावरण कानून का उल्लंघन कर बन रहा था. इसकी मिट्टी अवैध तरीके से चिड़ियाघर को बेची गई.

-बेनामी संपत्ति मामले और मनी लांड्रिंग केस में लालू प्रसाद यादव की बेटी और राज्यसभा सांसद मीसा भारती और उनके पति के दिल्ली स्थित तीन फार्महाउसों और उनसे संबंधित एक फर्म पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापे मारे. इस मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद एवं उनके परिवार के कुछ सदस्यों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की और पूछताछ भी की. लालू प्रसाद के 21 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने छापे मारे.

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नीतीश-लालू का रिश्ता भी पुराना है..
1990 में जब बिहार में जनता दल की सरकार बनी तो उसमें लालू सीएम बने थे और नीतीश कुमार को कैबिनेट में जगह मिली. लेकिन यह साझेदारी ज्यादा समय तक नहीं चल सकी और 1994 में नीतीश ने लालू से अलग होकर, जॉर्ज फर्नांडीस के साथ समता पार्टी बनाई. 1996 के लोकसभा चुनाव में समता पार्टी ने बीजेपी के साथ गठबंधन किया था. फिर 2015 में 20 साल बाद नीतीश-लालू फिर साथ आए और अब 20 माह बाद ही अलग हो गए हैं.

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