महाशिवरात्रि यानी देवाधिदेव भगवान शिव का विशेष दिन. मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से भोलेनाथ को फूल, भांग और प्रसाद चढ़ाने से वह खुश होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं.
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नई दिल्ली : महाशिवरात्रि यानी देवाधिदेव भगवान शिव का विशेष दिन. मान्यता है कि शिवरात्रि के दिन सच्चे मन से भोलेनाथ को फूल, भांग और प्रसाद चढ़ाने से वह खुश होते हैं और मनोकामना पूरी करते हैं. शिवरात्रि के दिन पूजा तो हर कोई करता है कि, लेकिन पूजा के दौरान कुछ बातों का ध्यान आपको अवश्य रखना चाहिए. लेकिन पूजन के दौरान कुछ ऐसे उपाय है जिनसे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. यहां हम आपको बताएंगे भोलेनाथ के पूजन से जुड़े कुछ आसान उपाय जिनसे भगवान शिव आपकी मनोकामना अवश्य पूरी करेंगे.
विधि-विधान से पूजा
शिवरात्रि पर कुछ लोग मंदिर में तो कुछ घर पर ही विधि-विधान से पूजा करना पसंद करते हैं. इस दिन मंदिरों में काफी भीड़ होती है तो ऐसे में मंदिर में विधि-विधान से पूजा करना संभव नहीं हो पाता. आगे पढ़िए कैसे महाशिवरात्रि पर घर में आसान तरीके से भोलेनाथ का पूजन किया जाए.
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पूरे दिन करें यह काम
महाशिवरात्रि वाले दिन प्रात: काल उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भोलेनाथ के व्रत का संकल्प लें. इस दिन हो सकें तो पूजन शुरू करने से पहले और बाद यानी पूरे दिन ऊं नम: शिवाय का मन ही मन जप करते रहें. भगवान से सुख-समृद्धि के लिए कामना करें.
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वैदिक शिव पूजन
पूजन की तैयारी में सबसे पहले भगवान शंकर की पूजा के लिए शुद्ध आसन पर बैठकर जल से आचमन करें. इसके बाद यज्ञोपवित (जनेऊ) धारण कर शरीर को शुद्ध करें. अब आसन की शुद्धि करें. धूप और दीपक प्रज्ज्वलित कर पूजन की तैयारियां शुरू करें.
स्वस्ति पाठ
महाशिवरात्रि की दूसरे चरण की पूजा में स्वस्ति पाठ करें. इसमें ‘स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवा:, स्वस्ति ना पूषा विश्ववेदा:, स्वस्ति न स्तारक्ष्यो अरिष्टनेमि स्वस्ति नो बृहस्पति र्दधातु.’ का पाठ करें. भगवान से प्रार्थना करें कि मेरे पूजन को सफल करें और मेरे से कोई कमी रह जाए तो नादान समझकर माफ करें.
पूजन का संकल्प लें
तीसरे चरण में पूजन का संकल्प कर भगवान गणेश और गौरी-माता पार्वती का स्मरण कर पूजन शुरू करना चाहिए. रूद्राभिषेक करने वाले भक्त को नवग्रह, कलश, षोडश-मात्रका का पूजन पहले करना चाहिए.
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शिव परिवार का पूजन
पूजन का संकल्प लेने से पहले पूरे शिव परिवार का पूजन करना अनिवार्य होता है. यानी पहले भगवान गणेश और माता पार्वती का पूजन करें. इसके बाद नन्दीश्वर, वीरभद्र, कार्तिकेय और सर्प का संक्षिप्त पूजन करें. ध्यान रखें कि स्त्रियों को कार्तिकेय का पूजन नहीं करना चाहिए.
बिल्वपत्र अर्पित करें
हाथ में बिल्वपत्र और चावल लेकर भगवान शिव को अर्पित करें. बिल्वपत्र अर्पित करने से पहले उन पर ऊं नम: शिवाय मंत्र लिखें. पांच, 11 या 21 बिल्वपत्र अर्पित करने के बाद भोलेनाथ को आसन, आचमन, स्नान, दही-स्नान, घीद्य-स्नान, शहद-स्नान व शक्कर-स्नान कराएं.
पंचामृत से स्नान
इसके बाद भगवान को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण) से स्नान कराएं. फिर सुगंध (इत्र) और इसके बाद शुद्ध जल से स्नान कराएं. अब प्रभु को वस्त्र अर्पित करें और जनेऊ चढाएं. अब इत्र, अक्षत, फूल माला, बिल्वपत्र, धतूरा और भांग चढाएं.
फल और दक्षिणा अर्पित करें
अब भोलेनाथ के शिवलिंग पर अलग-अलग तरह के मौसमी फल और दक्षिणा अर्पित करें. इसके बाद एक प्लेट में दीपक व धूप के साथ कपूर प्रज्ज्वलित कर भोलेनाथ की आरती (जय शिव ओंकारा...) करें.
क्षमा याचना
पूजन पूरा होने के बाद प्रभु के सामने क्षमा याचना जरूरी है. क्षमा याचना के लिए क्षमा मंत्र ‘आह्वानं ना जानामि, ना जानामि तवार्चनम, पूजाश्वैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वर:’ जप करें और अक्षत व फूल अर्पित करें.
भगवान से प्रार्थना
क्षमा याचना में भक्त भोलेनाथ से प्रार्थना करते हुए कहता है कि हे प्रभु मैं ज्यादा तो कुछ नहीं जानता लेकिन मैंने अपनी क्षमता और सामथ्र्य से ज्यादा किया है, इसलिए हे प्रभु आप इसे स्वीकार कीजिए और मुझ पर अपनी कृना बनाए रखें. इस प्रकार महाशिवरात्रि पर पूजन करने से भोलेनाथ आपकी मनोकामना पूरी करेंगे.
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