सुषमा स्वराज ने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ब्रिटेन की प्रधानमंत्री से मिले थे, तो उन्होंने उन्हें भारत के रुख और जेल के बारे में बता दिया था.
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नई दिल्ली : भगोड़े विजय माल्या के ब्रिटेन से प्रत्यर्पण मामले में सोमवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने जवाब दिए. इस मामले में जब उनसे ब्रिटेन की कोर्ट द्वारा भारत की जेलों पर की गई टिप्पणी पर सवाल पूछा गया तो उन्होंने इस पर सरकार का रुख स्पष्ट किया. उन्होंने बताया कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ब्रिटेन की प्रधानमंत्री से मिले थे, तो उन्होंने उन्हें भारत के रुख और जेल के बारे में बता दिया था.
सुषमा स्वराज अपने विभाग के चार साल का ब्योरा सामने रख रही थीं. इसी दौरान एक पत्रकार ने उनसे विजय माल्या के भारत वापस आने के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया, जहां तक विजय माल्या के प्रत्यर्पण की बात है तो हमने उसके लिए याचिका भेज दी है. एक केस को बैंकों ने माल्या पर किया था, वह बैंक जीत गए हैं. उन्हें कहा गया है कि वह माल्या से रिकवरी कर सकते हैं. जहां तक भारत भेजने की बात है तो ये कहा जा रहा है कि वहां की कोर्ट कह रही है कि हम आपकी जेलें जांचने आएंगे.
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सुषमा स्वराज ने कहा, अभी कॉमनवेल्थ समिट के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन की पीएम थेरेसा मे की मुलाकात हुई थी. उस मुलाकात में पीएम मोदी ने थेरेसा मे से साफ कहा था कि हमारे देश के भगोड़े यहां आते हैं तो उन्हें वापस भेजने में बहुत देर लगती है. सुषमा ने कहा, पीएम ने उनसे कहा, आपके कोर्ट ने कहा है कि हम जेल देखने आएंगे. तो मैं आपको बता देना चाहता हूं कि ये वही जेले हैं, जिसमें आपने कभी महात्मा गांधी को पंडित नेहरू को और दूसरे बड़े नेताओं को रखा था. इसलिए इन जेलों के बारे में कोई सवाल न उठाए जाएं.
#WATCH EAM Sushma Swaraj responding to a question on extradition of Vijay Mallya says 'PM Modi told British PM Theresa May that UK courts asking about the condition of Indian jails is not right, as these are the same prisons where they had jailed our leaders like Gandhi and Nehru pic.twitter.com/nLefxOVfY3
— ANI (@ANI) May 28, 2018
भारत में एक दर्जन से ज्यादा बैंकों से लोन लेकर फरार कारोबारी विजय माल्या को हाल ही में ब्रिटेन की एक अदालत ने करारा झटका दिया था. वह लंदन में भारतीय बैंकों की ओर से दायर किया गया 1.55 अरब रुपये डॉलर यानी करीब 10 हजार करोड़ रुपये का मुकदमा हार गए थे.